अष्टकूट विचार या गुण मिलान-By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबमेलापाक में अष्टकूट तत्वों का विशेष महत्व है, वर-कन्या के दांपत्य जीवन को सुखी व मंगलमय बनाने के लिए उनके जन्म नक्षत्रों एंव जन्म कुण्डलियों द्वारा मिलान करना अत्यन्त आवश्यक है |बाल वनिता महिला आश्रमउपयुक्त मिलान न होने की स्थिति में पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन में विचार वैमनस्य, संतान कष्ट, वैधव्य पारिवारिक कष्ट होने की संभावनाएं हो जाती हैं | नक्षत्र मिलान के मुख्य तत्व अष्टकूट हैं | अष्ट (आठ) कूटों का निर्ण़ वर-कन्या के जन्म नक्षत्रों से किया जाता है | अष्टकूटों में आठ कूट निम्नलिखित हैं -1) वर्ण 2) वश्य 3) तारा 4) योनि 5) ग्रहमैत्री. 6) गणमैत्री 7) भकूट 8) नाडी़अष्टकूटों में गुणों का योग 36 होता है | क्रमानुसार वर्ण का 1 गुण, वश्य के 2 गुण, तारा के 3 गुण, योनि के 4 गुण, ग्रहमैत्री के 5 गुण, गणमैत्री के 6 गुण, भकूट के 7 गुण एंव नाडी़ के 8 गुण जानने चाहिए |कुल 36 गुणों के योग में से 1 से 17 तक गुण मिलान तुच्छ व त्याज्य माने जाते हैं, 18 से 21 तक मध्यम एंव ग्राह्य और 22 से 28 तक उत्तम तथा 29 से 36 तक गुण सर्वोत्कृष्ट मिलान माना जाता है |18 गुण अर्थात 50% अंक मिलने पर ठीक ही समझा जाता है| ये गुण अधिक होने पर भी नाडी़ गण आदि बड़े दोषों को दूर नहीं कर सकते | अतः गुण की संख्या से पूर्व अष्टकूट विचार को महत्व दिया जाना चाहिए|
अष्टकूट विचार या गुण मिलान-
By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब
मेलापाक में अष्टकूट तत्वों का विशेष महत्व है, वर-कन्या के दांपत्य जीवन को सुखी व मंगलमय बनाने के लिए उनके जन्म नक्षत्रों एंव जन्म कुण्डलियों द्वारा मिलान करना अत्यन्त आवश्यक है |
उपयुक्त मिलान न होने की स्थिति में पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन में विचार वैमनस्य, संतान कष्ट, वैधव्य पारिवारिक कष्ट होने की संभावनाएं हो जाती हैं | नक्षत्र मिलान के मुख्य तत्व अष्टकूट हैं | अष्ट (आठ) कूटों का निर्ण़ वर-कन्या के जन्म नक्षत्रों से किया जाता है | अष्टकूटों में आठ कूट निम्नलिखित हैं -
1) वर्ण 2) वश्य 3) तारा 4) योनि 5) ग्रहमैत्री. 6) गणमैत्री 7) भकूट 8) नाडी़
अष्टकूटों में गुणों का योग 36 होता है | क्रमानुसार
वर्ण का 1 गुण,
वश्य के 2 गुण,
तारा के 3 गुण,
योनि के 4 गुण,
ग्रहमैत्री के 5 गुण,
गणमैत्री के 6 गुण,
भकूट के 7 गुण एंव
नाडी़ के 8 गुण जानने चाहिए |
कुल 36 गुणों के योग में से 1 से 17 तक गुण मिलान तुच्छ व त्याज्य माने जाते हैं, 18 से 21 तक मध्यम एंव ग्राह्य और 22 से 28 तक उत्तम तथा 29 से 36 तक गुण सर्वोत्कृष्ट मिलान माना जाता है |
18 गुण अर्थात 50% अंक मिलने पर ठीक ही समझा जाता है| ये गुण अधिक होने पर भी नाडी़ गण आदि बड़े दोषों को दूर नहीं कर सकते | अतः गुण की संख्या से पूर्व अष्टकूट विचार को महत्व दिया जाना चाहिए|
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