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त्याग की कहानी 〰️〰️🌼〰️〰️By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबबहुत पुरानी बात है। किसी नगर में अनाम नाम का एक नवयुवक रहता था । बेचारे के मां-बाप स्वर्ग सिधार चुके थे । गरीब होने के कारण उसके पास अपने खेत भी नहीं थे, औरों के खेतों में वह दिन भर छोटे-मोटे काम करता और बदले में खाने के लिए आटा-चावल ले आता । घर आकर वह अपना भोजन तैयार करता और खा-पीकर सो जाता । जीवन ऐसे ही संघर्षपूर्ण था, ऊपर से एक और मुसीबत उसके पीछे पड़ गयी ।एक दिन उसने अपने लिए चार रोटियाँ बनाई । हाथ-मुंह धो कर वापस आया, तब तक 3 ही बचीं । दूसरे दिन भी यही हुआ । तीसरे दिन उसने रोटियाँ बनाने के बाद उस स्थान पर नज़र रखी । उसने देखा कि कुछ देर बाद वहाँ एक मोटा सा चूहा आता है और एक रोटी उठा कर वहाँ से जाने लगता है । अनाम तैयार रहता है, वह फ़ौरन चूहे को पकड़ लेता है ।चूहा बोला .. “भैया, मेरी किस्मत का क्यों खा रहे हो ? मेरी चपाती मुझे ले जाने दो"।“तुम्हें ले जाने दी तो मेरा पेट कैसे भरेगा ? मैं पहले से ही अपने जीवन से परेशान हूँ, ऊपर से अब पेट भर खाना भी ना मिले तो मैं क्या करूँगा …. ना जाने मेरे जीवन में खुशहाली कब आएगी ?”, अनाम बोला ।इस पर चूहे ने कहा - तुम्हारे सारे सवालों का जवाब तुम्हें मतंग ऋषि दे सकते हैं।अनाम ने पूछा कौन हैं वह ? चूहे ने उत्तर दिया - वह एक पहुँचे हुए संत हैं, उत्तर दिशा में कई पर्वतों और नदियों को पार करके ही उनके आश्रम तक पहुँचा जा सकता है । तुम उन्हीं के पास जाओ, वही तुम्हारा उद्धार करेंगे ।अनाम चूहे की बात मान गया, और अगली सुबह ही खाने-पीने की गठरी बाँध कर आश्रम की ओर बढ़ चला ।काफी दूर चलने के बाद उसे एक हवेली दिखाई दी । अनाम वहाँ गया और रात भर के लिए शरण माँगी ।हवेली की मालकिन ने पूछा – बेटा कहाँ जा रहे हो ?अनाम मैं मतंग ऋषि के आश्रम जा रहा हूँ ।मालकिन – बहुत अच्छा, उनसे मेरे एक प्रश्न का उत्तर मांग कर लाना, कि मेरी बेटी 20 साल की हो गयी है, वह देखने में अत्यंत सुन्दर है, उसके अन्दर हर प्रकार के गुण भी विद्यमान हैं । बेचारी ने अभी तक एक शब्द नहीं बोला है, पूछना वह कब बोलना शुरू करेगी ? और ऐसा कहते-कहते मालकिन रो पड़ीं ।अनाम - जी आप परेशान ना हों, मैं आपका उत्तर ज़रूर लेकर आऊँगा ।अनाम अगले दिन आगे चल पड़ा । रास्ता बहुत ज्यादा लंबा था । रास्ते में उसे बड़े-बड़े बर्फीले पहाड़ मिले । उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे पार करूँ ? समय बीत रहा था । तभी उसे एक तांत्रिक दिखाई दिया जो वहाँ बैठ कर तपस्या कर रहा था ।अनाम, तांत्रिक के पास गया और उससे बोला कि मुझे मतंग ऋषि के दर्शन को जाना है कैसे जाऊँ ? रास्ता तो बहुत ही परेशानी वाला लग रहा है ?तांत्रिक मैं तुम्हारा सफ़र आसान बना दूँगा पर तुम्हे मेरे एक प्रश्न का उत्तर लाना होगा।अनाम- किन्तु जब आप मुझे वहाँ पहुँचा सकते हैं, तो स्वयं क्यों नहीं चले जाते ?तांत्रिक - क्योंकि मैंने इस स्थान को छोड़ा तो मेरी तपस्या भंग हो जायेगी ।अनाम - ठीक है आप अपना प्रश्न बताएँ ।तांत्रिक - पूछना मेरी तपस्या कब सफल होगी ? मुझे ज्ञान कब मिलेगा ?अनाम - ठीक है, मैं इस प्रश्न का उत्तर ज़रूर लाऊँगा ।इसके बाद तांत्रिक ने अपनी तांत्रिक विद्या से लड़के को पहाड़ पार करा दिया।अब आश्रम तक पहुँचने के लिए सिर्फ एक नदी ही पार करनी थी ।अनाम इतनी विशाल नदी देखकर घबरा गया, तभी उसे नदी के किनारे एक बड़ा सा कछुआ दिखाई दिया । लड़के ने कछुए से मदद माँगी । आप मुझे अपनी पीठ पर बैठाकर नदी पार करा दीजिए ।कछुए ने कहा ठीक है । जब दोनों नदी पार कर रहे थे, तो कछुए ने पूछा- कहाँ जा रहे हो ?अनाम ने उत्तर दिया - मैं मतंग ऋषि से मिलने जा रहा हूँ ।कछुए ने कहा - “ये तो बहुत अच्छी बात है । क्या तुम मेरा एक प्रश्न उनसे पूछ सकते हो ?अनाम - जी अपना प्रश्न बताइए ।कछुआ° – मैं एक असाधारण कछुआ हूँ जो समय आने पर ड्रैगन बन सकता है । 500 सालों से मै इसी नदी में हूँ और ड्रैगन बनने की कोशिश कर रहा हूँ । मैं ड्रैगन कब बनूँगा ? बस यह पूछ कर के आ जाना ।नदी पार करके कुछ दूर जाने पर मतंग ऋषि का आश्रम दिखाई देने लगा ।आश्रम में प्रवेश करने पर शिष्यों ने अनाम का स्वागत किया ।संध्या समय ऋषि ने अनाम को दर्शन दिए और बोले – पुत्र, मैं तुम्हारे किन्ही भी तीन प्रश्नों का उत्तर दे सकता हूँ । पूछो अपने प्रश्न ।अनाम असमंजस में फंस गया कि वह अपना प्रश्न पूछे या उसकी मदद करने वाली मालकिन, तांत्रिक और कछुए का !वह अपना प्रश्न पूछना चाहता था, पर उसने सोचा कि उसे मुसीबत में मदद करने वाले लोगों का उपकार नहीं भूलना चाहिये, उसे ये नहीं भूलना चाहिए कि उसने उन लोगों से उनके प्रश्नों के उत्तर लाने का वादा किया है ।उसी पल उसने निश्चय किया कि वह खूब मेहनत करेगा और अपनी ज़िन्दगी बदल देगा … लेकिन इस समय उन 3 लोगों की जिंदगी में बदलाव लाना जरूरी है । और यही सोचते-सोचते उसने ऋषि से पूछा हवेली के मालिक की बेटी कब बोलेगी ?ऋषि° – जैसे ही उसका विवाह होगा, वह बोलना शुरू कर देगी ।अनाम – तांत्रिक को मोक्ष कब प्राप्त होगा ?ऋषि – जब वह अपनी तांत्रिक विद्या का मोह छोड़ उसे किसी और को दे देगा तब उसे ज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी ।अनाम – वह कछुआ ड्रैगन कब बनेगा ?ऋषि – जिस दिन उसने अपना कवच उतार दिया वह ड्रैगन बन जाएगा ।अनाम ऋषि से उत्तर जानकर बहुत प्रसन्न हुआ । अगली सुबह वह ऋषि का चरण स्पर्श कर वहाँ से प्रस्थान कर गया। वापस रास्ते में कछुआ मिला । उसने अनाम को नदी पार करा दी और अपने प्रश्न के बारे में पूछा । तब अनाम ने कछुए से कहा कि भैया अगर तुम अपना कवच उतार दो तो तुम ड्रैगन बन जाओगे ।कछुए ने जैसे ही कवच उतारा, उसमे से ढेरों मोती झड़ने लगे, कछुए ने वे सारे मोती अनाम को दे दिए और कुछ ही पलों में ड्रैगन में बदल गया । उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा । उसने फ़ौरन अनाम को अपने ऊपर बिठाया और बर्फीली पहाड़ियाँ पार करा दीं । थोड़ा आगे जाने पर उसे तांत्रिक मिला ।अनाम- ने उसे ऋषि की बात बता दी, कि जब आप अपनी तांत्रिक विद्या किसी और को दे देंगे तो आपको ज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी ।तांत्रिक- बोला, अब मैं कहाँ किसे ढूँढ़ने जाऊँगा, ऐसा करो तुम ही मेरी विद्या ले लो और ऐसा कहते हुए तांत्रिक ने अपनी सारी विद्या अनाम को दे दी और अगले ही क्षण उसे ज्ञान प्राप्ति की अनुभूति हो गयी ।अनाम वहाँ से आगे बढ़ा और तांत्रिक से मिली विद्या के दम पर जल्द ही हवेली पहुँच गया ।मालकिन ने उसे देखते ही पूछा क्या कहा, ऋषि मतंग ने मेरी बिटिया के बारे में ?“जिस दिन उसकी शादी हो जायेगी, वह बोलने लगेगी ।”, अनाम ने उत्तर दिया ।मालकिन बोलीं तो देर किस बात की है, तुम इतनी बड़ी खुशखबरी लाये हो भला तुम से अच्छा लड़का उसके लिए कौन हो सकता है ?दोनों की शादी करा दी गयी और सचमुच लड़की बोलने लगी ।अनाम- अपनी पत्नी को लेकर गाँव पहुँचा । उसने सबसे पहले उस चूहे को धन्यवाद दिया और अपनी नयी हवेली में उसके लिए भी रहने की एक जगह बनवा दी ।बाल वनिता महिला आश्रमकभी जीवन से हार चुके अनाम के पास आज धन-दौलत,परिवार,ताकत सब कुछ था,सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने अपने प्रश्न का त्याग किया था,उसने खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचा था और यही जीवन में कामयाब होने का फार्मूला है,ये मत पूछिए कि औरों ने आपके लिए क्या किया ये सोचिये कि आपने औरों के लिए क्या किया ? जब आप इस सेवा भाव के साथ दुनियाँ की सेवा करेंगे और दूसरों के लिए अपनी इच्छा का त्याग करेंगे तो ईश्वर आपके जीवन में भी चमत्कार करेगा और त्याग की ताकत से आपको जीवन की हर खुशियाँ सहज ही प्राप्त हो जायेंगी ..!!〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️

त्याग की कहानी 
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बहुत पुरानी बात है। किसी नगर में अनाम नाम का एक नवयुवक रहता था । बेचारे के मां-बाप स्वर्ग सिधार चुके थे । गरीब होने के कारण उसके पास अपने खेत भी नहीं थे, औरों के खेतों में वह दिन भर छोटे-मोटे काम करता और बदले में खाने के लिए आटा-चावल ले आता । घर आकर वह अपना भोजन तैयार करता और खा-पीकर सो जाता । जीवन ऐसे ही संघर्षपूर्ण था, ऊपर से एक और मुसीबत उसके पीछे पड़ गयी ।

एक दिन उसने अपने लिए चार रोटियाँ बनाई । हाथ-मुंह धो कर वापस आया, तब तक 3 ही बचीं । दूसरे दिन भी यही हुआ । तीसरे दिन उसने रोटियाँ बनाने के बाद उस स्थान पर नज़र रखी । उसने देखा कि कुछ देर बाद वहाँ एक मोटा सा चूहा आता है और एक रोटी उठा कर वहाँ से जाने लगता है । अनाम तैयार रहता है, वह फ़ौरन चूहे को पकड़ लेता है ।

चूहा बोला .. “भैया, मेरी किस्मत का क्यों खा रहे हो ? मेरी चपाती मुझे ले जाने दो"।

“तुम्हें ले जाने दी तो मेरा पेट कैसे भरेगा ? मैं पहले से ही अपने जीवन से परेशान हूँ, ऊपर से अब पेट भर खाना भी ना मिले तो मैं क्या करूँगा …. ना जाने मेरे जीवन में खुशहाली कब आएगी ?”, अनाम बोला ।

इस पर चूहे ने कहा - तुम्हारे सारे सवालों का जवाब तुम्हें मतंग ऋषि दे सकते हैं।
अनाम ने पूछा कौन हैं वह ? 

चूहे ने उत्तर दिया - वह एक पहुँचे हुए संत हैं, उत्तर दिशा में कई पर्वतों और नदियों को पार करके ही उनके आश्रम तक पहुँचा जा सकता है । तुम उन्हीं के पास जाओ, वही तुम्हारा उद्धार करेंगे ।

अनाम चूहे की बात मान गया, और अगली सुबह ही खाने-पीने की गठरी बाँध कर आश्रम की ओर बढ़ चला ।

काफी दूर चलने के बाद उसे एक हवेली दिखाई दी । अनाम वहाँ गया और रात भर के लिए शरण माँगी ।

हवेली की मालकिन ने पूछा – बेटा कहाँ जा रहे हो ?

अनाम मैं मतंग ऋषि के आश्रम जा रहा हूँ ।

मालकिन – बहुत अच्छा, उनसे मेरे एक प्रश्न का उत्तर मांग कर लाना, कि मेरी बेटी 20 साल की हो गयी है, वह देखने में अत्यंत सुन्दर है, उसके अन्दर हर प्रकार के गुण भी विद्यमान हैं । बेचारी ने अभी तक एक शब्द नहीं बोला है, पूछना वह कब बोलना शुरू करेगी ? और ऐसा कहते-कहते मालकिन रो पड़ीं ।

अनाम - जी आप परेशान ना हों, मैं आपका उत्तर ज़रूर लेकर आऊँगा ।
अनाम अगले दिन आगे चल पड़ा । रास्ता बहुत ज्यादा लंबा था । रास्ते में उसे बड़े-बड़े बर्फीले पहाड़ मिले । उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे पार करूँ ? समय बीत रहा था । तभी उसे एक तांत्रिक दिखाई दिया जो वहाँ बैठ कर तपस्या कर रहा था ।

अनाम, तांत्रिक के पास गया और उससे बोला कि मुझे मतंग ऋषि के दर्शन को जाना है कैसे जाऊँ ? रास्ता तो बहुत ही परेशानी वाला लग रहा है ?

तांत्रिक मैं तुम्हारा सफ़र आसान बना दूँगा पर तुम्हे मेरे एक प्रश्न का उत्तर लाना होगा।

अनाम- किन्तु जब आप मुझे वहाँ पहुँचा सकते हैं, तो स्वयं क्यों नहीं चले जाते ?

तांत्रिक - क्योंकि मैंने इस स्थान को छोड़ा तो मेरी तपस्या भंग हो जायेगी ।

अनाम - ठीक है आप अपना प्रश्न बताएँ ।

तांत्रिक - पूछना मेरी तपस्या कब सफल होगी ? मुझे ज्ञान कब मिलेगा ?

अनाम - ठीक है, मैं इस प्रश्न का उत्तर ज़रूर लाऊँगा ।

इसके बाद तांत्रिक ने अपनी तांत्रिक विद्या से लड़के को पहाड़ पार करा दिया।

अब आश्रम तक पहुँचने के लिए सिर्फ एक नदी ही पार करनी थी ।

अनाम इतनी विशाल नदी देखकर घबरा गया, तभी उसे नदी के किनारे एक बड़ा सा कछुआ दिखाई दिया । लड़के ने कछुए से मदद माँगी । आप मुझे अपनी पीठ पर बैठाकर नदी पार करा दीजिए ।

कछुए ने कहा ठीक है । जब दोनों नदी पार कर रहे थे, तो कछुए ने पूछा- कहाँ जा रहे हो ?

अनाम ने उत्तर दिया - मैं मतंग ऋषि से मिलने जा रहा हूँ ।

कछुए ने कहा - “ये तो बहुत अच्छी बात है । क्या तुम मेरा एक प्रश्न उनसे पूछ सकते हो ?

अनाम - जी अपना प्रश्न बताइए ।

कछुआ° – मैं एक असाधारण कछुआ हूँ जो समय आने पर ड्रैगन बन सकता है । 500 सालों से मै इसी नदी में हूँ और ड्रैगन बनने की कोशिश कर रहा हूँ । मैं ड्रैगन कब बनूँगा ? बस यह पूछ कर के आ जाना ।

नदी पार करके कुछ दूर जाने पर मतंग ऋषि का आश्रम दिखाई देने लगा ।
आश्रम में प्रवेश करने पर शिष्यों ने अनाम का स्वागत किया ।

संध्या समय ऋषि ने अनाम को दर्शन दिए और बोले – पुत्र, मैं तुम्हारे किन्ही भी तीन प्रश्नों का उत्तर दे सकता हूँ । पूछो अपने प्रश्न ।

अनाम असमंजस में फंस गया कि वह अपना प्रश्न पूछे या उसकी मदद करने वाली मालकिन, तांत्रिक और कछुए का !

वह अपना प्रश्न पूछना चाहता था, पर उसने सोचा कि उसे मुसीबत में मदद करने वाले लोगों का उपकार नहीं भूलना चाहिये, उसे ये नहीं भूलना चाहिए कि उसने उन लोगों से उनके प्रश्नों के उत्तर लाने का वादा किया है ।

उसी पल उसने निश्चय किया कि वह खूब मेहनत करेगा और अपनी ज़िन्दगी बदल देगा … लेकिन इस समय उन 3 लोगों की जिंदगी में बदलाव लाना जरूरी है । और यही सोचते-सोचते उसने ऋषि से पूछा हवेली के मालिक की बेटी कब बोलेगी ?

ऋषि° – जैसे ही उसका विवाह होगा, वह बोलना शुरू कर देगी ।

अनाम – तांत्रिक को मोक्ष कब प्राप्त होगा ?

ऋषि – जब वह अपनी तांत्रिक विद्या का मोह छोड़ उसे किसी और को दे देगा तब उसे ज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी ।

अनाम – वह कछुआ ड्रैगन कब बनेगा ?

ऋषि – जिस दिन उसने अपना कवच उतार दिया वह ड्रैगन बन जाएगा ।

अनाम ऋषि से उत्तर जानकर बहुत प्रसन्न हुआ । अगली सुबह वह ऋषि का चरण स्पर्श कर वहाँ से प्रस्थान कर गया। वापस रास्ते में कछुआ मिला । उसने अनाम को नदी पार करा दी और अपने प्रश्न के बारे में पूछा । तब अनाम ने कछुए से कहा कि भैया अगर तुम अपना कवच उतार दो तो तुम ड्रैगन बन जाओगे ।
कछुए ने जैसे ही कवच उतारा, उसमे से ढेरों मोती झड़ने लगे, कछुए ने वे सारे मोती अनाम को दे दिए और कुछ ही पलों में ड्रैगन में बदल गया । उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा । उसने फ़ौरन अनाम को अपने ऊपर बिठाया और बर्फीली पहाड़ियाँ पार करा दीं । थोड़ा आगे जाने पर उसे तांत्रिक मिला ।

अनाम- ने उसे ऋषि की बात बता दी, कि जब आप अपनी तांत्रिक विद्या किसी और को दे देंगे तो आपको ज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी ।

तांत्रिक- बोला, अब मैं कहाँ किसे ढूँढ़ने जाऊँगा, ऐसा करो तुम ही मेरी विद्या ले लो और ऐसा कहते हुए तांत्रिक ने अपनी सारी विद्या अनाम को दे दी और अगले ही क्षण उसे ज्ञान प्राप्ति की अनुभूति हो गयी ।

अनाम वहाँ से आगे बढ़ा और तांत्रिक से मिली विद्या के दम पर जल्द ही हवेली पहुँच गया ।

मालकिन ने उसे देखते ही पूछा क्या कहा, ऋषि मतंग ने मेरी बिटिया के बारे में ?

“जिस दिन उसकी शादी हो जायेगी, वह बोलने लगेगी ।”, अनाम ने उत्तर दिया ।
मालकिन बोलीं तो देर किस बात की है, तुम इतनी बड़ी खुशखबरी लाये हो भला तुम से अच्छा लड़का उसके लिए कौन हो सकता है ?
दोनों की शादी करा दी गयी और सचमुच लड़की बोलने लगी ।

अनाम- अपनी पत्नी को लेकर गाँव पहुँचा । उसने सबसे पहले उस चूहे को धन्यवाद दिया और अपनी नयी हवेली में उसके लिए भी रहने की एक जगह बनवा दी ।

कभी जीवन से हार चुके अनाम के पास आज धन-दौलत,परिवार,ताकत सब कुछ था,सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने अपने प्रश्न का त्याग किया था,उसने खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचा था और यही जीवन में कामयाब होने का फार्मूला है,ये मत पूछिए कि औरों ने आपके लिए क्या किया ये सोचिये कि आपने औरों के लिए क्या किया ? जब आप इस सेवा भाव के साथ दुनियाँ की सेवा करेंगे और दूसरों के लिए अपनी इच्छा का त्याग करेंगे तो ईश्वर आपके जीवन में भी चमत्कार करेगा और त्याग की ताकत से आपको जीवन की हर खुशियाँ सहज ही प्राप्त हो जायेंगी ..!!
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कौन बनता है भूत प्रेत?By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब〰〰🌼〰〰🌼〰〰जिसका कोई वर्तमान न हो, केवल अतीत ही हो वही भूत कहलाता है। अतीत में अटका आत्मा भूत बन जाता है। जीवन न अतीत है और न भविष्य वह सदा वर्तमान है। जो वर्तमान में रहता है वह मुक्ति की ओर कदम बढ़ाता है।आत्मा के तीन स्वरुप माने गए हैं। जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा। जो भौतिक शरीर में वास करती है उसे जीवात्मा कहते हैं। जब इस जीवात्मा का वासना और कामनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं। यह आत्मा जब सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करता है, उस उसे सूक्ष्मात्मा कहते हैं। भूत-प्रेतों की गति एवं शक्ति अपार होती है। इनकी विभिन्न जातियां होती हैं और उन्हें भूत, प्रेत, राक्षस, पिशाच, यम, शाकिनी, डाकिनी, चुड़ैल, गंधर्व आदि कहा जाता है।भूतों के प्रकार〰〰〰〰हिन्दू धर्म में गति और कर्म अनुसार मरने वाले लोगों का विभाजन किया है- भूत, प्रेत, पिशाच, कूष्मांडा, ब्रह्मराक्षस, वेताल और क्षेत्रपाल। उक्त सभी के उप भाग भी होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार 18 प्रकार के प्रेत होते हैं। भूत सबसे शुरुआती पद है या कहें कि जब कोई आम व्यक्ति मरता है तो सर्वप्रथम भूत ही बनता है। इसी तरह जब कोई स्त्री मरती है तो उसे अलग नामों से जाना जाता है। माना गया है कि प्रसुता, स्त्री या नवयुवती मरती है तो चुड़ैल बन जाती है और जब कोई कुंवारी कन्या मरती है तो उसे देवी कहते हैं। जो स्त्री बुरे कर्मों वाली है उसे डायन या डाकिनी करते हैं। इन सभी की उत्पति अपने पापों, व्याभिचार से, अकाल मृत्यु से या श्राद्ध न होने से होती है।84 लाख योनियां〰〰〰〰〰पशुयोनि, पक्षीयोनि, मनुष्य योनि में जीवन यापन करने वाली आत्माएं मरने के बाद अदृश्य भूत-प्रेत योनि में चले जाते हैं। आत्मा के प्रत्येक जन्म द्वारा प्राप्त जीव रूप को योनि कहते हैं। ऐसी 84 लाख योनियां है, जिसमें कीट-पतंगे, पशु-पक्षी, वृक्ष और मानव आदि सभी शामिल हैं। प्रेतयोनि में जाने वाले लोग अदृश्य और बलवान हो जाते हैं। लेकिन सभी मरने वाले इसी योनि में नहीं जाते और सभी मरने वाले अदृश्य तो होते हैं लेकिन बलवान नहीं होते। यह आत्मा के कर्म और गति पर निर्भर करता है। बहुत से भूत या प्रेत योनि में न जाकर पुन: गर्भधारण कर मानव बन जाते हैं। पितृ पक्ष में हिन्दू अपने पितरों का तर्पण करते हैं। इससे सिद्ध होता है कि पितरों का अस्तित्व आत्मा अथवा भूत-प्रेत के रूप में होता है। गरुड़ पुराण में भूत-प्रेतों के विषय में विस्तृत वर्णन मिलता है। श्रीमद्‍भागवत पुराण में भी धुंधकारी के प्रेत बन जाने का वर्णन आता है।अतृप्त आत्माएं बनती है भूत〰〰〰〰〰〰〰〰〰जो व्यक्ति भूखा, प्यासा, संभोगसुख से विरक्त, राग, क्रोध, द्वेष, लोभ, वासना आदि इच्छाएं और भावनाएं लेकर मरा है अवश्य ही वह भूत बनकर भटकता है। और जो व्यक्ति दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या आदि से मरा है वह भी भू‍त बनकर भटकता है। ऐसे व्यक्तियों की आत्मा को तृप्त करने के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। जो लोग अपने स्वजनों और पितरों का श्राद्ध और तर्पण नहीं करते वे उन अतृप्त आत्माओं द्वारा परेशान होते हैं।यम नाम की वायु〰〰〰〰〰वेद अनुसार मृत्युकाल में 'यम' नामक वायु में कुछ काल तक आत्मा स्थिर रहने के बाद पुन: गर्भधारण करती है। जब आत्मा गर्भ में प्रवेश करती है तब वह गहरी सुषुप्ति अवस्था में होती है। जन्म से पूर्व भी वह इसी अवस्था में ही रहती है। जो आत्मा ज्यादा स्मृतिवान या ध्यानी है उसे ही अपने मरने का ज्ञान होता है और वही भूत बनती है।जन्म मरण का चक्र〰〰〰〰〰〰जिस तरह सुषुप्ति से 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तत्वों से बना होता है। कुछ भूत अपने इस शरीर की ताकत को समझ कर उसका इस्तेमाल करना जानते हैं तो कुछ नहीं। कुछ भूतों में स्पर्श करने की ताकत होती है तो कुछ में नहीं। जो भूत स्पर्श करने की ताकत रखता है वह बड़े से बड़े पेड़ों को भी उखाड़ कर फेंक सकता है। ऐसे भूत यदि बुरे हैं तो खतरनाक होते हैं। यह किसी भी देहधारी (व्यक्ति) को अपने होने का अहसास करा देते हैं। इस तरह के भूतों की मानसिक शक्ति इतनी बलशाली होती है कि यह किसी भी व्यक्ति का दिमाग पलट कर उससे अच्छा या बुरा कार्य करा सकते हैं। यह भी कि यह किसी भी व्यक्ति के शरीर का इस्तेमाल करना भी जानते हैं। ठोसपन न होने के कारण ही भूत को यदि गोली, तलवार, लाठी आदि मारी जाए तो उस पर उनका कोई प्रभाव नहीं होता। भूत में सुख-दुःख अनुभव करने की क्षमता अवश्य होती है। क्योंकि उनके वाह्यकरण में वायु तथा आकाश और अंतःकरण में मन, बुद्धि और चित्त संज्ञाशून्य होती है इसलिए वह केवल सुख-दुःख का ही अनुभव कर सकते हैं।अच्‍छी और बुरी आत्मा〰〰〰〰〰〰〰वासना के अच्छे और बुरे भाव के कारण मृतात्माओं को भी अच्छा और बुरा माना गया है। जहां अच्छी मृतात्माओं का वास होता है उसे पितृलोक तथा बुरी आत्मा का वास होता है उसे प्रेतलोक आदि कहते हैं। अच्छे और बुरे स्वभाव की आत्माएं ऐसे लोगों को तलाश करती है जो उनकी वासनाओं की पूर्ति कर सकता है। बुरी आत्माएं उन लोगों को तलाश करती हैं जो कुकर्मी, अधर्मी, वासनामय जीवन जीने वाले लोग हैं। फिर वह आत्माएं उन लोगों के गुण-कर्म, स्वभाव के अनुसार अपनी इच्छाओं की पूर्ति करती है। जिस मानसिकता, प्रवृत्ति, कुकर्म, सत्कर्मों आदि के लोग होते हैं उसी के अनुरूप आत्मा उनमें प्रवेश करती है। अधिकांशतः लोगों को इसका पता नहीं चल पाता। अच्छी आत्माएं अच्छे कर्म करने वालों के माध्यम से तृप्त होकर उसे भी तृप्त करती है और बुरी आत्माएं बुरे कर्म वालों के माध्यम से तृप्त होकर उसे बुराई के लिए और प्रेरित करती है। इसीलिए धर्म अनुसार अच्छे कर्म के अलावा धार्मिकता और ईश्वर भक्ति होना जरूरी है तभी आप दोनों ही प्रकार की आत्मा से बचे रहेंगे।कौन बनता है भूत का शिकार〰〰〰〰〰〰〰〰〰धर्म के नियम अनुसार जो लोग तिथि और पवित्रता को नहीं मानते हैं, जो ईश्वर, देवता और गुरु का अपमान करते हैं और जो पाप कर्म में ही सदा रत रहते हैं ऐसे लोग आसानी से भूतों के चंगुल में आ सकते हैं। इनमें से कुछ लोगों को पता ही नहीं चल पाता है कि हम पर शासन करने वाला कोई भूत है। जिन लोगों की मानसिक शक्ति बहुत कमजोर होती है उन पर ये भूत सीधे-सीधे शासन करते हैं। बाल वनिता महिला आश्रमजो लोग रात्रि के कर्म और अनुष्ठान करते हैं और जो निशाचारी हैं वह आसानी से भूतों के शिकार बन जाते हैं। हिन्दू धर्म अनुसार किसी भी प्रकार का धार्मिक और मांगलिक कार्य रात्रि में नहीं किया जाता। रात्रि के कर्म करने वाले भूत, पिशाच, राक्षस और प्रेतयोनि के होते हैं।〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰

कौन बनता है भूत प्रेत? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 〰〰🌼〰〰🌼〰〰 जिसका कोई वर्तमान न हो, केवल अतीत ही हो वही भूत कहलाता है। अतीत में अटका आत्मा भूत बन जाता है। जीवन न अतीत है और न भविष्य वह सदा वर्तमान है। जो वर्तमान में रहता है वह मुक्ति की ओर कदम बढ़ाता है। आत्मा के तीन स्वरुप माने गए हैं। जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा। जो भौतिक शरीर में वास करती है उसे जीवात्मा कहते हैं। जब इस जीवात्मा का वासना और कामनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं। यह आत्मा जब सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करता है, उस उसे सूक्ष्मात्मा कहते हैं।  भूत-प्रेतों की गति एवं शक्ति अपार होती है। इनकी विभिन्न जातियां होती हैं और उन्हें भूत, प्रेत, राक्षस, पिशाच, यम, शाकिनी, डाकिनी, चुड़ैल, गंधर्व आदि कहा जाता है। भूतों के प्रकार 〰〰〰〰 हिन्दू धर्म में गति और कर्म अनुसार मरने वाले लोगों का विभाजन किया है- भूत, प्रेत, पिशाच, कूष्मांडा, ब्रह्मराक्षस, वेताल और क्षेत्रपाल। उक्त सभी के उप भाग भी होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार 18 प्रकार के प्रेत होते हैं। भूत सबसे शुरुआती पद है या कहें कि जब कोई आम व्यक...

मनो वैज्ञानिक तथ्य क्या हैं जो लोग नहीं जानते हैं? By वनिता कासनियां पंजाब नफरत करने वाले आपसे वास्तव में नफरत नहीं करते हैं, वास्तव में वे खुद से नफरत करते हैं क्योंकि आप जो चाहते हैं उसका प्रतिबिंब हैं।2. एक व्यक्ति दूसरे लोगों के बारे में आपसे कैसे बात करता है, इसे ध्यान से सुनना सुनिश्चित करें। इस तरह वे आपके बारे में दूसरे लोगों से बात करते हैं।3. हमें केवल दो करीबी दोस्त चाहिए जिन पर हम भरोसा कर सकें। बहुत सारे दोस्त अवसाद और तनाव से जुड़े हुए हैं।4. जो लोग ज्यादा मेलजोल नहीं करते वे असल में असामाजिक नहीं होते, उनमें ड्रामा और नकली लोगों को बर्दाश्त नहीं होता।5. अपनी समस्याओं को दूसरों को बताना बंद करें, 20% परवाह नहीं है और अन्य 80% खुश हैं कि आपके पास यह है।6. पढ़ाई के दौरान चॉकलेट खाने से मस्तिष्क को नई जानकारी बनाए रखने में मदद मिलती है और यह उच्च परीक्षण स्कोर से जुड़ा होता है।7. जिसे आप नापसंद करते हैं उसके साथ अच्छा होने का मतलब यह नहीं है कि आप नकली हैं, इसका आम तौर पर मतलब है कि आप उस व्यक्ति को सहन करने के लिए पर्याप्त परिपक्व हैं।8. किसी को अपने दिमाग से निकालना मुश्किल है, इसका कारण यह है कि वे आपके बारे में भी सोच रहे हैं।9. जो लोग कटाक्ष को अच्छी तरह समझते हैं वे अक्सर लोगों के मन को पढ़ने में अच्छे होते हैं।10. यदि आपका मन बार-बार भटकता है, तो 85% संभावना है कि आप अवचेतन रूप से अपने जीवन से नाखुश हैं।11. माता-पिता अपने बच्चों से जिस तरह से बात करते हैं, वह उनकी अंतरात्मा की आवाज बन जाती है।12. अपने नकारात्मक विचारों को लिखना और उन्हें कूड़ेदान में फेंक देना आपके मूड को बेहतर बना सकता है। (मैंने कोशिश की और यह वास्तव में काम करता है :)13. ध्यान मात्र 8 सप्ताह में मस्तिष्क की संरचना को बदल सकता है। यह सीखने से जुड़े मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में ग्रे मैटर को भी बढ़ाता है।मनोविज्ञान कहता है कि जो लोग अच्छी सामग्री लिखते हैं और अपने उत्तरों में स्क्रीनशॉट पोस्ट नहीं करते हैं, उन्हें कम व्यू और कम अपवोट मिलते हैं

मनो वैज्ञानिक तथ्य क्या हैं जो लोग नहीं जानते हैं? By वनिता कासनियां पंजाब नफरत करने वाले आपसे वास्तव में नफरत नहीं करते हैं, वास्तव में वे खुद से नफरत करते हैं क्योंकि आप जो चाहते हैं उसका प्रतिबिंब हैं। 2. एक व्यक्ति दूसरे लोगों के बारे में आपसे कैसे बात करता है, इसे ध्यान से सुनना सुनिश्चित करें। इस तरह वे आपके बारे में दूसरे लोगों से बात करते हैं। 3. हमें केवल दो करीबी दोस्त चाहिए जिन पर हम भरोसा कर सकें। बहुत सारे दोस्त अवसाद और तनाव से जुड़े हुए हैं। 4. जो लोग ज्यादा मेलजोल नहीं करते वे असल में असामाजिक नहीं होते, उनमें ड्रामा और नकली लोगों को बर्दाश्त नहीं होता। 5. अपनी समस्याओं को दूसरों को बताना बंद करें, 20% परवाह नहीं है और अन्य 80% खुश हैं कि आपके पास यह है। 6. पढ़ाई के दौरान चॉकलेट खाने से मस्तिष्क को नई जानकारी बनाए रखने में मदद मिलती है और यह उच्च परीक्षण स्कोर से जुड़ा होता है। 7. जिसे आप नापसंद करते हैं उसके साथ अच्छा होने का मतलब यह नहीं है कि आप नकली हैं, इसका आम तौर पर मतलब है कि आप उस व्यक्ति को सहन करने के लिए पर्याप्त परिपक्व हैं। 8. किसी को अपने दिमाग से निकालना...

मानव गजब के मनोवैज्ञानिक तथ्य कौन से हैं? By वनिता कासनियां पंजाब सबसे पहले जवाब दिया गया: गजब के साइक्लोजिकल तथ्य कौन से हैं? 1. अगर आप अपने आप को 1 हफ्ते के लिए पूरे समाज से अपने परिवार से अपने दोस्तों से दूर कर लेते हो अक्सर तो आप इस दुनिया के दो % बुद्धिमान लोगों में से एक व्यक्ति में से एक हैं।2. जब भी आपको दुविधा महसूस हो तो आप एक पेपर पर अपने विचारों को लिखना शुरू करते हैं। लिखते लिखते आपकी सारी की सारी दुविधा साफ होनी शुरू हो जाएगी।3. अगर आप किसी सवाल का जवाब ढूंढना चाहते हैं आप किसी दुविधा में है तो सोने से पहले उस दुविधा के बारे में सोच कर सोए आपको कुछ दिनों में अपनी दुविधा का जवाब खुद ब खुद मिल जाएगा।4. अगर आप सामने वाले व्यक्ति के बारे में जानना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने बारे में कुछ थोड़ा बताइए था कि आप सामने वाले व्यक्ति के इंटरेस्ट के बारे में जान सकें।5. अगर आप नीले रंग के कपड़े पहनकर अपने कॉलेज या फिर अपने ऑफिस में जाते हैं तो आप पर लोग ज्यादा विश्वास करेंगे।6. कुछ चीज में पाया गया है कि रात को देर में सोने वाले व्यक्ति अक्सर जल्दी सोने वाले व्यक्ति से ज्यादा दिमागदार होता है।7. अगर आप चाहते हैं कि कोई व्यक्ति आपसे प्यार करने लगे तो आप उस व्यक्ति का ज्यादा से ज्यादा टाइम लेने की कोशिश करें परंतु उस व्यक्ति से चिपके नहीं। ऐसा भी ना हो कि वह व्यक्ति आपके समय की कीमत ना करें।8. अगर आप किसी व्यक्ति से उसके दाहिने कान की तरफ बोल कर उससे मदद मांगेंगे तो संभावना ज्यादा है कि व्यक्ति आपकी मदद करेगा।मैं आशा करती हूं कि आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आ

मानव गजब के मनोवैज्ञानिक तथ्य कौन से हैं? By वनिता कासनियां पंजाब सबसे पहले जवाब दिया गया: गजब के साइक्लोजिकल तथ्य कौन से हैं? 1. अगर आप अपने आप को 1 हफ्ते के लिए पूरे समाज से अपने परिवार से अपने दोस्तों से दूर कर लेते हो अक्सर तो आप इस दुनिया के दो % बुद्धिमान लोगों में से एक व्यक्ति में से एक हैं। 2. जब भी आपको दुविधा महसूस हो तो आप एक पेपर पर अपने विचारों को लिखना शुरू करते हैं। लिखते लिखते आपकी सारी की सारी दुविधा साफ होनी शुरू हो जाएगी। 3. अगर आप किसी सवाल का जवाब ढूंढना चाहते हैं आप किसी दुविधा में है तो सोने से पहले उस दुविधा के बारे में सोच कर सोए आपको कुछ दिनों में अपनी दुविधा का जवाब खुद ब खुद मिल जाएगा। 4. अगर आप सामने वाले व्यक्ति के बारे में जानना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने बारे में कुछ थोड़ा बताइए था कि आप सामने वाले व्यक्ति के इंटरेस्ट के बारे में जान सकें। 5. अगर आप नीले रंग के कपड़े पहनकर अपने कॉलेज या फिर अपने ऑफिस में जाते हैं तो आप पर लोग ज्यादा विश्वास करेंगे। 6. कुछ चीज में पाया गया है कि रात को देर में सोने वाले व्यक्ति अक्सर जल्दी सोने वाले व्यक्ति से ज्याद...