दशम भाव के कारकत्व-By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबदशम भाव से कर्म की प्रवृत्ति या आजीविका संबंधी रुझान, कीर्ति, यश प्रतिष्ठा, अधिकार, वर्षा होना, प्रवास, भ्रमण या पर्यटन, मान-सम्मान, जीवन-निर्वाह संबंधी कर्म, दोनों घुटनों व दास का विचार किया जाता है | वाणिज्य, व्यापार, राज सम्मान या सरकार से मान्यता प्राप्ति, घोड़े की सवारी, वाहन यात्रा, कुश्ती या एथलेटिक में दक्षता, सरकारी काम, राजकार्य, नौकरी, कृषि, चिकित्सक, यश, प्रताप, प्रतिष्ठा, धन को सुरक्षित रखना, कोषागार सुरक्षा, यज्ञ आदि धार्मिक उत्सव तथा मंगल समारोह, उत्कृष्टता, उत्तमता या श्रेष्ठतत्व, गुरुजन, कुटुम्ब के वयोवृद्ध या आदरणीय लेग, सिद्ध यंत्र, गंडा ताबीज, मंत्र, पुण्यबल का विस्तार, धर्म का प्रचार प्रचार, औषधि, देवता व देवगण, मंत्र सिद्धि, मंत्र बल से कार्य सिद्धि व सफलता | धन वैभव, सुख सुविधाएँ व संपन्नता, गोद लिया पुत्र, दत्तक पुत्र, स्वामित्व, मालिक, मार्ग, पथ, सही रास्ता, सम्मानजनक जीवन शैली, स्वाभिमानी व सुखी जीवन, मान-सम्मान, आदर, युवराज, ख्याति, युयश, अध्यापन दक्षता, शिक्षा या प्रशिक्षण देने की कुशलता, योग्यता, मोहर, अनुमोदन या स्वीकृति का अधिकार, दोषी को दंड देने या सुधारने की क्षमता, नियंत्रण व नियमन की योग्यता, अनुशासन व आत्मनियंत्रण, दूसरों पर शासन करने, उन पर हुकुम चलाने की प्रवृत्ति अथवा एेसा विद्वान व नीति कुशल, जो दूसरों को आज्ञा देने का अधिकार पाए जैसे न्यायाधीश या मुख्यनियंत्रक |विद्वानों का मत है कि दशम भाव, दशमेश तथा राज्य कारक सूर्य पीड़ित हो जाएँ तो मनुष्य अपमान, असफलता व अपयश पाता है | इसके विपरीत दशमेश का बली होना जातक को यश कीर्ति देता है |यह आज्ञा स्थान भी कहलाता है | सत्ता, अधिकार, सामाजिक स्थिति, आदेश देने का अधिकार, नैतिकता, आजिविका या जीवन निर्वाह का साधन देखते हैं | यहाँ चर राशि महत्वाकांक्षा, स्थिर राशि धैर्य, स्थिरता व द्विस्वभाव राशि परस्पर सहयोग व सेवा भाव देती है |दशम भाव माता-पिता का मारक भाव है | वैराग्य, संन्यास, सरकारी काम-काज, राज-सम्मान, चुनाव व मुकदमे का विचार भी दशम भाव से होता है | दशम भाव से दोनों घुटने व मेरुदंड, आजीविका, व्यापार, प्रशासन, उच्चपद की प्राप्ति, प्रोन्नति, चुनाव जीतना, वर्षा या सूखा, पितृ पक्ष के कुटुंबीजन का विचार करें | विद्या और विशिष्ट ज्ञान व दक्षता का विचार दशम भाव से करें |
दशम भाव के कारकत्व-
By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब
दशम भाव से कर्म की प्रवृत्ति या आजीविका संबंधी रुझान, कीर्ति, यश प्रतिष्ठा, अधिकार, वर्षा होना, प्रवास, भ्रमण या पर्यटन, मान-सम्मान, जीवन-निर्वाह संबंधी कर्म, दोनों घुटनों व दास का विचार किया जाता है |
वाणिज्य, व्यापार, राज सम्मान या सरकार से मान्यता प्राप्ति, घोड़े की सवारी, वाहन यात्रा, कुश्ती या एथलेटिक में दक्षता, सरकारी काम, राजकार्य, नौकरी, कृषि, चिकित्सक, यश, प्रताप, प्रतिष्ठा, धन को सुरक्षित रखना, कोषागार सुरक्षा, यज्ञ आदि धार्मिक उत्सव तथा मंगल समारोह, उत्कृष्टता, उत्तमता या श्रेष्ठतत्व, गुरुजन, कुटुम्ब के वयोवृद्ध या आदरणीय लेग, सिद्ध यंत्र, गंडा ताबीज, मंत्र, पुण्यबल का विस्तार, धर्म का प्रचार प्रचार, औषधि, देवता व देवगण, मंत्र सिद्धि, मंत्र बल से कार्य सिद्धि व सफलता |
धन वैभव, सुख सुविधाएँ व संपन्नता, गोद लिया पुत्र, दत्तक पुत्र, स्वामित्व, मालिक, मार्ग, पथ, सही रास्ता, सम्मानजनक जीवन शैली, स्वाभिमानी व सुखी जीवन, मान-सम्मान, आदर, युवराज, ख्याति, युयश, अध्यापन दक्षता, शिक्षा या प्रशिक्षण देने की कुशलता, योग्यता, मोहर, अनुमोदन या स्वीकृति का अधिकार, दोषी को दंड देने या सुधारने की क्षमता, नियंत्रण व नियमन की योग्यता, अनुशासन व आत्मनियंत्रण, दूसरों पर शासन करने, उन पर हुकुम चलाने की प्रवृत्ति अथवा एेसा विद्वान व नीति कुशल, जो दूसरों को आज्ञा देने का अधिकार पाए जैसे न्यायाधीश या मुख्यनियंत्रक |
विद्वानों का मत है कि दशम भाव, दशमेश तथा राज्य कारक सूर्य पीड़ित हो जाएँ तो मनुष्य अपमान, असफलता व अपयश पाता है | इसके विपरीत दशमेश का बली होना जातक को यश कीर्ति देता है |
यह आज्ञा स्थान भी कहलाता है | सत्ता, अधिकार, सामाजिक स्थिति, आदेश देने का अधिकार, नैतिकता, आजिविका या जीवन निर्वाह का साधन देखते हैं |
यहाँ चर राशि महत्वाकांक्षा, स्थिर राशि धैर्य, स्थिरता व द्विस्वभाव राशि परस्पर सहयोग व सेवा भाव देती है |
दशम भाव माता-पिता का मारक भाव है | वैराग्य, संन्यास, सरकारी काम-काज, राज-सम्मान, चुनाव व मुकदमे का विचार भी दशम भाव से होता है | दशम भाव से दोनों घुटने व मेरुदंड, आजीविका, व्यापार, प्रशासन, उच्चपद की प्राप्ति, प्रोन्नति, चुनाव जीतना, वर्षा या सूखा, पितृ पक्ष के कुटुंबीजन का विचार करें | विद्या और विशिष्ट ज्ञान व दक्षता का विचार दशम भाव से करें |
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