सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

ग्रह ठीक ना कर सको तो गृह ठीक करो जिंदगी बदले गीआओ बताती हूं किस तरह जिंदगी की सारी मुश्किलें हल हो जाएंगी, जिंदगी किस तरह से सुख संपदा से गुजरेगी By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबअगर आपके पास कुंडली नहीं है, अगर आप की कुंडली के ज्यादातर ग्रह पस्त हैं शनि ग्रह अस्त है। बहुत अनुष्ठान करा लिए, सही ज्योतिषाचार्य सही, गुरु या सही साधक नहीं मिला तो उसके बावजूद जिंदगी कैसे अच्छी होगी खुशियां कैसे आएंगी, आगे पढ़ो बताती हूं हमारी कुंडली में 12 खाने हैं पर भौतिक ग्रह 7 और छाया ग्रह 2 तो तीन खाने जो खाली हैं। वह किसके हैं बड़े महत्वपूर्ण और यही तीन खाने ऐसे हैं जो खुद आपके हाथ में हैं, इन तीन खानों में आप खुद ही कृष्ण और खुद ही अर्जुन बन सकते हो, खुद ही पीड़ित और खुद ही ज्योतिष बन सकते हो अपनी जिंदगी को खुद पलट कर रख सकते हो। नौ ग्रहों के 9 खानों के बाद दसवां खाना है दसवें ग्रह का वह है धरती ग्रह है, जिसे हम गिनते नहीं, उसमें आपका आता है कर्म और आपके शरीर में महत्वपूर्ण अंग अंगूठा, हमारा शरीर धरती के 3 मुख्य तत्वों से बना है जिनमें से वायु मिट्टी और पानी बाकी दो तत्व आकाशीय है अग्नि और आकाश हम जब भी ध्यान लगाते हैं खुद को बैलेंस करने के लिए तो जो ग्रह खराब है उसी की उंगली हम अंगूठे पर रखते हैं अंगूठा यानी हमारा धरती तत्व और हमारा यह शरीर उंगलियां यानी अलग-अलग ग्रह की प्रतीक या पंच तत्वों की प्रतीक। जिस तरह का अनबैलेंस जीवन होता है वही उंगली अंगूठे पर रखकर ध्यान लगाया जाता है और उस ग्रह की ताकत, ऊर्जा अंगूठे में ट्रांसफर की जाती है या शरीर में ट्रांसफर की जाती है आइए अब मुख्य बात ग्रह..... जिनकी यादें, साल्ट, पूर्व जन्मों की यादों के अनुसार हमारी प्रवृत्ति के अनुसार हमारे अंदर मिश्रित होते हैं और उन से लिए गए फैसले ही हमारा भविष्य और वर्तमान तय होते हैं। हमारा दसवां खाना पृथ्वी का 11वां खाना हनरे गृह का आज 11वें खाने के बारे बात करते हैं। घर का वास्तु इतना ज्यादा पावरफुल है कि वह सारे ग्रहों को ठीक कर सकता है। उनके बुरे प्रभाव को खत्म कर सकता है और जिंदगी सुख पूर्व कर सकता है। तो किसी भी हालत में अपने घर का वास्तु ठीक कीजिए।घर की ढलान उत्तर पूर्व साइड में रखें, छत की भी और फर्श की भी, यह सबसे मुख्य पार्ट है यह आपके जीवन को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है पश्चिम और दक्षिण साइड भारी उत्तर और पूर्व साइड हल्का वायु और धूप उत्तर और पूर्व से आनी चाहिए घर के मुखिया का कमरा नृत्य कोण में घर की अलमारी घर का पैसा सब इसी कोण में रसोई अग्नि कोण में सीढ़ियां दक्षिण साइड में अगर बिटिया की शादी नहीं हो रही तो उसका कमरा वावय कोण में, घर के लोग अपने संप्रदाय अपने धर्म के अनुसार मंत्र का जप रोजाना करें। अपने इष्ट की भक्ति करते रहें। घर के मध्य में वास्तु यंत्र स्थापित होना चाहिए। घर का मध्य खाली होना चाहिए वहां कोई ज्यादा बोझ नहीं होना चाहिए, अगर मंत्र जप करने का समय नहीं है तो ऐसे कई तरह की बेल या छोटे यंत्र आते हैं कि उस पर मंत्र चलता रहता है घर की रसोई ठीक कर ली तो औरतों का जीवन सुखी कर लिया अगर औरतों का जीवन सुखी नहीं है तो घर की रसोई भी ठीक नहीं है। जिनका भी अग्नि कौन बढ़ा हुआ है प्लाट का, उनका व्यापार नहीं चलेगा, नृत्य कोण में दिक्कत है तो समाज में प्रतिष्ठा तथा औलाद को लेकर दिक्कत है ।घर का वास्तु ठीक करने से घर रहने वाले सभी प्राणियों की कुंडली ठीक हो जाती है। ध्यान से भी ग्रह ठीक होते हैं यह अगली पोस्ट में सिर्फ घर का वास्तु ठीक करके मैंने बहुत लोगों की जिंदगी बदल दी है, बीमार रहने वाली औरतों को ठीक किया है।जो वर्षों से ठीक नहीं हो रही थी संतान को लेकर मुश्किल है सिर्फ वास्तु ठीक करने से हो गई धन और पैसे की दिक्कत भी सिर्फ घर के वास्तु को ठीक करने से हो गई। कुछ लोगों की कुंडली ऐसी होती है कि मैं कितनी भी कोशिश कर लूं वह लोग जप अनुष्ठान नही करा पाते हैं ना वह बात मानते हैं उनका बस वास्तु ठीक कर दो फिर सब ठीकबाल वनिता महिला आश्रम

ग्रह ठीक ना कर सको तो गृह ठीक करो जिंदगी बदले गी
आओ बताती हूं किस तरह जिंदगी की सारी मुश्किलें हल हो जाएंगी, जिंदगी किस तरह से सुख संपदा से गुजरेगी 
By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब
अगर आपके पास कुंडली नहीं है, अगर आप की कुंडली के ज्यादातर ग्रह पस्त हैं शनि ग्रह अस्त है। 
बहुत अनुष्ठान करा लिए, सही ज्योतिषाचार्य सही, गुरु या सही साधक नहीं मिला तो उसके बावजूद जिंदगी कैसे अच्छी होगी 
खुशियां कैसे आएंगी, 
आगे पढ़ो बताती हूं 
हमारी कुंडली में 12 खाने हैं पर भौतिक ग्रह 7 और छाया ग्रह 2 तो तीन खाने जो खाली हैं। वह किसके हैं 
बड़े महत्वपूर्ण और यही तीन खाने ऐसे हैं जो खुद आपके हाथ में हैं, इन तीन खानों में आप खुद ही कृष्ण और खुद ही अर्जुन बन सकते हो, खुद ही पीड़ित और खुद ही ज्योतिष बन सकते हो 
अपनी जिंदगी को खुद पलट कर रख सकते हो। 
नौ ग्रहों के 9 खानों के बाद दसवां खाना है दसवें ग्रह का 
वह है धरती ग्रह है, जिसे हम गिनते नहीं, उसमें आपका आता है कर्म और आपके शरीर में महत्वपूर्ण अंग अंगूठा, 
हमारा शरीर धरती के 3 मुख्य तत्वों से बना है जिनमें से वायु मिट्टी और पानी बाकी दो तत्व आकाशीय है अग्नि और आकाश 
हम जब भी ध्यान लगाते हैं खुद को बैलेंस करने के लिए तो जो ग्रह खराब है उसी की उंगली हम अंगूठे पर रखते हैं अंगूठा यानी हमारा धरती तत्व और हमारा यह शरीर उंगलियां यानी अलग-अलग ग्रह की प्रतीक या पंच तत्वों की प्रतीक। 
जिस तरह का अनबैलेंस जीवन होता है वही उंगली अंगूठे पर रखकर ध्यान लगाया जाता है और उस ग्रह की ताकत, ऊर्जा अंगूठे में ट्रांसफर की जाती है या शरीर में ट्रांसफर की जाती है 
आइए अब मुख्य बात 
ग्रह..... जिनकी यादें, साल्ट, पूर्व जन्मों की यादों के अनुसार हमारी प्रवृत्ति के अनुसार हमारे अंदर मिश्रित होते हैं 
और उन से लिए गए फैसले ही हमारा भविष्य और वर्तमान तय होते हैं। हमारा दसवां खाना पृथ्वी का 
11वां खाना हनरे गृह का 
आज 11वें खाने के बारे बात करते हैं। घर का वास्तु इतना ज्यादा पावरफुल है कि वह सारे ग्रहों को ठीक कर सकता है। 
उनके बुरे प्रभाव को खत्म कर सकता है और जिंदगी सुख पूर्व कर सकता है। तो किसी भी हालत में अपने घर का वास्तु ठीक कीजिए।
घर की ढलान उत्तर पूर्व साइड में रखें, छत की भी और फर्श की भी, यह सबसे मुख्य पार्ट है यह आपके जीवन को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है 
पश्चिम और दक्षिण साइड भारी उत्तर और पूर्व साइड हल्का 
वायु और धूप उत्तर और पूर्व से आनी चाहिए 
घर के मुखिया का कमरा नृत्य कोण में घर की अलमारी घर का पैसा सब इसी कोण में 
रसोई अग्नि कोण में सीढ़ियां दक्षिण साइड में 
अगर बिटिया की शादी नहीं हो रही तो उसका कमरा वावय कोण में, घर के लोग अपने संप्रदाय अपने धर्म के अनुसार मंत्र का जप रोजाना करें। अपने इष्ट की भक्ति करते रहें। 
घर के मध्य में वास्तु यंत्र स्थापित होना चाहिए। 
घर का मध्य खाली होना चाहिए वहां कोई ज्यादा बोझ नहीं होना चाहिए, अगर मंत्र जप करने का समय नहीं है तो ऐसे कई तरह की बेल या छोटे यंत्र आते हैं कि उस पर मंत्र चलता रहता है 
घर की रसोई ठीक कर ली तो औरतों का जीवन सुखी कर लिया अगर औरतों का जीवन सुखी नहीं है तो घर की रसोई भी ठीक नहीं है। 
जिनका भी अग्नि कौन बढ़ा हुआ है प्लाट का, 
उनका व्यापार नहीं चलेगा, 
नृत्य कोण में दिक्कत है तो समाज में प्रतिष्ठा तथा औलाद को लेकर दिक्कत है ।
घर का वास्तु ठीक करने से घर रहने वाले सभी प्राणियों की कुंडली ठीक हो जाती है। 
ध्यान से भी ग्रह ठीक होते हैं यह अगली पोस्ट में 
सिर्फ घर का वास्तु ठीक करके मैंने बहुत लोगों की जिंदगी बदल दी है, बीमार रहने वाली औरतों को ठीक किया है।जो वर्षों से ठीक नहीं हो रही थी 
संतान को लेकर मुश्किल है सिर्फ वास्तु ठीक करने से हो गई 
धन और पैसे की दिक्कत भी सिर्फ घर के वास्तु को ठीक करने से हो गई।

 कुछ लोगों की कुंडली ऐसी होती है कि मैं कितनी भी कोशिश कर लूं वह लोग जप अनुष्ठान नही करा पाते हैं 
ना वह बात मानते हैं उनका बस वास्तु ठीक कर दो फिर सब ठीक
बाल वनिता महिला आश्रम

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

*बुरी नज़र उतारने के ज्योतिषीय उपाय-*By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️यदि किसी घर को नज़र लग जाए तो उस घर में क्लेश पैदा हो जाता है। घर में चोरी-चकारी की घटना होती है और उस घर में अशांति का माहौल बना रहता है। घर के सदस्य किसी न किसी रोग से पीड़ित होने लगते हैं। उस घर में दरिद्रता आने लगती है।यदि काम-धंधे को नज़र लग जाए तो व्यापार ठप होने लगता है। बिज़नेस में उसे लाभ की बजाय हानि होती है।यदि किसी व्यक्ति को नज़र लग जाए तो वह रोगी अथवा किसी बुरी संगति में फंस जाता है जिससे समाज में उसकी प्रतिष्ठा समाप्त हो जाती है अथवा उसके बने बनाए काम बिगड़ जाते हैं।यदि किसी शिशु को नज़र लग जाए तो वह बीमार पड़ जाता है अथवा वह बिना बात के ज़ोर-ज़ोर से रोता है।नज़र उतारने के ज्योतिषीय उपाय-〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ज्योतिष के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में लग्नेश और चंद्रमा राहु से पीड़ित हों तो आपको नज़र दोष का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा जन्मकुंडली में नीच राशि में स्थित राहु के साथ लग्नेश हो तथा सूर्य, शनि व अष्टमेश से दृष्ट हो। इस स्थिति में उस जातक को किसी की बुरी नज़र लग सकती है। अतः कुंडली में राहु ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए उपाय करने चाहिए। इसके अलावा सूर्य को क्रूर ग्रह माना जाता है। इसलिए सूर्य के उपाय भी ज़रुरी है। इसमें आपके लिए शनि ग्रह के उपाय भी ज़रुरी है। जैसे -👉 बुधवार के दिन सप्त धान्य (सात प्रकार के अनाज) का दान करें।👉 बुधवार के दिन नागरमोथा की जड़ धारण करें।👉 राहु यंत्र की स्थापना कर उसी पूजा करें।👉 नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।बुरी नज़र उतारने के उपाय-〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️निम्न टोटकों को अपनाकर भी आप अपने व्यापार में बढ़ोत्तरी ला सकते हैंः👉 पंचमुखी का हनुमान जी का लॉकेट धारण करें।👉 हनुमान चालीसा एवं बजरंग बाण का नित्य जापा करें।👉 हनुमान जी के मंदिर जाकर उसके कंधों का सिंदूर माथे पर लगाएँ।👉 यदि कोई व्यक्ति बुरी नज़र से प्रभावित है तो उसे भैरो बाबा के मंदिर से मिलने वाला काला धागा धारण करना चाहिए। इससे उप पर लगी बुरी नज़र उतर जाएगी।👉 यदि बार-बार धन हानि हो रही है तो लाल कपड़े में दो कौड़ियां बांधकर तिजोरी में रख दे।👉 एक रोटी बनाएं और उसे केवल एक तरफ़ से ही सेंकें। अब सिके हुए भाग पर तेल लगाकर उसमें लाल मिर्च एवं नमक दो डेली रखें। अब नज़र दोष से पीड़ित व्यक्ति के ऊपर सात बार इसे फिराकर चुपचाप से इसे किसी चौराह पर रखें।बच्चों की नजर उतारने के उपाय〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️👉 बच्चों की बुरी नजर उतारने के उपाय हेतूु बचपन में हमारी दादी, नानी या माँ के द्वारा सूखी लाल मिर्च, फिटकरी, मुठ्ठी भर नमक या फिर नीम की टहनी आदि के टोटके से हमारी नज़र उतारी गई होगी। नज़र उतारने के दादी मां के घरेलू नुस्खे होते हैं। इसके अलावा जानते हैं अन्य टोटके।👉 पीली कौड़ी में छेद करके उसे बच्चे को पहनाना चाहिए।👉 बच्चों को मोती चांद का लॉकेट पहनाएं या काले-सफेद मोती जड़ित नज़रबंद का ब्रेसलेट पहनाएं।👉 यदि बच्चा दूध पीने में आनाकानी कर रहा है तो उसके ऊपर से दूध को उसारकर कुत्ते को पिला दें।👉यदि आप किसी को शक़ है कि बच्चे को उसी की नज़र लगी है तो उसका हाथ बच्चे के ऊपर फिरवाएं।दो लाल सूखी मिर्च, थोड़ा सेंधा नमक, थोड़े सरसो के बीज लें। इसके बाद बच्चे के उपर से नीचे, आगे और पीछे तीन बार घुमाए अब एक गर्म पर यह सब डाल दें। धुआं उठने के बाद कुछ ही देर में बुरी नजर उतर जाएगी।बाल वनिता महिला आश्रम〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️नोट; अधिक जानकारी अथवा कुंडली विश्लेषण के लिए मैसेंजर पर संपर्क करें।धन्यवाद#बाल_वनिता_महिला_आश्रम.

*बुरी नज़र उतारने के ज्योतिषीय उपाय-* By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ यदि किसी घर को नज़र लग जाए तो उस घर में क्लेश पैदा हो जाता है। घर में चोरी-चकारी की घटना होती है और उस घर में अशांति का माहौल बना रहता है। घर के सदस्य किसी न किसी रोग से पीड़ित होने लगते हैं। उस घर में दरिद्रता आने लगती है। यदि काम-धंधे को नज़र लग जाए तो व्यापार ठप होने लगता है। बिज़नेस में उसे लाभ की बजाय हानि होती है। यदि किसी व्यक्ति को नज़र लग जाए तो वह रोगी अथवा किसी बुरी संगति में फंस जाता है जिससे समाज में उसकी प्रतिष्ठा समाप्त हो जाती है अथवा उसके बने बनाए काम बिगड़ जाते हैं। यदि किसी शिशु को नज़र लग जाए तो वह बीमार पड़ जाता है अथवा वह बिना बात के ज़ोर-ज़ोर से रोता है। नज़र उतारने के ज्योतिषीय उपाय- 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ज्योतिष के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में लग्नेश और चंद्रमा राहु से पीड़ित हों तो आपको नज़र दोष का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा जन्मकुंडली में नीच राशि में स्थित राहु के साथ लग्नेश हो तथा सूर्य, शनि व अष्टमेश से दृष्ट हो। इस स्थिति में उस जातक को किसी की बुरी नज़र ...

अपनी जन्म कुंडली से मालदार होने के लक्षण कैसे जाने ? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब श्रीमान जी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मालदार या संपन्नता के लिए लक्षण जन्म कुंडली मे विद्यमान ग्रहो के संयोजन से जाना जा सकता है कुछ योग जिनके जन्म कुंडली मे होने पर व्यक्ति अवश्य मालदार या धनी होगा जो इस प्रकार से हैं -● जन्म कुंडली मे द्वितीय व एकादश भाव के स्वामी एक दूसरे के भाव मे विद्यमान हो अथवा दोनो एक साथ किसी भी केंद्र ( प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, दशम)अथवा त्रिकोण स्थान ( पंचम, नवम) मे स्थित होने पर जातक अवश्य ही मालदार होगा ।● यदि धन भाव का स्वामी पंचम मे हो तो जातक मालदार होगा यदि धनेश होकर गुरु पंचम भाव मे विद्यमान हो तो विशेष फल एवं शीघ्र प्रभावकारी योग बनता है ।● यदि द्वितीय व चतुर्थ भाव के स्वामी नवम भाव मे हो तथा लग्नेश उच्च राशि का होकर एकादश भाव मे विद्यमान हो तथा नवम भाव का स्वामी भी बली होकर द्वितीय भाव मे स्थित हो तो जातक अत्यन्त मालदार एवं धनी होगा ।● जन्म कुंडली मे द्वितीय भाव मे चन्द्र, गुरु ,शुक्र हो तथा नवम के स्वामी की तीनो पर द्रष्टि हो तो जातक आवश्यक रूप से मालदार होगा ।● किसी भी पत्रिका मे यदि मंगल और चन्द्र एक साथ विराजमान हो तो ऐसे जातक पर माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है ।● जन्मांक मे पंचम भाव मे शनि अपनी ही राशि अर्थात मकर या कुम्भ मे विराजमान हो तथा एकादश भाव मे बुध विद्यमान होकर शनि पर द्रष्टि हो , तो व्यक्ति को चारो ओर से आय होने के फलस्वरूप मालदार रहेगा ।● जन्म कुंडली मे पंचम भाव मे शुक्र अपनी ही राशि अर्थात वृषभ एवं तुला मे विराजमान हो तथा एकादश भाव मे विद्यमान होकर शनि , शुक्र को द्रष्टिपात करे तो जातक बहुत धनवान होता है ।● जन्म पत्रिका मे यदि लग्नेश द्वितीय भाव मे हो द्वितीयेश एकादश भाव मे हो एकादश भाव का स्वामी लग्न स्थान मे विद्यमान हो तो जातक जन्म से ही अत्यन्त मालदार होता है ।उपरोक्त जन्म कुंडली मे मालदार होने के सिद्ध सूत्र है जो मेरे निजी अनुभव मे सही पाये गये है आप भी जन्म कुंडली पर परख कर देखिये साथ ही टिप्पणीकालम मे अपनी प्रति क्रिया व्यक्त कीजिए से ज्योतिषीय नवीन ज्ञान वर्धन एवं विभिन्न अनुभवो का समावेश हो सकेगा ।आशा करते है आपको व्यक्त किये गये ग्रहो के संयोजन जिससे व्यक्ति मालदार होता है पसंद आये होगे , ज्योतिषीय जिज्ञासा का अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रश्न करने के लिए आपका ह्दय से आभार आपका उत्साह वर्धन नवीन प्रेरणा प्रदायक एवं मनोबल मे वृद्धि करने वाला रहेगा जी ।मूल स्रोत- श्री गुरुदेव आर्शीवादइमेज स्रोत गूगल

अपनी जन्म कुंडली से मालदार होने के लक्षण कैसे जाने ? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब श्रीमान जी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मालदार या संपन्नता के लिए लक्षण जन्म कुंडली मे विद्यमान ग्रहो के संयोजन से जाना जा सकता है कुछ योग जिनके जन्म कुंडली मे होने पर व्यक्ति अवश्य मालदार या धनी होगा जो इस प्रकार से हैं - ● जन्म कुंडली मे द्वितीय व एकादश भाव के स्वामी एक दूसरे के भाव मे विद्यमान हो अथवा दोनो एक साथ किसी भी केंद्र ( प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, दशम)अथवा त्रिकोण स्थान ( पंचम, नवम) मे स्थित होने पर जातक अवश्य ही मालदार होगा । ● यदि धन भाव का स्वामी पंचम मे हो तो जातक मालदार होगा यदि धनेश होकर गुरु पंचम भाव मे विद्यमान हो तो विशेष फल एवं शीघ्र प्रभावकारी योग बनता है । ● यदि द्वितीय व चतुर्थ भाव के स्वामी नवम भाव मे हो तथा लग्नेश उच्च राशि का होकर एकादश भाव मे विद्यमान हो तथा नवम भाव का स्वामी भी बली होकर द्वितीय भाव मे स्थित हो तो जातक अत्यन्त मालदार एवं धनी होगा । ● जन्म कुंडली मे द्वितीय भाव मे चन्द्र, गुरु ,शुक्र हो तथा नवम के स्वामी की तीनो पर द्रष्टि हो तो जातक आवश्यक रूप से मालदार होगा । ● क...

कुंडली

*अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *क्रमांक =०४* *🚩आइए जानते हैं सनातन धर्म में 16 संस्कार को🙏🏻*   By वनिता कासनियां पंजाब *👉🏻जो माता बहन परिवार नियोजन (family planning)  कर रहे हैं ये वो ज़रूर पढ़ें👇🏻* *1.* गर्भाधान संस्कार,  *2.* पुंसवन संस्कार.  *3.* सीमन्तोन्नयन संस्कार,  *4.* जातकर्म संस्कार,  *5.* नामकरण संस्कार,  *6.* निष्क्रमण संस्कार,  *7.* अन्नप्राशन संस्कार,  *8.* चूड़ाकर्म संस्कार,  *9.* विद्यारम्भ संस्कार,  *10.* कर्णवेध संस्कार,  *11.* यज्ञोपवीत संस्कार,  *12.* वेदारम्भ संस्कार,  *13.* केशान्त संस्कार,  *14.* समावर्तन संस्कार,  *15.* विवाह संस्कार,  *16.* अंत्येष्टि संस्कार। *🚩🤰🏻गर्भाधान संस्कार :* गर्भाधान संस्कार के माध्यम से हिन्दू धर्म सन्देश देता है कि स्त्री-पुरुष संबंध पशुवत न होकर केवल वंशवृद्धि के लिए होना चाहिए। मानसिक और शारीरिक  रूप से स्वस्थ होने, मन प्रसन्न होने पर गर्भधारण करने से संतति स्वस्थ और बुद्धिमान होती है। *🚩पुंसवन संस्कार :* गर्भ धारण के तीन माह बाद गर्भ में...