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त्याग की कहानी 〰️〰️🌼〰️〰️By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबबहुत पुरानी बात है। किसी नगर में अनाम नाम का एक नवयुवक रहता था । बेचारे के मां-बाप स्वर्ग सिधार चुके थे । गरीब होने के कारण उसके पास अपने खेत भी नहीं थे, औरों के खेतों में वह दिन भर छोटे-मोटे काम करता और बदले में खाने के लिए आटा-चावल ले आता । घर आकर वह अपना भोजन तैयार करता और खा-पीकर सो जाता । जीवन ऐसे ही संघर्षपूर्ण था, ऊपर से एक और मुसीबत उसके पीछे पड़ गयी ।एक दिन उसने अपने लिए चार रोटियाँ बनाई । हाथ-मुंह धो कर वापस आया, तब तक 3 ही बचीं । दूसरे दिन भी यही हुआ । तीसरे दिन उसने रोटियाँ बनाने के बाद उस स्थान पर नज़र रखी । उसने देखा कि कुछ देर बाद वहाँ एक मोटा सा चूहा आता है और एक रोटी उठा कर वहाँ से जाने लगता है । अनाम तैयार रहता है, वह फ़ौरन चूहे को पकड़ लेता है ।चूहा बोला .. “भैया, मेरी किस्मत का क्यों खा रहे हो ? मेरी चपाती मुझे ले जाने दो"।“तुम्हें ले जाने दी तो मेरा पेट कैसे भरेगा ? मैं पहले से ही अपने जीवन से परेशान हूँ, ऊपर से अब पेट भर खाना भी ना मिले तो मैं क्या करूँगा …. ना जाने मेरे जीवन में खुशहाली कब आएगी ?”, अनाम बोला ।इस पर चूहे ने कहा - तुम्हारे सारे सवालों का जवाब तुम्हें मतंग ऋषि दे सकते हैं।अनाम ने पूछा कौन हैं वह ? चूहे ने उत्तर दिया - वह एक पहुँचे हुए संत हैं, उत्तर दिशा में कई पर्वतों और नदियों को पार करके ही उनके आश्रम तक पहुँचा जा सकता है । तुम उन्हीं के पास जाओ, वही तुम्हारा उद्धार करेंगे ।अनाम चूहे की बात मान गया, और अगली सुबह ही खाने-पीने की गठरी बाँध कर आश्रम की ओर बढ़ चला ।काफी दूर चलने के बाद उसे एक हवेली दिखाई दी । अनाम वहाँ गया और रात भर के लिए शरण माँगी ।हवेली की मालकिन ने पूछा – बेटा कहाँ जा रहे हो ?अनाम मैं मतंग ऋषि के आश्रम जा रहा हूँ ।मालकिन – बहुत अच्छा, उनसे मेरे एक प्रश्न का उत्तर मांग कर लाना, कि मेरी बेटी 20 साल की हो गयी है, वह देखने में अत्यंत सुन्दर है, उसके अन्दर हर प्रकार के गुण भी विद्यमान हैं । बेचारी ने अभी तक एक शब्द नहीं बोला है, पूछना वह कब बोलना शुरू करेगी ? और ऐसा कहते-कहते मालकिन रो पड़ीं ।अनाम - जी आप परेशान ना हों, मैं आपका उत्तर ज़रूर लेकर आऊँगा ।अनाम अगले दिन आगे चल पड़ा । रास्ता बहुत ज्यादा लंबा था । रास्ते में उसे बड़े-बड़े बर्फीले पहाड़ मिले । उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे पार करूँ ? समय बीत रहा था । तभी उसे एक तांत्रिक दिखाई दिया जो वहाँ बैठ कर तपस्या कर रहा था ।अनाम, तांत्रिक के पास गया और उससे बोला कि मुझे मतंग ऋषि के दर्शन को जाना है कैसे जाऊँ ? रास्ता तो बहुत ही परेशानी वाला लग रहा है ?तांत्रिक मैं तुम्हारा सफ़र आसान बना दूँगा पर तुम्हे मेरे एक प्रश्न का उत्तर लाना होगा।अनाम- किन्तु जब आप मुझे वहाँ पहुँचा सकते हैं, तो स्वयं क्यों नहीं चले जाते ?तांत्रिक - क्योंकि मैंने इस स्थान को छोड़ा तो मेरी तपस्या भंग हो जायेगी ।अनाम - ठीक है आप अपना प्रश्न बताएँ ।तांत्रिक - पूछना मेरी तपस्या कब सफल होगी ? मुझे ज्ञान कब मिलेगा ?अनाम - ठीक है, मैं इस प्रश्न का उत्तर ज़रूर लाऊँगा ।इसके बाद तांत्रिक ने अपनी तांत्रिक विद्या से लड़के को पहाड़ पार करा दिया।अब आश्रम तक पहुँचने के लिए सिर्फ एक नदी ही पार करनी थी ।अनाम इतनी विशाल नदी देखकर घबरा गया, तभी उसे नदी के किनारे एक बड़ा सा कछुआ दिखाई दिया । लड़के ने कछुए से मदद माँगी । आप मुझे अपनी पीठ पर बैठाकर नदी पार करा दीजिए ।कछुए ने कहा ठीक है । जब दोनों नदी पार कर रहे थे, तो कछुए ने पूछा- कहाँ जा रहे हो ?अनाम ने उत्तर दिया - मैं मतंग ऋषि से मिलने जा रहा हूँ ।कछुए ने कहा - “ये तो बहुत अच्छी बात है । क्या तुम मेरा एक प्रश्न उनसे पूछ सकते हो ?अनाम - जी अपना प्रश्न बताइए ।कछुआ° – मैं एक असाधारण कछुआ हूँ जो समय आने पर ड्रैगन बन सकता है । 500 सालों से मै इसी नदी में हूँ और ड्रैगन बनने की कोशिश कर रहा हूँ । मैं ड्रैगन कब बनूँगा ? बस यह पूछ कर के आ जाना ।नदी पार करके कुछ दूर जाने पर मतंग ऋषि का आश्रम दिखाई देने लगा ।आश्रम में प्रवेश करने पर शिष्यों ने अनाम का स्वागत किया ।संध्या समय ऋषि ने अनाम को दर्शन दिए और बोले – पुत्र, मैं तुम्हारे किन्ही भी तीन प्रश्नों का उत्तर दे सकता हूँ । पूछो अपने प्रश्न ।अनाम असमंजस में फंस गया कि वह अपना प्रश्न पूछे या उसकी मदद करने वाली मालकिन, तांत्रिक और कछुए का !वह अपना प्रश्न पूछना चाहता था, पर उसने सोचा कि उसे मुसीबत में मदद करने वाले लोगों का उपकार नहीं भूलना चाहिये, उसे ये नहीं भूलना चाहिए कि उसने उन लोगों से उनके प्रश्नों के उत्तर लाने का वादा किया है ।उसी पल उसने निश्चय किया कि वह खूब मेहनत करेगा और अपनी ज़िन्दगी बदल देगा … लेकिन इस समय उन 3 लोगों की जिंदगी में बदलाव लाना जरूरी है । और यही सोचते-सोचते उसने ऋषि से पूछा हवेली के मालिक की बेटी कब बोलेगी ?ऋषि° – जैसे ही उसका विवाह होगा, वह बोलना शुरू कर देगी ।अनाम – तांत्रिक को मोक्ष कब प्राप्त होगा ?ऋषि – जब वह अपनी तांत्रिक विद्या का मोह छोड़ उसे किसी और को दे देगा तब उसे ज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी ।अनाम – वह कछुआ ड्रैगन कब बनेगा ?ऋषि – जिस दिन उसने अपना कवच उतार दिया वह ड्रैगन बन जाएगा ।अनाम ऋषि से उत्तर जानकर बहुत प्रसन्न हुआ । अगली सुबह वह ऋषि का चरण स्पर्श कर वहाँ से प्रस्थान कर गया। वापस रास्ते में कछुआ मिला । उसने अनाम को नदी पार करा दी और अपने प्रश्न के बारे में पूछा । तब अनाम ने कछुए से कहा कि भैया अगर तुम अपना कवच उतार दो तो तुम ड्रैगन बन जाओगे ।कछुए ने जैसे ही कवच उतारा, उसमे से ढेरों मोती झड़ने लगे, कछुए ने वे सारे मोती अनाम को दे दिए और कुछ ही पलों में ड्रैगन में बदल गया । उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा । उसने फ़ौरन अनाम को अपने ऊपर बिठाया और बर्फीली पहाड़ियाँ पार करा दीं । थोड़ा आगे जाने पर उसे तांत्रिक मिला ।अनाम- ने उसे ऋषि की बात बता दी, कि जब आप अपनी तांत्रिक विद्या किसी और को दे देंगे तो आपको ज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी ।तांत्रिक- बोला, अब मैं कहाँ किसे ढूँढ़ने जाऊँगा, ऐसा करो तुम ही मेरी विद्या ले लो और ऐसा कहते हुए तांत्रिक ने अपनी सारी विद्या अनाम को दे दी और अगले ही क्षण उसे ज्ञान प्राप्ति की अनुभूति हो गयी ।अनाम वहाँ से आगे बढ़ा और तांत्रिक से मिली विद्या के दम पर जल्द ही हवेली पहुँच गया ।मालकिन ने उसे देखते ही पूछा क्या कहा, ऋषि मतंग ने मेरी बिटिया के बारे में ?“जिस दिन उसकी शादी हो जायेगी, वह बोलने लगेगी ।”, अनाम ने उत्तर दिया ।मालकिन बोलीं तो देर किस बात की है, तुम इतनी बड़ी खुशखबरी लाये हो भला तुम से अच्छा लड़का उसके लिए कौन हो सकता है ?दोनों की शादी करा दी गयी और सचमुच लड़की बोलने लगी ।अनाम- अपनी पत्नी को लेकर गाँव पहुँचा । उसने सबसे पहले उस चूहे को धन्यवाद दिया और अपनी नयी हवेली में उसके लिए भी रहने की एक जगह बनवा दी ।बाल वनिता महिला आश्रमकभी जीवन से हार चुके अनाम के पास आज धन-दौलत,परिवार,ताकत सब कुछ था,सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने अपने प्रश्न का त्याग किया था,उसने खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचा था और यही जीवन में कामयाब होने का फार्मूला है,ये मत पूछिए कि औरों ने आपके लिए क्या किया ये सोचिये कि आपने औरों के लिए क्या किया ? जब आप इस सेवा भाव के साथ दुनियाँ की सेवा करेंगे और दूसरों के लिए अपनी इच्छा का त्याग करेंगे तो ईश्वर आपके जीवन में भी चमत्कार करेगा और त्याग की ताकत से आपको जीवन की हर खुशियाँ सहज ही प्राप्त हो जायेंगी ..!!〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️

त्याग की कहानी 
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बहुत पुरानी बात है। किसी नगर में अनाम नाम का एक नवयुवक रहता था । बेचारे के मां-बाप स्वर्ग सिधार चुके थे । गरीब होने के कारण उसके पास अपने खेत भी नहीं थे, औरों के खेतों में वह दिन भर छोटे-मोटे काम करता और बदले में खाने के लिए आटा-चावल ले आता । घर आकर वह अपना भोजन तैयार करता और खा-पीकर सो जाता । जीवन ऐसे ही संघर्षपूर्ण था, ऊपर से एक और मुसीबत उसके पीछे पड़ गयी ।

एक दिन उसने अपने लिए चार रोटियाँ बनाई । हाथ-मुंह धो कर वापस आया, तब तक 3 ही बचीं । दूसरे दिन भी यही हुआ । तीसरे दिन उसने रोटियाँ बनाने के बाद उस स्थान पर नज़र रखी । उसने देखा कि कुछ देर बाद वहाँ एक मोटा सा चूहा आता है और एक रोटी उठा कर वहाँ से जाने लगता है । अनाम तैयार रहता है, वह फ़ौरन चूहे को पकड़ लेता है ।

चूहा बोला .. “भैया, मेरी किस्मत का क्यों खा रहे हो ? मेरी चपाती मुझे ले जाने दो"।

“तुम्हें ले जाने दी तो मेरा पेट कैसे भरेगा ? मैं पहले से ही अपने जीवन से परेशान हूँ, ऊपर से अब पेट भर खाना भी ना मिले तो मैं क्या करूँगा …. ना जाने मेरे जीवन में खुशहाली कब आएगी ?”, अनाम बोला ।

इस पर चूहे ने कहा - तुम्हारे सारे सवालों का जवाब तुम्हें मतंग ऋषि दे सकते हैं।
अनाम ने पूछा कौन हैं वह ? 

चूहे ने उत्तर दिया - वह एक पहुँचे हुए संत हैं, उत्तर दिशा में कई पर्वतों और नदियों को पार करके ही उनके आश्रम तक पहुँचा जा सकता है । तुम उन्हीं के पास जाओ, वही तुम्हारा उद्धार करेंगे ।

अनाम चूहे की बात मान गया, और अगली सुबह ही खाने-पीने की गठरी बाँध कर आश्रम की ओर बढ़ चला ।

काफी दूर चलने के बाद उसे एक हवेली दिखाई दी । अनाम वहाँ गया और रात भर के लिए शरण माँगी ।

हवेली की मालकिन ने पूछा – बेटा कहाँ जा रहे हो ?

अनाम मैं मतंग ऋषि के आश्रम जा रहा हूँ ।

मालकिन – बहुत अच्छा, उनसे मेरे एक प्रश्न का उत्तर मांग कर लाना, कि मेरी बेटी 20 साल की हो गयी है, वह देखने में अत्यंत सुन्दर है, उसके अन्दर हर प्रकार के गुण भी विद्यमान हैं । बेचारी ने अभी तक एक शब्द नहीं बोला है, पूछना वह कब बोलना शुरू करेगी ? और ऐसा कहते-कहते मालकिन रो पड़ीं ।

अनाम - जी आप परेशान ना हों, मैं आपका उत्तर ज़रूर लेकर आऊँगा ।
अनाम अगले दिन आगे चल पड़ा । रास्ता बहुत ज्यादा लंबा था । रास्ते में उसे बड़े-बड़े बर्फीले पहाड़ मिले । उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे पार करूँ ? समय बीत रहा था । तभी उसे एक तांत्रिक दिखाई दिया जो वहाँ बैठ कर तपस्या कर रहा था ।

अनाम, तांत्रिक के पास गया और उससे बोला कि मुझे मतंग ऋषि के दर्शन को जाना है कैसे जाऊँ ? रास्ता तो बहुत ही परेशानी वाला लग रहा है ?

तांत्रिक मैं तुम्हारा सफ़र आसान बना दूँगा पर तुम्हे मेरे एक प्रश्न का उत्तर लाना होगा।

अनाम- किन्तु जब आप मुझे वहाँ पहुँचा सकते हैं, तो स्वयं क्यों नहीं चले जाते ?

तांत्रिक - क्योंकि मैंने इस स्थान को छोड़ा तो मेरी तपस्या भंग हो जायेगी ।

अनाम - ठीक है आप अपना प्रश्न बताएँ ।

तांत्रिक - पूछना मेरी तपस्या कब सफल होगी ? मुझे ज्ञान कब मिलेगा ?

अनाम - ठीक है, मैं इस प्रश्न का उत्तर ज़रूर लाऊँगा ।

इसके बाद तांत्रिक ने अपनी तांत्रिक विद्या से लड़के को पहाड़ पार करा दिया।

अब आश्रम तक पहुँचने के लिए सिर्फ एक नदी ही पार करनी थी ।

अनाम इतनी विशाल नदी देखकर घबरा गया, तभी उसे नदी के किनारे एक बड़ा सा कछुआ दिखाई दिया । लड़के ने कछुए से मदद माँगी । आप मुझे अपनी पीठ पर बैठाकर नदी पार करा दीजिए ।

कछुए ने कहा ठीक है । जब दोनों नदी पार कर रहे थे, तो कछुए ने पूछा- कहाँ जा रहे हो ?

अनाम ने उत्तर दिया - मैं मतंग ऋषि से मिलने जा रहा हूँ ।

कछुए ने कहा - “ये तो बहुत अच्छी बात है । क्या तुम मेरा एक प्रश्न उनसे पूछ सकते हो ?

अनाम - जी अपना प्रश्न बताइए ।

कछुआ° – मैं एक असाधारण कछुआ हूँ जो समय आने पर ड्रैगन बन सकता है । 500 सालों से मै इसी नदी में हूँ और ड्रैगन बनने की कोशिश कर रहा हूँ । मैं ड्रैगन कब बनूँगा ? बस यह पूछ कर के आ जाना ।

नदी पार करके कुछ दूर जाने पर मतंग ऋषि का आश्रम दिखाई देने लगा ।
आश्रम में प्रवेश करने पर शिष्यों ने अनाम का स्वागत किया ।

संध्या समय ऋषि ने अनाम को दर्शन दिए और बोले – पुत्र, मैं तुम्हारे किन्ही भी तीन प्रश्नों का उत्तर दे सकता हूँ । पूछो अपने प्रश्न ।

अनाम असमंजस में फंस गया कि वह अपना प्रश्न पूछे या उसकी मदद करने वाली मालकिन, तांत्रिक और कछुए का !

वह अपना प्रश्न पूछना चाहता था, पर उसने सोचा कि उसे मुसीबत में मदद करने वाले लोगों का उपकार नहीं भूलना चाहिये, उसे ये नहीं भूलना चाहिए कि उसने उन लोगों से उनके प्रश्नों के उत्तर लाने का वादा किया है ।

उसी पल उसने निश्चय किया कि वह खूब मेहनत करेगा और अपनी ज़िन्दगी बदल देगा … लेकिन इस समय उन 3 लोगों की जिंदगी में बदलाव लाना जरूरी है । और यही सोचते-सोचते उसने ऋषि से पूछा हवेली के मालिक की बेटी कब बोलेगी ?

ऋषि° – जैसे ही उसका विवाह होगा, वह बोलना शुरू कर देगी ।

अनाम – तांत्रिक को मोक्ष कब प्राप्त होगा ?

ऋषि – जब वह अपनी तांत्रिक विद्या का मोह छोड़ उसे किसी और को दे देगा तब उसे ज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी ।

अनाम – वह कछुआ ड्रैगन कब बनेगा ?

ऋषि – जिस दिन उसने अपना कवच उतार दिया वह ड्रैगन बन जाएगा ।

अनाम ऋषि से उत्तर जानकर बहुत प्रसन्न हुआ । अगली सुबह वह ऋषि का चरण स्पर्श कर वहाँ से प्रस्थान कर गया। वापस रास्ते में कछुआ मिला । उसने अनाम को नदी पार करा दी और अपने प्रश्न के बारे में पूछा । तब अनाम ने कछुए से कहा कि भैया अगर तुम अपना कवच उतार दो तो तुम ड्रैगन बन जाओगे ।
कछुए ने जैसे ही कवच उतारा, उसमे से ढेरों मोती झड़ने लगे, कछुए ने वे सारे मोती अनाम को दे दिए और कुछ ही पलों में ड्रैगन में बदल गया । उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा । उसने फ़ौरन अनाम को अपने ऊपर बिठाया और बर्फीली पहाड़ियाँ पार करा दीं । थोड़ा आगे जाने पर उसे तांत्रिक मिला ।

अनाम- ने उसे ऋषि की बात बता दी, कि जब आप अपनी तांत्रिक विद्या किसी और को दे देंगे तो आपको ज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी ।

तांत्रिक- बोला, अब मैं कहाँ किसे ढूँढ़ने जाऊँगा, ऐसा करो तुम ही मेरी विद्या ले लो और ऐसा कहते हुए तांत्रिक ने अपनी सारी विद्या अनाम को दे दी और अगले ही क्षण उसे ज्ञान प्राप्ति की अनुभूति हो गयी ।

अनाम वहाँ से आगे बढ़ा और तांत्रिक से मिली विद्या के दम पर जल्द ही हवेली पहुँच गया ।

मालकिन ने उसे देखते ही पूछा क्या कहा, ऋषि मतंग ने मेरी बिटिया के बारे में ?

“जिस दिन उसकी शादी हो जायेगी, वह बोलने लगेगी ।”, अनाम ने उत्तर दिया ।
मालकिन बोलीं तो देर किस बात की है, तुम इतनी बड़ी खुशखबरी लाये हो भला तुम से अच्छा लड़का उसके लिए कौन हो सकता है ?
दोनों की शादी करा दी गयी और सचमुच लड़की बोलने लगी ।

अनाम- अपनी पत्नी को लेकर गाँव पहुँचा । उसने सबसे पहले उस चूहे को धन्यवाद दिया और अपनी नयी हवेली में उसके लिए भी रहने की एक जगह बनवा दी ।

कभी जीवन से हार चुके अनाम के पास आज धन-दौलत,परिवार,ताकत सब कुछ था,सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने अपने प्रश्न का त्याग किया था,उसने खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचा था और यही जीवन में कामयाब होने का फार्मूला है,ये मत पूछिए कि औरों ने आपके लिए क्या किया ये सोचिये कि आपने औरों के लिए क्या किया ? जब आप इस सेवा भाव के साथ दुनियाँ की सेवा करेंगे और दूसरों के लिए अपनी इच्छा का त्याग करेंगे तो ईश्वर आपके जीवन में भी चमत्कार करेगा और त्याग की ताकत से आपको जीवन की हर खुशियाँ सहज ही प्राप्त हो जायेंगी ..!!
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अपनी जन्म कुंडली से मालदार होने के लक्षण कैसे जाने ? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब श्रीमान जी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मालदार या संपन्नता के लिए लक्षण जन्म कुंडली मे विद्यमान ग्रहो के संयोजन से जाना जा सकता है कुछ योग जिनके जन्म कुंडली मे होने पर व्यक्ति अवश्य मालदार या धनी होगा जो इस प्रकार से हैं - ● जन्म कुंडली मे द्वितीय व एकादश भाव के स्वामी एक दूसरे के भाव मे विद्यमान हो अथवा दोनो एक साथ किसी भी केंद्र ( प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, दशम)अथवा त्रिकोण स्थान ( पंचम, नवम) मे स्थित होने पर जातक अवश्य ही मालदार होगा । ● यदि धन भाव का स्वामी पंचम मे हो तो जातक मालदार होगा यदि धनेश होकर गुरु पंचम भाव मे विद्यमान हो तो विशेष फल एवं शीघ्र प्रभावकारी योग बनता है । ● यदि द्वितीय व चतुर्थ भाव के स्वामी नवम भाव मे हो तथा लग्नेश उच्च राशि का होकर एकादश भाव मे विद्यमान हो तथा नवम भाव का स्वामी भी बली होकर द्वितीय भाव मे स्थित हो तो जातक अत्यन्त मालदार एवं धनी होगा । ● जन्म कुंडली मे द्वितीय भाव मे चन्द्र, गुरु ,शुक्र हो तथा नवम के स्वामी की तीनो पर द्रष्टि हो तो जातक आवश्यक रूप से मालदार होगा । ● क...

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*अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *क्रमांक =०४* *🚩आइए जानते हैं सनातन धर्म में 16 संस्कार को🙏🏻*   By वनिता कासनियां पंजाब *👉🏻जो माता बहन परिवार नियोजन (family planning)  कर रहे हैं ये वो ज़रूर पढ़ें👇🏻* *1.* गर्भाधान संस्कार,  *2.* पुंसवन संस्कार.  *3.* सीमन्तोन्नयन संस्कार,  *4.* जातकर्म संस्कार,  *5.* नामकरण संस्कार,  *6.* निष्क्रमण संस्कार,  *7.* अन्नप्राशन संस्कार,  *8.* चूड़ाकर्म संस्कार,  *9.* विद्यारम्भ संस्कार,  *10.* कर्णवेध संस्कार,  *11.* यज्ञोपवीत संस्कार,  *12.* वेदारम्भ संस्कार,  *13.* केशान्त संस्कार,  *14.* समावर्तन संस्कार,  *15.* विवाह संस्कार,  *16.* अंत्येष्टि संस्कार। *🚩🤰🏻गर्भाधान संस्कार :* गर्भाधान संस्कार के माध्यम से हिन्दू धर्म सन्देश देता है कि स्त्री-पुरुष संबंध पशुवत न होकर केवल वंशवृद्धि के लिए होना चाहिए। मानसिक और शारीरिक  रूप से स्वस्थ होने, मन प्रसन्न होने पर गर्भधारण करने से संतति स्वस्थ और बुद्धिमान होती है। *🚩पुंसवन संस्कार :* गर्भ धारण के तीन माह बाद गर्भ में...