सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मंगल मजबूत होने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है?By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबज्योतिष के आधार नवग्रहों में से प्रत्येक की हमारे जीवन संचालन में एक विशेष भूमिका होती है परंतु इसमें भी मंगल हमारी जन्मकुंडली में कुछ ऐसे विशेष घटकों को नियंत्रित करता है जिनसे हमें अपने जीवन के संघर्षों और बाधाओं का सामना करने की हिम्मत और प्रेरणा मिलती है। ज्योतिष में मंगल से सम्बंधित सामान्य जानकारी को देंखें तो मंगल अग्नि तत्व ग्रह है जो लाल रंग और क्षत्रिय वर्ण के गुण रखने वाला है, मेष और वृश्चिक राशि पर मंगल का आधिपत्य है अर्थात मंगल मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है, मकर राशि में मंगल उच्चस्थ तथा कर्क मंगल की नीच राशि है। सूर्य, बृहस्पति और चन्द्रमाँ मंगल के मित्र ग्रह हैं तथा शनि, शुक्र, बुध और राहु से मंगल की शत्रुता है। मंगल किसी भी राशि में लगभग 45 दिन अर्थात डेढ़ महीना गोचर करता है और फिर अगली राशि में प्रवेश करता है।ज्योतिष में वैसे तो मंगल को बहुत सी चीजों का करक माना गया है जैसे तकनीकी कार्यो का कारक मंगल होता है इंजीनियरिंग और शल्यचिकित्सा के क्षेत्र में मंगल की अहम भूमिका होती है धातु, हथियार, बड़े भाई, विधुत, अग्नि, भूमि, सेना, पुलिस, सुरक्षा कर्मी, लड़ाई झगड़ा, रक्त, मांसपेशियां, पित्त, दुर्घटना और स्त्रियों का मांगल्य आदि बहुतसे घटकों का कारक मंगल होता है, परंतु यहाँ हम मंगल के उन कुछ विशेष कारकतत्वों का वर्णन करना चाहते हैं जो हमारे प्रवाह में हमारे विशेष सहायक होते हैं वे हैं – “हिम्मत, शक्ति, पराक्रम, उत्साह, साहस और प्रतिस्पर्धात्मक शक्ति“अच्छा और बलि मंगल व्यक्ति को हिम्मत शक्ति और पराक्रम से परिपूर्ण एक उत्साही और निडर व्यक्ति बनाता है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल स्व या उच्च राशि (मेष, वृश्चिक, मकर) में हो या अन्य प्रकार बली हो तो ऐसा व्यक्ति बहुत साहसी और किसी से ना दबने वाला अटल प्रवर्ति का व्यक्ति होता है, बलवान मंगल व्यक्ति को किलिंग स्प्रिट देता है जिससे व्यक्ति जिस काम को करने की ठान ले उसे पूरा करके ही दम लेता है। कुंडली में मंगल बलवान होने पर व्यक्ति अपने कार्य के प्रति बहुत पैशन रखने वाला होता है और ऐसा व्यक्ति विपरीत परिस्थिति में भी मेहनत करना नहीं छोड़ता। कुंडली में बलवान मंगल व्यक्ति को परिस्पर्धा की कुशलता भी देता है जिससे वह अपने विरोधियों पर सदैव हावी रहता है।ज्योतिष में मंगल को किशोरावस्था का कारक माना गया है जो कभी वृद्ध नहीं होता, फलित ज्योतिष में कोई भी ग्रह किसी राशि में 1 से 30 डिग्री के बीच कितनी डिग्री पर है इसका फलित पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है कोई भी ग्रह जब अधिक डिग्री का विशेषकर 30 डिग्री के आसपास का हो तो वह वृद्धावस्था का होकर कमजोर माना जाता है परंतु एक ऐसा ग्रह है जो अधिक डिग्री का होने पर भी बलि ही रहता है क्योंकि यह किशोरावस्था का कारक है, अतः जिन लोगों की कुंडली में मंगल बहुत बलवान होता है वे 50 की उम्र में भी 25 – 30 के सामान प्रतीत होते हैं। मंगल के इन्ही विशेष गुणधर्मों के कारण सेना, नेवी, एयर फ़ोर्स, पुलिस, सुरक्षा गार्ड, एथलीट, स्पोर्ट्समैन, आदि लोगो के जीवन में उनकी कुंडली में स्थित बलवान मंगल की अहम भूमिका होती हैहमारे स्वास्थ पक्ष में भी मंगल अपनी विशेष भूमिका निभाता है मुख्य रूप से रक्त, मांसपेशियां, और पित्त को मंगल नियंत्रित करता है यदि कुंडली में मंगल छटे, आठवे भाव में हो, नीच राशि में हो या अन्य प्रकार पीड़ित हो तो ऐसे में व्यक्ति को रक्त से जुडी समस्याएं, मसल्सपेन, एसिडिटी, गॉलब्लेडर की समस्याएं, फुंसी फोड़े और मुहासे आदि की समस्याएं अधिक होती हैं इसके आलावा पीड़ित या कमजोर मंगल व्यक्ति को कुछ भयभीत स्वाभाव का भी बनाता है और व्यक्ति प्रतिस्पर्धा से घबराता है।कुंडली में मंगल कमजोर होने पर ” हनुमान चालीस और सुन्दरकाण्ड का पाठ तथा ॐ अंग अंगारकाय नमः का नियमित जाप बहुत लाभकारी होता है।।। श्री हनुमते नमः ।।

ज्योतिष के आधार नवग्रहों में से प्रत्येक की हमारे जीवन संचालन में एक विशेष भूमिका होती है परंतु इसमें भी मंगल हमारी जन्मकुंडली में कुछ ऐसे विशेष घटकों को नियंत्रित करता है जिनसे हमें अपने जीवन के संघर्षों और बाधाओं का सामना करने की हिम्मत और प्रेरणा मिलती है। ज्योतिष में मंगल से सम्बंधित सामान्य जानकारी को देंखें तो मंगल अग्नि तत्व ग्रह है जो लाल रंग और क्षत्रिय वर्ण के गुण रखने वाला है, मेष और वृश्चिक राशि पर मंगल का आधिपत्य है अर्थात मंगल मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है, मकर राशि में मंगल उच्चस्थ तथा कर्क मंगल की नीच राशि है। सूर्य, बृहस्पति और चन्द्रमाँ मंगल के मित्र ग्रह हैं तथा शनि, शुक्र, बुध और राहु से मंगल की शत्रुता है। मंगल किसी भी राशि में लगभग 45 दिन अर्थात डेढ़ महीना गोचर करता है और फिर अगली राशि में प्रवेश करता है।

ज्योतिष में वैसे तो मंगल को बहुत सी चीजों का करक माना गया है जैसे तकनीकी कार्यो का कारक मंगल होता है इंजीनियरिंग और शल्यचिकित्सा के क्षेत्र में मंगल की अहम भूमिका होती है धातु, हथियार, बड़े भाई, विधुत, अग्नि, भूमि, सेना, पुलिस, सुरक्षा कर्मी, लड़ाई झगड़ा, रक्त, मांसपेशियां, पित्त, दुर्घटना और स्त्रियों का मांगल्य आदि बहुतसे घटकों का कारक मंगल होता है, परंतु यहाँ हम मंगल के उन कुछ विशेष कारकतत्वों का वर्णन करना चाहते हैं जो हमारे प्रवाह में हमारे विशेष सहायक होते हैं वे हैं – “हिम्मत, शक्ति, पराक्रम, उत्साह, साहस और प्रतिस्पर्धात्मक शक्ति“

अच्छा और बलि मंगल व्यक्ति को हिम्मत शक्ति और पराक्रम से परिपूर्ण एक उत्साही और निडर व्यक्ति बनाता है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल स्व या उच्च राशि (मेष, वृश्चिक, मकर) में हो या अन्य प्रकार बली हो तो ऐसा व्यक्ति बहुत साहसी और किसी से ना दबने वाला अटल प्रवर्ति का व्यक्ति होता है, बलवान मंगल व्यक्ति को किलिंग स्प्रिट देता है जिससे व्यक्ति जिस काम को करने की ठान ले उसे पूरा करके ही दम लेता है। कुंडली में मंगल बलवान होने पर व्यक्ति अपने कार्य के प्रति बहुत पैशन रखने वाला होता है और ऐसा व्यक्ति विपरीत परिस्थिति में भी मेहनत करना नहीं छोड़ता। कुंडली में बलवान मंगल व्यक्ति को परिस्पर्धा की कुशलता भी देता है जिससे वह अपने विरोधियों पर सदैव हावी रहता है।

ज्योतिष में मंगल को किशोरावस्था का कारक माना गया है जो कभी वृद्ध नहीं होता, फलित ज्योतिष में कोई भी ग्रह किसी राशि में 1 से 30 डिग्री के बीच कितनी डिग्री पर है इसका फलित पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है कोई भी ग्रह जब अधिक डिग्री का विशेषकर 30 डिग्री के आसपास का हो तो वह वृद्धावस्था का होकर कमजोर माना जाता है परंतु एक ऐसा ग्रह है जो अधिक डिग्री का होने पर भी बलि ही रहता है क्योंकि यह किशोरावस्था का कारक है, अतः जिन लोगों की कुंडली में मंगल बहुत बलवान होता है वे 50 की उम्र में भी 25 – 30 के सामान प्रतीत होते हैं। मंगल के इन्ही विशेष गुणधर्मों के कारण सेना, नेवी, एयर फ़ोर्स, पुलिस, सुरक्षा गार्ड, एथलीट, स्पोर्ट्समैन, आदि लोगो के जीवन में उनकी कुंडली में स्थित बलवान मंगल की अहम भूमिका होती है

हमारे स्वास्थ पक्ष में भी मंगल अपनी विशेष भूमिका निभाता है मुख्य रूप से रक्त, मांसपेशियां, और पित्त को मंगल नियंत्रित करता है यदि कुंडली में मंगल छटे, आठवे भाव में हो, नीच राशि में हो या अन्य प्रकार पीड़ित हो तो ऐसे में व्यक्ति को रक्त से जुडी समस्याएं, मसल्सपेन, एसिडिटी, गॉलब्लेडर की समस्याएं, फुंसी फोड़े और मुहासे आदि की समस्याएं अधिक होती हैं इसके आलावा पीड़ित या कमजोर मंगल व्यक्ति को कुछ भयभीत स्वाभाव का भी बनाता है और व्यक्ति प्रतिस्पर्धा से घबराता है।

कुंडली में मंगल कमजोर होने पर ” हनुमान चालीस और सुन्दरकाण्ड का पाठ तथा ॐ अंग अंगारकाय नमः का नियमित जाप बहुत लाभकारी होता है।

।। श्री हनुमते नमः ।।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

*****प्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत |******बाल वनिता महिला आश्रम ज्योतिष में वर्णित प्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत के द्वारा हम यह जानने में समर्थ होते है कि किसी प्रेमी- प्रेमिका का प्यार विवाह में परिणत होगा या नहीं। वस्तुतः “प्रेमी और प्रेमिका” के मध्य प्रेम की पराकाष्ठा का विवाह में तब्दील होना ही प्रेम विवाह(Love Marriage) है या यूं कहे कि जब लड़का और लड़की में परस्पर प्रेम होता है तदनन्तर जब दोनों एक दूसरे को जीवन साथी के रूप में देखने लगते है और वही प्रेम जब विवाह के रूप में परिणत हो जाता है तो हम उसे प्रेम-विवाह कहते है।प्रेम विवाह हेतु निर्धारित भाव एवं ग्रहवहीं सभी ग्रहो को भी विशेष कारकत्व प्रदान किया गया है। यथा “शुक्र ग्रह” को प्रेम तथा विवाह का कारक माना गया है। स्त्री की कुंडली में “ मगल ग्रह ” प्रेम का कारक माना गया है। ज्योतिषशास्त्र में सभी विषयों के लिए निश्चित भाव निर्धारित किया गया है लग्न, पंचम, सप्तम, नवम, एकादश, तथा द्वादश भाव को प्रेम-विवाह का कारक भाव माना गया है यथा —लग्न भाव — जातक स्वयं।पंचम भाव — प्रेम या प्यार का स्थान।सप्तम भाव — विवाह का भाव।नवम भाव — भाग्य स्थान।एकादश भाव — लाभ स्थान।द्वादश भाव — शय्या सुख का स्थान। ******प्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत या नियम##पंचम और सप्तम भाव तथा भावेश के साथ सम्बन्ध। पंचम भाव प्रेम का भाव है और सप्तम भाव विवाह का अतः जब पंचम भाव का सम्बन्ध सप्तम भाव भावेश से होता है तब प्रेमी-प्रेमिका वैवाहिक सूत्र में बंधते हैं।पंचमेश-सप्तमेश-नवमेश तथा लग्नेश का किसी भी प्रकार से परस्पर सम्बन्ध हो रहा हो तो जातक का प्रेम, विवाह में अवश्य ही परिणत होगा हाँ यदि अशुभ ग्रहो का भी सम्बन्ध बन रहा हो तो वैवाहिक समस्या आएगी।लग्नेश-पंचमेश-सप्तमेश- नवमेश तथा द्वादशेश का सम्बन्ध भी अवश्य ही प्रेमी प्रेमिका को वैवाहिक बंधन बाँधने में सफल होता है।प्रेम और विवाह के कारक ग्रह शुक्र या मंगल का पंचम तथा सप्तम भाव-भावेश के साथ सम्बन्ध होना भी विवाह कराने में सक्षम होता है।सभी भावो में नवम भाव की महत्वपूर्ण भूमिका होती है नवम भाव का परोक्ष या अपरोक्ष रूप से सम्बन्ध होने पर माता-पिता का आशीर्वाद मिलता है और यही कारण है की नवम भाव -भावेश का पंचम- सप्तम भाव भावेश से सम्बन्ध बनता है तो विवाह भागकर या गुप्त रूप से न होकर सामाजिक और पारिवारिक रीति-रिवाजो से होती है।शुक्र अगर लग्न स्थान में स्थित है और चन्द्र कुण्डली में शुक्र पंचम भाव में स्थित है तब भी प्रेम विवाह संभव होता है।नवमांश कुण्डली जन्म कुण्डली का सूक्ष्म शरीर माना जाता है अगर कुण्डली में प्रेम विवाह योग नहीं है या आंशिक है और नवमांश कुण्डली में पंचमेश, सप्तमेश और नवमेश की युति होती है तो प्रेम विवाह की संभावना प्रबल हो जाती है।पाप ग्रहो का सप्तम भाव-भावेश से युति हो तो प्रेम विवाह की सम्भावना बन जाती है। राहु और केतु का सम्बन्ध लग्न या सप्तम भाव-भावेश से हो तो प्रेम विवाह का सम्बन्ध बनता है।लग्नेश तथा सप्तमेश का परिवर्तन योग या केवल सप्तमेश का लग्न में होना या लग्नेश का सप्तम में होना भी प्रेम विवाह करा देता है।चन्द्रमा ( जाने ! चन्द्रमा का सप्तम भाव में फल ) तथा शुक्र ( Venus) का लग्न या सप्तम में होना भी प्रेम विवाह की ओर संकेत करता है।उदाहरण कुंडली से प्रेम विवाह के ज्योतिषीय कारण को समझा जा सकता है।जन्म की तारीख- 12 अप्रैल 1985, जन्म का समय- 13:00, जन्म का स्थान– दिल्ली, लिंग- महिलाप्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत Astrological theory of Love Marriageप्रस्तुत जन्म कुंडली कर्क लग्न की है। इस कुंडली में विवाह भाव सप्तम का स्वामी शनि प्रेम भाव पंचम में चला गया है और वहां से शनि तीसरी दृष्टि से अपने ही घर सप्तम को देख भी रहा है इस प्रकार यहां पंचम और सप्तम भाव से सीधा सम्बन्ध बन रहा है अतः स्पष्ट है कि प्रेम विवाह होगा।लग्नेश चन्द्रमा तथा नवमेश गुरू दोनों की युति सप्तम स्थान में है तथा सप्तमेश शनि भी देख रहा है। इस प्रकार यहाँ लग्न, पंचम, सप्तम तथा नवम का सीधा सम्बन्ध बन रहा है। यही कारण है कि जातक का विवाह प्रेम-विवाह हुआ।नाम- इंदिरा गांधी, जन्म तारीख- 19 नवम्बर 1917, जन्म समय- 22:11:00,जन्म स्थान- ईलाहाबाद, उत्तरप्रदेश प्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत | Astrological theory of Love Marriage-minप्रस्तुत जन्म कुंडली इंदिरा गांधी(Indira Gandhi) की है। सभी जानते है कि इनका प्रेम-विवाह(Love Marriage) हुआ था। यह कर्क लग्न की कुंडली है। इस कुंडली में विवाह भाव सप्तम का स्वामी शनि की लग्न में युति तथा लग्नेश चन्द्रमा की सप्तम भाव में युति तथा परस्पर सप्तम से दृष्टि देखना प्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत को पुष्ट करता है।नवमेश गुरु लाभ स्थान में बैठकर पंचम भाव तथा सप्तम भाव एवं लग्नेश को भी देख रहा है। वहीँ वक्री होकर सप्तमेश को भी देख रहा है जो की प्रेम-विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत को 100 प्रतिशत पुष्ट करता है।प्रेम और विवाह के कारक ग्रह शुक्र या मंगल का पंचम तथा सप्तम भाव-भावेश के साथ सम्बन्ध होना भी विवाह कराने में सक्षम होता है।सभी भावो में नवम भाव की महत्वपूर्ण भूमिका होती है नवम भाव का परोक्ष या अपरोक्ष रूप से सम्बन्ध होने पर माता-पिता का आशीर्वाद मिलता है और यही कारण है की नवम भाव -भावेश का पंचम- सप्तम भाव भावेश से सम्बन्ध बनता है तो विवाह भागकर या गुप्त रूप से न होकर सामाजिक और पारिवारिक रीति-रिवाजो से होती है।शुक्र अगर लग्न स्थान में स्थित है और चन्द्र कुण्डली में शुक्र पंचम भाव में स्थित है तब भी प्रेम विवाह संभव होता है।नवमांश कुण्डली जन्म कुण्डली का सूक्ष्म शरीर माना जाता है अगर कुण्डली में प्रेम विवाह योग नहीं है या आंशिक है और नवमांश कुण्डली में पंचमेश, सप्तमेश और नवमेश की युति होती है तो प्रेम विवाह की संभावना प्रबल हो जाती है।पाप ग्रहो का सप्तम भाव-भावेश से युति हो तो प्रेम विवाह की सम्भावना बन जाती है। राहु और केतु का सम्बन्ध लग्न या सप्तम भाव-भावेश से हो तो प्रेम विवाह का सम्बन्ध बनता है।लग्नेश तथा सप्तमेश का परिवर्तन योग या केवल सप्तमेश का लग्न में होना या लग्नेश का सप्तम में होना भी प्रेम विवाह करा देता है।चन्द्रमा ( जाने ! चन्द्रमा का सप्तम भाव में फल ) तथा शुक्र ( Venus) का लग्न या सप्तम में होना भी प्रेम विवाह की ओर संकेत करता है।

*****प्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत |****** बाल वनिता महिला आश्रम  ज्योतिष में वर्णित प्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत के द्वारा हम यह जानने में समर्थ होते है कि किसी प्रेमी- प्रेमिका का प्यार विवाह में परिणत होगा या नहीं। वस्तुतः “प्रेमी और प्रेमिका” के मध्य प्रेम की पराकाष्ठा का विवाह में तब्दील होना ही प्रेम विवाह(Love Marriage) है या यूं कहे कि जब लड़का और लड़की में परस्पर प्रेम होता है तदनन्तर जब दोनों एक दूसरे को जीवन साथी के रूप में देखने लगते है और वही प्रेम जब विवाह के रूप में परिणत हो जाता है तो हम उसे प्रेम-विवाह कहते है। प्रेम विवाह हेतु निर्धारित भाव एवं ग्रह वहीं सभी ग्रहो को भी विशेष कारकत्व प्रदान किया गया है। यथा “शुक्र ग्रह” को प्रेम तथा विवाह का कारक माना गया है। स्त्री की कुंडली में “ मगल ग्रह ” प्रेम का कारक माना गया है। ज्योतिषशास्त्र में सभी विषयों के लिए निश्चित भाव निर्धारित किया गया है लग्न, पंचम, सप्तम, नवम, एकादश, तथा द्वादश भाव को प्रेम-विवाह का कारक भाव माना गया है यथा — लग्न भाव — जातक स्वयं। पंचम भाव — प्रेम या प्यार का स्थान। सप्तम...

*बुरी नज़र उतारने के ज्योतिषीय उपाय-*By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️यदि किसी घर को नज़र लग जाए तो उस घर में क्लेश पैदा हो जाता है। घर में चोरी-चकारी की घटना होती है और उस घर में अशांति का माहौल बना रहता है। घर के सदस्य किसी न किसी रोग से पीड़ित होने लगते हैं। उस घर में दरिद्रता आने लगती है।यदि काम-धंधे को नज़र लग जाए तो व्यापार ठप होने लगता है। बिज़नेस में उसे लाभ की बजाय हानि होती है।यदि किसी व्यक्ति को नज़र लग जाए तो वह रोगी अथवा किसी बुरी संगति में फंस जाता है जिससे समाज में उसकी प्रतिष्ठा समाप्त हो जाती है अथवा उसके बने बनाए काम बिगड़ जाते हैं।यदि किसी शिशु को नज़र लग जाए तो वह बीमार पड़ जाता है अथवा वह बिना बात के ज़ोर-ज़ोर से रोता है।नज़र उतारने के ज्योतिषीय उपाय-〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ज्योतिष के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में लग्नेश और चंद्रमा राहु से पीड़ित हों तो आपको नज़र दोष का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा जन्मकुंडली में नीच राशि में स्थित राहु के साथ लग्नेश हो तथा सूर्य, शनि व अष्टमेश से दृष्ट हो। इस स्थिति में उस जातक को किसी की बुरी नज़र लग सकती है। अतः कुंडली में राहु ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए उपाय करने चाहिए। इसके अलावा सूर्य को क्रूर ग्रह माना जाता है। इसलिए सूर्य के उपाय भी ज़रुरी है। इसमें आपके लिए शनि ग्रह के उपाय भी ज़रुरी है। जैसे -👉 बुधवार के दिन सप्त धान्य (सात प्रकार के अनाज) का दान करें।👉 बुधवार के दिन नागरमोथा की जड़ धारण करें।👉 राहु यंत्र की स्थापना कर उसी पूजा करें।👉 नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।बुरी नज़र उतारने के उपाय-〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️निम्न टोटकों को अपनाकर भी आप अपने व्यापार में बढ़ोत्तरी ला सकते हैंः👉 पंचमुखी का हनुमान जी का लॉकेट धारण करें।👉 हनुमान चालीसा एवं बजरंग बाण का नित्य जापा करें।👉 हनुमान जी के मंदिर जाकर उसके कंधों का सिंदूर माथे पर लगाएँ।👉 यदि कोई व्यक्ति बुरी नज़र से प्रभावित है तो उसे भैरो बाबा के मंदिर से मिलने वाला काला धागा धारण करना चाहिए। इससे उप पर लगी बुरी नज़र उतर जाएगी।👉 यदि बार-बार धन हानि हो रही है तो लाल कपड़े में दो कौड़ियां बांधकर तिजोरी में रख दे।👉 एक रोटी बनाएं और उसे केवल एक तरफ़ से ही सेंकें। अब सिके हुए भाग पर तेल लगाकर उसमें लाल मिर्च एवं नमक दो डेली रखें। अब नज़र दोष से पीड़ित व्यक्ति के ऊपर सात बार इसे फिराकर चुपचाप से इसे किसी चौराह पर रखें।बच्चों की नजर उतारने के उपाय〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️👉 बच्चों की बुरी नजर उतारने के उपाय हेतूु बचपन में हमारी दादी, नानी या माँ के द्वारा सूखी लाल मिर्च, फिटकरी, मुठ्ठी भर नमक या फिर नीम की टहनी आदि के टोटके से हमारी नज़र उतारी गई होगी। नज़र उतारने के दादी मां के घरेलू नुस्खे होते हैं। इसके अलावा जानते हैं अन्य टोटके।👉 पीली कौड़ी में छेद करके उसे बच्चे को पहनाना चाहिए।👉 बच्चों को मोती चांद का लॉकेट पहनाएं या काले-सफेद मोती जड़ित नज़रबंद का ब्रेसलेट पहनाएं।👉 यदि बच्चा दूध पीने में आनाकानी कर रहा है तो उसके ऊपर से दूध को उसारकर कुत्ते को पिला दें।👉यदि आप किसी को शक़ है कि बच्चे को उसी की नज़र लगी है तो उसका हाथ बच्चे के ऊपर फिरवाएं।दो लाल सूखी मिर्च, थोड़ा सेंधा नमक, थोड़े सरसो के बीज लें। इसके बाद बच्चे के उपर से नीचे, आगे और पीछे तीन बार घुमाए अब एक गर्म पर यह सब डाल दें। धुआं उठने के बाद कुछ ही देर में बुरी नजर उतर जाएगी।बाल वनिता महिला आश्रम〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️नोट; अधिक जानकारी अथवा कुंडली विश्लेषण के लिए मैसेंजर पर संपर्क करें।धन्यवाद#बाल_वनिता_महिला_आश्रम.

*बुरी नज़र उतारने के ज्योतिषीय उपाय-* By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ यदि किसी घर को नज़र लग जाए तो उस घर में क्लेश पैदा हो जाता है। घर में चोरी-चकारी की घटना होती है और उस घर में अशांति का माहौल बना रहता है। घर के सदस्य किसी न किसी रोग से पीड़ित होने लगते हैं। उस घर में दरिद्रता आने लगती है। यदि काम-धंधे को नज़र लग जाए तो व्यापार ठप होने लगता है। बिज़नेस में उसे लाभ की बजाय हानि होती है। यदि किसी व्यक्ति को नज़र लग जाए तो वह रोगी अथवा किसी बुरी संगति में फंस जाता है जिससे समाज में उसकी प्रतिष्ठा समाप्त हो जाती है अथवा उसके बने बनाए काम बिगड़ जाते हैं। यदि किसी शिशु को नज़र लग जाए तो वह बीमार पड़ जाता है अथवा वह बिना बात के ज़ोर-ज़ोर से रोता है। नज़र उतारने के ज्योतिषीय उपाय- 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ज्योतिष के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में लग्नेश और चंद्रमा राहु से पीड़ित हों तो आपको नज़र दोष का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा जन्मकुंडली में नीच राशि में स्थित राहु के साथ लग्नेश हो तथा सूर्य, शनि व अष्टमेश से दृष्ट हो। इस स्थिति में उस जातक को किसी की बुरी नज़र ...

मानव गजब के मनोवैज्ञानिक तथ्य कौन से हैं? By वनिता कासनियां पंजाब सबसे पहले जवाब दिया गया: गजब के साइक्लोजिकल तथ्य कौन से हैं? 1. अगर आप अपने आप को 1 हफ्ते के लिए पूरे समाज से अपने परिवार से अपने दोस्तों से दूर कर लेते हो अक्सर तो आप इस दुनिया के दो % बुद्धिमान लोगों में से एक व्यक्ति में से एक हैं।2. जब भी आपको दुविधा महसूस हो तो आप एक पेपर पर अपने विचारों को लिखना शुरू करते हैं। लिखते लिखते आपकी सारी की सारी दुविधा साफ होनी शुरू हो जाएगी।3. अगर आप किसी सवाल का जवाब ढूंढना चाहते हैं आप किसी दुविधा में है तो सोने से पहले उस दुविधा के बारे में सोच कर सोए आपको कुछ दिनों में अपनी दुविधा का जवाब खुद ब खुद मिल जाएगा।4. अगर आप सामने वाले व्यक्ति के बारे में जानना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने बारे में कुछ थोड़ा बताइए था कि आप सामने वाले व्यक्ति के इंटरेस्ट के बारे में जान सकें।5. अगर आप नीले रंग के कपड़े पहनकर अपने कॉलेज या फिर अपने ऑफिस में जाते हैं तो आप पर लोग ज्यादा विश्वास करेंगे।6. कुछ चीज में पाया गया है कि रात को देर में सोने वाले व्यक्ति अक्सर जल्दी सोने वाले व्यक्ति से ज्यादा दिमागदार होता है।7. अगर आप चाहते हैं कि कोई व्यक्ति आपसे प्यार करने लगे तो आप उस व्यक्ति का ज्यादा से ज्यादा टाइम लेने की कोशिश करें परंतु उस व्यक्ति से चिपके नहीं। ऐसा भी ना हो कि वह व्यक्ति आपके समय की कीमत ना करें।8. अगर आप किसी व्यक्ति से उसके दाहिने कान की तरफ बोल कर उससे मदद मांगेंगे तो संभावना ज्यादा है कि व्यक्ति आपकी मदद करेगा।मैं आशा करती हूं कि आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आ

मानव गजब के मनोवैज्ञानिक तथ्य कौन से हैं? By वनिता कासनियां पंजाब सबसे पहले जवाब दिया गया: गजब के साइक्लोजिकल तथ्य कौन से हैं? 1. अगर आप अपने आप को 1 हफ्ते के लिए पूरे समाज से अपने परिवार से अपने दोस्तों से दूर कर लेते हो अक्सर तो आप इस दुनिया के दो % बुद्धिमान लोगों में से एक व्यक्ति में से एक हैं। 2. जब भी आपको दुविधा महसूस हो तो आप एक पेपर पर अपने विचारों को लिखना शुरू करते हैं। लिखते लिखते आपकी सारी की सारी दुविधा साफ होनी शुरू हो जाएगी। 3. अगर आप किसी सवाल का जवाब ढूंढना चाहते हैं आप किसी दुविधा में है तो सोने से पहले उस दुविधा के बारे में सोच कर सोए आपको कुछ दिनों में अपनी दुविधा का जवाब खुद ब खुद मिल जाएगा। 4. अगर आप सामने वाले व्यक्ति के बारे में जानना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने बारे में कुछ थोड़ा बताइए था कि आप सामने वाले व्यक्ति के इंटरेस्ट के बारे में जान सकें। 5. अगर आप नीले रंग के कपड़े पहनकर अपने कॉलेज या फिर अपने ऑफिस में जाते हैं तो आप पर लोग ज्यादा विश्वास करेंगे। 6. कुछ चीज में पाया गया है कि रात को देर में सोने वाले व्यक्ति अक्सर जल्दी सोने वाले व्यक्ति से ज्याद...