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In which house of the horoscope Saturn gives inauspicious effects? By philanthropist Vnita Kasnia PunjabSaturn is such a planet towards which everyone's fear always remains. In which house Saturn is in the horoscope of any person,

शनि ऐसा ग्रह है जिसके प्रति सभी का डर सदैव बना रहता है. किसी भी मनुष्‍य की कुंडली में शनि किस भाव में है, इससे मनुष्‍य के जीवन की दिशा, सुख, दुख आदि सभी बात निर्धारित हो जाती है. शनि को कष्टप्रदाता के रूप में अधिक जाना जाता है. शनि कुंडली के त्रिक (6, 8, 12) भावों का कारक है. शनि को सूर्य पुत्र माना जाता है. लेकिन इसे पिता का शत्रु भी कहा जाता है. पहला घर सूर्य और मंगल ग्रह से प्रभावित होता है। पहले घर में शनि तभी अच्छे परिणाम देगा जब तीसरे, सातवें या दसवें घर में शनि के शत्रु ग्रह न हों. यदि, बुध या शुक्र, राहू या केतू, सातवें भाव में हों तो शनि हमेशा अच्छे परिणाम देगा. शनि ग्रह के सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियां और इस लिये उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है. लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नही है, जितना उसे माना जाता है. इसलिये वह शत्रु नही मित्र है. मोक्ष को देने वाला एक मात्र शनि ग्रह ही है.

सत्य तो यह ही है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है, और हर प्राणी के साथ न्याय करता है. जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्ही को प्रताडित करता है. शास्त्रों में वर्णन है कि शनि वृद्ध, तीक्ष्ण, आलसी, वायु प्रधान, नपुंसक, तमोगुणी और पुरुष प्रधान ग्रह है. इसका वाहन गिद्ध है. शनिवार इसका दिन है. स्वाद कसैला तथा प्रिय वस्तु लोहा है. शनि राजदूत, सेवक, पैर के दर्द तथा कानून और शिल्प, दर्शन, तंत्र, मंत्र और यंत्र विद्याओं का कारक है. ऊसर भूमि इसका वासस्थान है. इसका रंग काला है. यह जातक के स्नायु तंत्र को प्रभावित करता है. यह मकर और कुंभ राशियों का स्वामी तथा मृत्यु का देवता है. यह ब्रह्म ज्ञान का भी कारक है, इसीलिए शनि प्रधान लोग संन्यास ग्रहण कर लेते हैं.

कुंडली के प्रथम लग्न में शनि

जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि प्रथम भाव में हो वह व्यक्ति राजा के समान जीवन जीने वाला होता है. यदि शनि अशुभ फल देने वाला है तो व्यक्ति रोगी, गरीब और बुरे कार्य करने वाला होता है. जिन जातकों के जन्म काल में शनि वक्री होती है वे भाग्यवादी होते हैं. उनके क्रिया-कलाप किसी अदृश्य शक्ति से प्रभावित होते हैं. वह जातक अपने पिता के प्रति उतना आज्ञाकारी नहीं होता है. प्रथम भाव में शनि वाले जातक एकांतवासी होकर प्रायः साधना में लगे रहते हैं. धनु, मकर, कुंभ और मीन राशि में शनि वक्री होकर लग्न में स्थित हो तो जातक राजा या गांव का मुखिया होता है.

. उपाय :

1. शराब और मांसाहारी भोजन के सेवन से स्वयं को बचाएं.

2. · शनिवार के दिन न तो तेल लगाए और न ही तेल खाए.

3. बरगद के पेड़ की जड़ों पर मीठा दूध चढानें से शिक्षा और स्वास्थ्य में सकारात्मक परिणाम मिलेंगे.

4. भगवान शनिदेव या हनुमान जी के मंदिर में जाकर यह प्रार्थना करें.

5. शनि दोष निवारण मंत्र का जाप प्रतिदिन करें.

कुंडली के दूसरे लग्न में शनि

जिस जातक की कुंडली में दूसरे घर में शनि हो वह लकड़ी संबंधी व्यापार ,कोयला एवंलोहे के व्यापार में धन अर्जित करता हैं. जातक बुद्धिमान, दयालु और न्यायकर्ता होता है. जातक धन का आनंद लेता है और धार्मिक स्वभाव का होता है. जातक की वित्तीय स्थिति सातवें भाव में स्थित ग्रह पर निर्भर करेगी. परिवार में पुरुष सदस्यों की संख्या छठवें भाव और आयु आठवें भाव पर निर्भर करेगी. दूसरे भाव में शनि जातक को परिवार से दूर करता हैं. ऐसा जातक सुख, साधन व समृद्धि की खोज में दूर देश विदेश की यात्रा करता हैं. उसका भाग्योदय पैतृक निवास से दूर होता है. जातक झूठ बोलने वाला, चंचल, बातूनी तथा दूसरों को मूर्ख बनाने में कुशल होता है.

उपाय :

1. लगातार 43 दिनों तक नंगे पांव हनुमान मंदिर जाएं.

2. अपने माथे पर दही या दूध का तिलक लगाएं और मांसाहार तथा शराब के सेवन से बचें.

3. सांप को दूध पिलाएं और कभी भी सांप को तंग ना करें और ना ही मारें.

4. दो रंग वाली गाए या भैंस कभी भी ना पालें. रोज शनिवार को कड़वे (तिल सर सरसो) तेल का दान करें.

5. शनिवार के दिन किसी तालाब, नदी में मछलियों को आटा का चारा खिलाएं.

कुंडली के तीसरे लग्न में शनि

अगर कुंडली में तीसरे भाव में शनि हो तो जातक बुद्धिमान और उदार होता है. इसके बावजूद जातक आलस्य से भरा आलसी शरीर वाला होता है. ऐसे जातक के चित में हमेशा अशांति रहती है. आपने लोगों से संघर्षपूर्ण स्थितियो और कठोर परिश्रम के बाद भी मिलने वाली असफलता जातक को परेशान करती हैं. ऐसे जातकों को भाइयो से तनावपूर्ण संबंध रहते हैं. ऐसे जातक को माता पिता से मात्र आशीर्वाद के अलावा और कुछ प्राप्त नहीं होता. तीसरा घर मंगल का होता है इस घर में शनि का प्रभाव आमतौर पर अच्छा होता है. यदि जातक शराब और मांसाहार से दूर रहता है तो वह लम्बे और स्वस्थ जीवन का आनंद उठाएगा.

उपाय :

1. बुरे प्रभावों से बचने के लिए तीन कुत्तों की सेवा करें.

2. घर का मुख्य दरवाजा यदि दक्षिण दिशा की ओर हो तो उसे बंद करवा दें.

3. प्रतिदिन शनि चालीसा पढ़ें, दूसरों को भी शनि चालीसा भेंट करें.

4. शराब और मांसाहार का सेवन कदापि ना करें साथ ही गले में शनि यंत्र धारण करें.

5. मकान के आखिर में एक अंधेरा कमरा बनवाएं और घर में एक काला कुत्ता पालें.

कुंडली के चौथे लग्न में शनि

यदि जन्म कुंडली में शनि चौथे भाव या लग्न में हो तो जातक गृहहीन होता है. ऐसे जातक की या तो माता नहीं होती या माता को कष्‍ट होता है. ऐसा व्यक्ति बचपन में रोगी भी रहता है. यह भाव सुख का भाव माना जाता हैं. ऐसा व्यक्ति घर-गृहस्थी की जिम्मेदारी नहीं निभाता और अंत में संन्यासी बन जाता है. लेकिन, चतुर्थ में शनि तुला, मकर या कुंभ राशि का हो तो जातक को पूर्वजों की संपत्ति प्राप्त होती है. चौथे भाव में शनि जातक को पित्त तथा वायु विकार से ग्रस्त रखता है. अभिभावक से जातक के विचार और सोच एक दूसरे से विरुद्ध होते है. जातक को व्यापार के प्रारम्भ में अनेक घोर संकट प्रकट होते है.

उपाय :

1. सांप को दूध पिलाएं अथवा किसी गाय या भैंस को दूध-चावल खिलाएं. किसी कुएं में दूध डालें और रात में दूध न पियें.

2. पराई स्त्री से अवैध संबंध कदापि न बनाएं. कौवों को दाना खिलाएं.

3. कच्चा दूध शनिवार दिन कुएं में डालें.

4. एक बोतल शराब शनिवार के दिन बहती नदी में प्रवाहित करें.

5. शनिवार के दिन अपने भार के दसवें हिस्से के बराबर वजन का बादाम नदी में प्रवाहित करें.

बाल वनिता महिला आश्रम,

कुंडली के पांचवें लग्न में शनि

पंचम भाव का वक्री शनि बेहतर प्रेम संबंध देता है. इसके बावजूद जातक प्रेमी को धोखा देता है. वह पत्नी एवं बच्चे की भी परवाह नहीं करता है. जातक भ्रमण करता है अथवा उसकी बुद्धि भ्रमित रहती है. अगर पंचम भाव में शनि हो तो वह आदमी ईश्वर में विश्वास नहीं करता है और मित्रों से द्रोह करता है. ऐसा जातक पेट पीड़ा से परेशान, घूमनेवाला, आलसी और चतुर होता है. जिस जातक के पंचम भाव में शनि होता है उसका दिमाग फिजूल विचारों से ग्रस्त रहता है. यदि शनि उच्च का होकर पंचम हो तो जातक के पैरों में कमजोरी ला देता है. मेष, सिंह, धनु राशि का शनि जातक में अहम का उदय करता है. जातक अपने विचारों को गोपनीय रखता है.

उपाय :

1. चमड़े के जूते, बैग, अटैची आदि का प्रयोग न करें और शनिवार का व्रत करें.

2. चार नारियल बहते जल में प्रवाहित करें, परंतु नदी का जल स्वच्छ होना चाहिए.

3. हर शनिवार के दिन काली गाय को घी लपेटी हुई रोटी नियमित रूप से खिलाएं.

4. शनि यंत्र धारण करें.

5. बादाम का एक हिस्सा मंदिर में बाटें और दूसरा हिस्सा लाकर घर में रख दें.

कुंडली के छठे लग्न में शनि

कुंडली के छठे भाव में अगर शनि हो तो इससे संबंधित काम रात में करने से हमेश लाभ होगा. यदि शादी के 28 साल के बाद होगी तो अच्छे परिणाम मिलेंगे. यदि केतु अच्छी स्थित में हो जातक धन, लाभदायक यात्राओं और बच्चों के सुख का आनंद पाता है. जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि छठे भाव में हो तो वह कामी, सुंदर, शूरवीर, अधिक खाने वाला, कुटिल स्वभाव, बहुत शत्रुओं को जीतने वाला होता है. षष्ठ भाव का वक्री शनि यदि निर्बल हो तो रोग, शत्रु एवं ऋण कारक होता है.

उपाय:

1. एक काला कुत्ता पालें और उसे प्रतिदिन भोजन करायें.

2. किसी भी स्वच्छ नदी या बहते पानी में नारियल और बादाम बहाएं.

3. सांप की सेवा बच्चों के कल्याण के लिए फायदेमंद साबित होगी.

4. चमड़े के जूते, बैग, अटैची आदि का प्रयोग न करें और शनिवार का व्रत करें.

कुंडली के सातवें लग्न में शनि

लग्न का सातवां घर बुध और शुक्र से प्रभावित होता है. दोनों ही शनि के मित्र ग्रह हैं, इसलिए शनि इस घर में बहुत अच्छा परिणाम देता है. शनि से जुड़े व्यवसाय जैसे मशीनरी और लोहे का काम जातक के लिए बहुत लाभदायक होता है. यदि जातक अपनी पत्नी से अच्छे संबंध रखता है तो वह अमीर और समृद्ध होगा और लंबी आयु के साथ अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेगा. यदि बृहस्पति पहले घर में हो तो जातक को सरकार से लाभ होगा. यदि जातक व्यभिचारी हो जाता है या शराब पीने लगता है तो शनि नीच और हानिकारक हो जाता है.

उपाय :

1. किसी बांसुरी में चीनी भरें और उसे ले जाकर किसी सुनसान जगह जैसे कि जंगल आदि में दफना दें.

2. काली गाय की सेवा करें. पराई स्त्री से अवैध संबंध कदापि न बनाएं.

3. मिट्टी के पात्र में शहद भरकर खेत में मिट्टी के नीचे दबा दें.

4. अपने हाथ में काले घोड़े की नाल का नाव की कांटी की अंगूठी धारण करें.

कुंडली के आठवें लग्न में शनि

कुंडली के आठवें लग्न में कोई भी ग्रह शुभ नहीं माना जाता है. जिसके आठवें लग्न में शनि हो वह जातक दीर्घायु होगा लेकिन उसके पिता की उम्र कम होती है और जातक के भाई एक-एक करके शत्रु बनते जाते हैं. यह घर शनि का मुख्यालय माना जाता है, लेकिन यदि बुध, राहू और केतु जातक की कुंडली में नीच के हैं तो शनि बुरा परिणाम देगा.

उपाय :

1. अपने साथ हमेशा चांदी का एक चौकोर टुकड़ा रखें.

2. नहाते समय पानी में दूध डालें और किसी पत्थर या लकड़ी के आसन पर बैठ कर स्नान करें.

3. गले में चांदी की चेन धारण करें और शराब व मांस का सेवन ना करें.

4. शनिवार के दिन आठ किलो उड़द बहती नदी में प्रवाहित करें.

5. उड़द काले कपड़े में बांध कर ले जाण्एं और गांठ खोलकर दाल नदी के जल में प्रवाहित कर दें.

कुंडली के नौवें लग्न में शनि

जिसके कुंडली के नौवें लग्न में शनि हो वैसे जातक के तीन घर होंगे. जातक एक सफल यात्रा संचालक (टूर ऑपरेटर) या सिविल इंजीनियर होगा. वह एक लंबे और सुखी जीवन का आनंद लेगा साथ ही जातक के माता - पिता भी सुखी जीवन का आनंद लेंगे. यहां स्थित शनि जातक की तीन पीढ़ियों शनि के दुष्प्रभाव से बचाएगा. अगर जातक दूसरों की मदद करता है तो शनि ग्रह हमेशा अच्छे परिणाम देगा.

उपाय :

1. बहते पानी में चावल या बादाम बहाएं. बृहस्पति से संबंधित (सोना, केसर) और चंद्रमा से संबंधित (चांदी, कपड़ा) का काम अच्छे परिणाम देंगे.

2. पीले रंग का रुमाल सदैव अपने पास रखें और साबुत मूंग मिट्टी के बर्तन में भरकर नदी में प्रवाहित करें.

3. सवा 6 रत्ती का पुखराज गुरुवार के दिन धारण करें.

4. शनिवार के दिन कच्चा दूध कुएं में डालें.

5. हर शनिवार के दिन काली गाय को घी से चुपड़ी हुई रोटी खिलाएं.

कुंडली के दसवें लग्न में शनि

कुंडली के दसवें भाव में शनि लाभदायक होता है. यह शनि का अपना घर है, जहां शनि अच्छा परिणाम देगा. जातक तब तक धन और संपत्ति का आनंद लेता रहेगा, जब तक कि वह घर नहीं बनवाता. जातक महत्वाकांक्षी होगा और सरकार से लाभ का आनंद लेगा. जातक को चतुराई से काम लेना चाहिए और एक जगह बैठ कर काम करना चाहिए. तभी उसे शनि से लाभ और आनंद मिल पाएगा. दशम भाव का शनि होने पर व्यक्ति धनी, धार्मिक, राज्यमंत्री या उच्चपद पर आसीन होता है. दशमस्थ शनि वक्री हो तो जातक वकील, न्यायाधीश,बैरिस्टर, मुखिया, मंत्री या दंडाधिकारी होता है.

उपाय :

1. प्रतिदिन मंदिर जाएं और शराब, मांस और अंडे से परहेज करें.

2. दस अंधे लोगों को भोजन कराएं, पीले रंग का रुमाल सदैव अपने पास रखें.

3. जातक अपने कमरे के पर्दे, बिस्तर का कवर, दीवारों का रंग आदि पीले रंग से रंगवाएं.

4. गुरुवार को पीले लड्डू बाटें. आपने नाम से मकान न बनवाएं.

5. अपने ललाट पर प्रतिदिन दूध अथवा दही का तिलक लगाएं और शनि यंत्र धारण करें.

कुंडली के ग्यारहवें लग्न में शनि

जिकी कुंडली के ग्यारहवें लग्न में शनि हो उस जातक के भाग्य का निर्धारण उसकी उम्र के अडतालीसवें वर्ष में होगा. जातक कभी भी निःसंतान नहीं रहेगा. जातक चतुराई और छल से पैसे कमाएगा. शनि ग्रह राहु और केतु की स्थिति के अनुसार अच्छा या बुरा परिणाम देगा. जिस व्यक्ति की कुंडली में ग्याहरवें भाव में शनि हो वह लंबी आयु वाला, धनी, कल्पनाशील, निरोग, सभी सुख प्राप्त करने वाला होता है. एकादश भाव का शनि जातक को चापलूस बनाता है. व्यय भावस्थ वक्री शनि निर्दयी एवं आलसी बनाता है.

उपाय :

1. किसी महत्वपूर्ण काम को शुरू करने से पहले 43 दिनों तक तेल या शराब की बूंदें जमीन पर गिराएं.

2. शराब और मांसाहार का सेवन ना करें और अपना नैतिक चरित्र ठीक रखें.

3. मित्र के वेश मे छुपे शत्रुओं से सावधान रहें. सूर्योदय से पूर्व शराब और कड़वा तेल मुख्य दरवाजे के पास भूमिपर गिराएं.

4. पर स्त्री गमन न करें और शनि यंत्र धारण करें.

5. कच्चा दूध शनिवार के दिन कुएं में डालें और कौवों को दाना खिलाएं.

कुंडली के बारहवें लग्न में शनि

कुंडली के बारहवें लग्न में शनि अच्छा परिणाम देता है. जातक के दुश्मन नहीं होंगे. उसके कई घर होंगे. उसके परिवार और व्यापार में वृद्धि होगी. वह बहुत अमीर हो जाएगा. हालांकि, यदि जातक शराब पिए, मांसाहार करे या अपने घर के अंधेरे कमरे में रोशनी करे तो शनि नीच का हो जाएगा. बाहरवें भाव में शनि होने पर व्यक्ति अशांत मन वाला, पतित, बकवादी, कुटिल दृष्टि, निर्दय, निर्लज, खर्च करने वाला होता है.

उपाय :

1. जातक को झूठ नहीं बोलना चाहिए साथ ही शराब और मांस से दूर रहना चाहिए.

2. चार सूखे नारियल बहते जल में प्रवाहित करें और शनि यंत्र धारण करें.

3. शनिवार के दिन काले कुत्ते ओर गाय को रोटी खिलाएं और कड़वे तेल व उड़द दाल दान करें.

5. सर्प को दूध पिलाएं और किसी काले कपड़े में बारह बादाम बांधकर उसे किसी लोहे के बर्तन में भरकर किसी अंधेरे कमरे में रखने से अच्छे परिणाम मिलेंगे.

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सर्वप्रथम भूत ही बनता है। इसी तरह जब कोई स्त्री मरती है तो उसे अलग नामों से जाना जाता है। माना गया है कि प्रसुता, स्त्री या नवयुवती मरती है तो चुड़ैल बन जाती है और जब कोई कुंवारी कन्या मरती है तो उसे देवी कहते हैं। जो स्त्री बुरे कर्मों वाली है उसे डायन या डाकिनी करते हैं। इन सभी की उत्पति अपने पापों, व्याभिचार से, अकाल मृत्यु से या श्राद्ध न होने से होती है।84 लाख योनियां〰〰〰〰〰पशुयोनि, पक्षीयोनि, मनुष्य योनि में जीवन यापन करने वाली आत्माएं मरने के बाद अदृश्य भूत-प्रेत योनि में चले जाते हैं। आत्मा के प्रत्येक जन्म द्वारा प्राप्त जीव रूप को योनि कहते हैं। ऐसी 84 लाख योनियां है, जिसमें कीट-पतंगे, पशु-पक्षी, वृक्ष और मानव आदि सभी शामिल हैं। प्रेतयोनि में जाने वाले लोग अदृश्य और बलवान हो जाते हैं। लेकिन सभी मरने वाले इसी योनि में नहीं जाते और सभी मरने वाले अदृश्य तो होते हैं लेकिन बलवान नहीं होते। यह आत्मा के कर्म और गति पर निर्भर करता है। बहुत से भूत या प्रेत योनि में न जाकर पुन: गर्भधारण कर मानव बन जाते हैं। पितृ पक्ष में हिन्दू अपने पितरों का तर्पण करते हैं। इससे सिद्ध होता है कि पितरों का अस्तित्व आत्मा अथवा भूत-प्रेत के रूप में होता है। गरुड़ पुराण में भूत-प्रेतों के विषय में विस्तृत वर्णन मिलता है। श्रीमद्‍भागवत पुराण में भी धुंधकारी के प्रेत बन जाने का वर्णन आता है।अतृप्त आत्माएं बनती है भूत〰〰〰〰〰〰〰〰〰जो व्यक्ति भूखा, प्यासा, संभोगसुख से विरक्त, राग, क्रोध, द्वेष, लोभ, वासना आदि इच्छाएं और भावनाएं लेकर मरा है अवश्य ही वह भूत बनकर भटकता है। और जो व्यक्ति दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या आदि से मरा है वह भी भू‍त बनकर भटकता है। ऐसे व्यक्तियों की आत्मा को तृप्त करने के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। जो लोग अपने स्वजनों और पितरों का श्राद्ध और तर्पण नहीं करते वे उन अतृप्त आत्माओं द्वारा परेशान होते हैं।यम नाम की वायु〰〰〰〰〰वेद अनुसार मृत्युकाल में 'यम' नामक वायु में कुछ काल तक आत्मा स्थिर रहने के बाद पुन: गर्भधारण करती है। जब आत्मा गर्भ में प्रवेश करती है तब वह गहरी सुषुप्ति अवस्था में होती है। जन्म से पूर्व भी वह इसी अवस्था में ही रहती है। जो आत्मा ज्यादा स्मृतिवान या ध्यानी है उसे ही अपने मरने का ज्ञान होता है और वही भूत बनती है।जन्म मरण का चक्र〰〰〰〰〰〰जिस तरह सुषुप्ति से स्वप्न और स्वप्न से आत्मा जाग्रति में जाती हैं उसी तरह मृत्युकाल में वह जाग्रति से स्वप्न और स्वप्न से सु‍षुप्ति में चली जाती हैं फिर सुषुप्ति से गहन सुषुप्ति में। यह चक्र चलता रहता है।भूत की भावना〰〰〰〰〰भूतों को खाने की इच्छा अधिक रहती है। इन्हें प्यास भी अधिक लगती है, लेकिन तृप्ति नहीं मिल पाती है। ये बहुत दुखी और चिड़चिड़ा होते हैं। यह हर समय इस बात की खोज करते रहते हैं कि कोई मुक्ति देने वाला मिले। ये कभी घर में तो कभी जंगल में भटकते रहते हैं।भूत की स्थिति〰〰〰〰ज्यादा शोर, उजाला और मंत्र उच्चारण से यह दूर रहते हैं। इसीलिए इन्हें कृष्ण पक्ष ज्यादा पसंद है और तेरस, चौदस तथा अमावस्या को यह मजबूत स्थिति में रहकर सक्रिय रहते हैं। भूत-प्रेत प्रायः उन स्थानों में दृष्टिगत होते हैं जिन स्थानों से मृतक का अपने जीवनकाल में संबंध रहा है या जो एकांत में स्थित है। बहुत दिनों से खाली पड़े घर या बंगले में भी भूतों का वास हो जाता है।भूत की ताकत〰〰〰〰भूत अदृश्य होते हैं। भूत-प्रेतों के शरीर धुंधलके तथा वायु से बने होते हैं अर्थात् वे शरीर-विहीन होते हैं। इसे सूक्ष्म शरीर कहते हैं। आयुर्वेद अनुसार यह 17 तत्वों से बना होता है। कुछ भूत अपने इस शरीर की ताकत को समझ कर उसका इस्तेमाल करना जानते हैं तो कुछ नहीं। कुछ भूतों में स्पर्श करने की ताकत होती है तो कुछ में नहीं। जो भूत स्पर्श करने की ताकत रखता है वह बड़े से बड़े पेड़ों को भी उखाड़ कर फेंक सकता है। ऐसे भूत यदि बुरे हैं तो खतरनाक होते हैं। यह किसी भी देहधारी (व्यक्ति) को अपने होने का अहसास करा देते हैं। इस तरह के भूतों की मानसिक शक्ति इतनी बलशाली होती है कि यह किसी भी व्यक्ति का दिमाग पलट कर उससे अच्छा या बुरा कार्य करा सकते हैं। यह भी कि यह किसी भी व्यक्ति के शरीर का इस्तेमाल करना भी जानते हैं। ठोसपन न होने के कारण ही भूत को यदि गोली, तलवार, लाठी आदि मारी जाए तो उस पर उनका कोई प्रभाव नहीं होता। भूत में सुख-दुःख अनुभव करने की क्षमता अवश्य होती है। क्योंकि उनके वाह्यकरण में वायु तथा आकाश और अंतःकरण में मन, बुद्धि और चित्त संज्ञाशून्य होती है इसलिए वह केवल सुख-दुःख का ही अनुभव कर सकते हैं।अच्‍छी और बुरी आत्मा〰〰〰〰〰〰〰वासना के अच्छे और बुरे भाव के कारण मृतात्माओं को भी अच्छा और बुरा माना गया है। जहां अच्छी मृतात्माओं का वास होता है उसे पितृलोक तथा बुरी आत्मा का वास होता है उसे प्रेतलोक आदि कहते हैं। अच्छे और बुरे स्वभाव की आत्माएं ऐसे लोगों को तलाश करती है जो उनकी वासनाओं की पूर्ति कर सकता है। बुरी आत्माएं उन लोगों को तलाश करती हैं जो कुकर्मी, अधर्मी, वासनामय जीवन जीने वाले लोग हैं। फिर वह आत्माएं उन लोगों के गुण-कर्म, स्वभाव के अनुसार अपनी इच्छाओं की पूर्ति करती है। जिस मानसिकता, प्रवृत्ति, कुकर्म, सत्कर्मों आदि के लोग होते हैं उसी के अनुरूप आत्मा उनमें प्रवेश करती है। अधिकांशतः लोगों को इसका पता नहीं चल पाता। अच्छी आत्माएं अच्छे कर्म करने वालों के माध्यम से तृप्त होकर उसे भी तृप्त करती है और बुरी आत्माएं बुरे कर्म वालों के माध्यम से तृप्त होकर उसे बुराई के लिए और प्रेरित करती है। इसीलिए धर्म अनुसार अच्छे कर्म के अलावा धार्मिकता और ईश्वर भक्ति होना जरूरी है तभी आप दोनों ही प्रकार की आत्मा से बचे रहेंगे।कौन बनता है भूत का शिकार〰〰〰〰〰〰〰〰〰धर्म के नियम अनुसार जो लोग तिथि और पवित्रता को नहीं मानते हैं, जो ईश्वर, देवता और गुरु का अपमान करते हैं और जो पाप कर्म में ही सदा रत रहते हैं ऐसे लोग आसानी से भूतों के चंगुल में आ सकते हैं। इनमें से कुछ लोगों को पता ही नहीं चल पाता है कि हम पर शासन करने वाला कोई भूत है। जिन लोगों की मानसिक शक्ति बहुत कमजोर होती है उन पर ये भूत सीधे-सीधे शासन करते हैं। बाल वनिता महिला आश्रमजो लोग रात्रि के कर्म और अनुष्ठान करते हैं और जो निशाचारी हैं वह आसानी से भूतों के शिकार बन जाते हैं। हिन्दू धर्म अनुसार किसी भी प्रकार का धार्मिक और मांगलिक कार्य रात्रि में नहीं किया जाता। रात्रि के कर्म करने वाले भूत, पिशाच, राक्षस और प्रेतयोनि के होते हैं।〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰

कौन बनता है भूत प्रेत? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 〰〰🌼〰〰🌼〰〰 जिसका कोई वर्तमान न हो, केवल अतीत ही हो वही भूत कहलाता है। अतीत में अटका आत्मा भूत बन जाता है। जीवन न अतीत है और न भविष्य वह सदा वर्तमान है। जो वर्तमान में रहता है वह मुक्ति की ओर कदम बढ़ाता है। आत्मा के तीन स्वरुप माने गए हैं। जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा। जो भौतिक शरीर में वास करती है उसे जीवात्मा कहते हैं। जब इस जीवात्मा का वासना और कामनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं। यह आत्मा जब सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करता है, उस उसे सूक्ष्मात्मा कहते हैं।  भूत-प्रेतों की गति एवं शक्ति अपार होती है। इनकी विभिन्न जातियां होती हैं और उन्हें भूत, प्रेत, राक्षस, पिशाच, यम, शाकिनी, डाकिनी, चुड़ैल, गंधर्व आदि कहा जाता है। भूतों के प्रकार 〰〰〰〰 हिन्दू धर्म में गति और कर्म अनुसार मरने वाले लोगों का विभाजन किया है- भूत, प्रेत, पिशाच, कूष्मांडा, ब्रह्मराक्षस, वेताल और क्षेत्रपाल। उक्त सभी के उप भाग भी होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार 18 प्रकार के प्रेत होते हैं। भूत सबसे शुरुआती पद है या कहें कि जब कोई आम व्यक...

मनो वैज्ञानिक तथ्य क्या हैं जो लोग नहीं जानते हैं? By वनिता कासनियां पंजाब नफरत करने वाले आपसे वास्तव में नफरत नहीं करते हैं, वास्तव में वे खुद से नफरत करते हैं क्योंकि आप जो चाहते हैं उसका प्रतिबिंब हैं।2. एक व्यक्ति दूसरे लोगों के बारे में आपसे कैसे बात करता है, इसे ध्यान से सुनना सुनिश्चित करें। इस तरह वे आपके बारे में दूसरे लोगों से बात करते हैं।3. हमें केवल दो करीबी दोस्त चाहिए जिन पर हम भरोसा कर सकें। बहुत सारे दोस्त अवसाद और तनाव से जुड़े हुए हैं।4. जो लोग ज्यादा मेलजोल नहीं करते वे असल में असामाजिक नहीं होते, उनमें ड्रामा और नकली लोगों को बर्दाश्त नहीं होता।5. अपनी समस्याओं को दूसरों को बताना बंद करें, 20% परवाह नहीं है और अन्य 80% खुश हैं कि आपके पास यह है।6. पढ़ाई के दौरान चॉकलेट खाने से मस्तिष्क को नई जानकारी बनाए रखने में मदद मिलती है और यह उच्च परीक्षण स्कोर से जुड़ा होता है।7. जिसे आप नापसंद करते हैं उसके साथ अच्छा होने का मतलब यह नहीं है कि आप नकली हैं, इसका आम तौर पर मतलब है कि आप उस व्यक्ति को सहन करने के लिए पर्याप्त परिपक्व हैं।8. किसी को अपने दिमाग से निकालना मुश्किल है, इसका कारण यह है कि वे आपके बारे में भी सोच रहे हैं।9. जो लोग कटाक्ष को अच्छी तरह समझते हैं वे अक्सर लोगों के मन को पढ़ने में अच्छे होते हैं।10. यदि आपका मन बार-बार भटकता है, तो 85% संभावना है कि आप अवचेतन रूप से अपने जीवन से नाखुश हैं।11. माता-पिता अपने बच्चों से जिस तरह से बात करते हैं, वह उनकी अंतरात्मा की आवाज बन जाती है।12. अपने नकारात्मक विचारों को लिखना और उन्हें कूड़ेदान में फेंक देना आपके मूड को बेहतर बना सकता है। (मैंने कोशिश की और यह वास्तव में काम करता है :)13. ध्यान मात्र 8 सप्ताह में मस्तिष्क की संरचना को बदल सकता है। यह सीखने से जुड़े मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में ग्रे मैटर को भी बढ़ाता है।मनोविज्ञान कहता है कि जो लोग अच्छी सामग्री लिखते हैं और अपने उत्तरों में स्क्रीनशॉट पोस्ट नहीं करते हैं, उन्हें कम व्यू और कम अपवोट मिलते हैं

मनो वैज्ञानिक तथ्य क्या हैं जो लोग नहीं जानते हैं? By वनिता कासनियां पंजाब नफरत करने वाले आपसे वास्तव में नफरत नहीं करते हैं, वास्तव में वे खुद से नफरत करते हैं क्योंकि आप जो चाहते हैं उसका प्रतिबिंब हैं। 2. एक व्यक्ति दूसरे लोगों के बारे में आपसे कैसे बात करता है, इसे ध्यान से सुनना सुनिश्चित करें। इस तरह वे आपके बारे में दूसरे लोगों से बात करते हैं। 3. हमें केवल दो करीबी दोस्त चाहिए जिन पर हम भरोसा कर सकें। बहुत सारे दोस्त अवसाद और तनाव से जुड़े हुए हैं। 4. जो लोग ज्यादा मेलजोल नहीं करते वे असल में असामाजिक नहीं होते, उनमें ड्रामा और नकली लोगों को बर्दाश्त नहीं होता। 5. अपनी समस्याओं को दूसरों को बताना बंद करें, 20% परवाह नहीं है और अन्य 80% खुश हैं कि आपके पास यह है। 6. पढ़ाई के दौरान चॉकलेट खाने से मस्तिष्क को नई जानकारी बनाए रखने में मदद मिलती है और यह उच्च परीक्षण स्कोर से जुड़ा होता है। 7. जिसे आप नापसंद करते हैं उसके साथ अच्छा होने का मतलब यह नहीं है कि आप नकली हैं, इसका आम तौर पर मतलब है कि आप उस व्यक्ति को सहन करने के लिए पर्याप्त परिपक्व हैं। 8. किसी को अपने दिमाग से निकालना...

मानव गजब के मनोवैज्ञानिक तथ्य कौन से हैं? By वनिता कासनियां पंजाब सबसे पहले जवाब दिया गया: गजब के साइक्लोजिकल तथ्य कौन से हैं? 1. अगर आप अपने आप को 1 हफ्ते के लिए पूरे समाज से अपने परिवार से अपने दोस्तों से दूर कर लेते हो अक्सर तो आप इस दुनिया के दो % बुद्धिमान लोगों में से एक व्यक्ति में से एक हैं।2. जब भी आपको दुविधा महसूस हो तो आप एक पेपर पर अपने विचारों को लिखना शुरू करते हैं। लिखते लिखते आपकी सारी की सारी दुविधा साफ होनी शुरू हो जाएगी।3. अगर आप किसी सवाल का जवाब ढूंढना चाहते हैं आप किसी दुविधा में है तो सोने से पहले उस दुविधा के बारे में सोच कर सोए आपको कुछ दिनों में अपनी दुविधा का जवाब खुद ब खुद मिल जाएगा।4. अगर आप सामने वाले व्यक्ति के बारे में जानना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने बारे में कुछ थोड़ा बताइए था कि आप सामने वाले व्यक्ति के इंटरेस्ट के बारे में जान सकें।5. अगर आप नीले रंग के कपड़े पहनकर अपने कॉलेज या फिर अपने ऑफिस में जाते हैं तो आप पर लोग ज्यादा विश्वास करेंगे।6. कुछ चीज में पाया गया है कि रात को देर में सोने वाले व्यक्ति अक्सर जल्दी सोने वाले व्यक्ति से ज्यादा दिमागदार होता है।7. अगर आप चाहते हैं कि कोई व्यक्ति आपसे प्यार करने लगे तो आप उस व्यक्ति का ज्यादा से ज्यादा टाइम लेने की कोशिश करें परंतु उस व्यक्ति से चिपके नहीं। ऐसा भी ना हो कि वह व्यक्ति आपके समय की कीमत ना करें।8. अगर आप किसी व्यक्ति से उसके दाहिने कान की तरफ बोल कर उससे मदद मांगेंगे तो संभावना ज्यादा है कि व्यक्ति आपकी मदद करेगा।मैं आशा करती हूं कि आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आ

मानव गजब के मनोवैज्ञानिक तथ्य कौन से हैं? By वनिता कासनियां पंजाब सबसे पहले जवाब दिया गया: गजब के साइक्लोजिकल तथ्य कौन से हैं? 1. अगर आप अपने आप को 1 हफ्ते के लिए पूरे समाज से अपने परिवार से अपने दोस्तों से दूर कर लेते हो अक्सर तो आप इस दुनिया के दो % बुद्धिमान लोगों में से एक व्यक्ति में से एक हैं। 2. जब भी आपको दुविधा महसूस हो तो आप एक पेपर पर अपने विचारों को लिखना शुरू करते हैं। लिखते लिखते आपकी सारी की सारी दुविधा साफ होनी शुरू हो जाएगी। 3. अगर आप किसी सवाल का जवाब ढूंढना चाहते हैं आप किसी दुविधा में है तो सोने से पहले उस दुविधा के बारे में सोच कर सोए आपको कुछ दिनों में अपनी दुविधा का जवाब खुद ब खुद मिल जाएगा। 4. अगर आप सामने वाले व्यक्ति के बारे में जानना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने बारे में कुछ थोड़ा बताइए था कि आप सामने वाले व्यक्ति के इंटरेस्ट के बारे में जान सकें। 5. अगर आप नीले रंग के कपड़े पहनकर अपने कॉलेज या फिर अपने ऑफिस में जाते हैं तो आप पर लोग ज्यादा विश्वास करेंगे। 6. कुछ चीज में पाया गया है कि रात को देर में सोने वाले व्यक्ति अक्सर जल्दी सोने वाले व्यक्ति से ज्याद...