सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कोई आधा कटा हुआ नींबू रोज मेरे घर के सामने क्यों फेंकेगा? यह एक दैनिक अभ्यास है और तब से मेरे घर में चीजें ठीक नहीं हैं, मुझे क्या करना चाहिए? By वनिता कासनियां पंजाब मैंने अपने बड़ों से सीखा है कि अगर आपके मन में किसी भी ऐसी चीज़ से डर बैठता है तो हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी आज भी हमारे आसपास हैं जो जिन्दा भगवान् हैं। उनके सामने शनि, राहु, केतु, भूत प्रेत आदि किसी की नहीं चलती ,अगर दुनिया में इनका अस्तित्व है तो हनुमान जी का भी अस्तित्व है। जहाँ राम का नाम है वहां हनुमान हमेशा हैं।मन में राम का नाम है तो हनुमान जी हर समय साथ हैं और नारायण खुद लक्ष्मी जी के पति हैं तो जहाँ उनका वास हैं वहां लक्ष्मी जी का भी वास है और फिर वहां सुख शांति समृद्धि आने से कोई रोक नहीं सकता।वैसे तो मैं इन चीजों पर विशवास नहीं करती, परन्तु अकसर चौराहों पर कुछ खास दिनों पर ऐसी चीजें पड़ी देखती । काफी लोग विशवास करते हैं।अगर आपके मन में यह वहम है कि किसी के निम्बू फेंकने से आप के घर में चीजें ठीक नहीं हैं, तो पहले तो मान लीजिए इस संसार में कोई भी किसी के लिए अच्छा या बुरा नहीं कर सकता। सब अपने कर्मों का फल भुगते हैं। बल्कि किसी और के लिए बुरा सोचने वाला व्यक्ति अपने ही लिए अहित सोच रहा है। हर किसी को अपनी करनी का फल कई गुना भुगतना पड़ता है। आप सोचिए कोई संतुष्ट, समर्थ, सफल, समृद्ध व्यक्ति बैठे बैठे ही दूसरे का बिगाड़ा करने को क्यों चल देगा जबकी उसका जीवन बढ़िया चल रहा है साफ जाहिर है वह सुखी नहीं है अर्थात वह भी नकारत्मक है तो वह भी अपने जीवन में खुद भी नकारत्मकता को आमंत्रण दे रहा है और बुरा कर रहा है तो भगवान पर उसका न्याय छोड़ दें।हमारी नकारत्मक सोच अपने लिए ही कई गुना नकारत्मक परिस्थितियां बनाती है और नकारत्मकता को अपनी तरफ खींचती है। इससे अपने काम नहीं बनते और भाग्य साथ नहीं देता क्योंकि गरीबी, बीमारी, क्लेश, चोरी चकारी, असफलता सब नकारत्मक चीजें हैं। अपनी नकारत्मक सोच से हमने ही इन्हें अपनी तरफ खींचा है।इसके विपरीत सुख शांति, समृद्वि, उन्नति, प्रगति, पैसा, खुशी, स्वास्थ्य सकारत्मक चीजें हैं और इन्हें हम सकारत्मक सोच से ही अपनी तरफ खींच सकते हैं।जब आप ये मान रहे हैं कि कोई यह कटा निम्बू घर में फेंक कर आपके लिए अशुभता ला रहा है तो आपकी खुद की सोच नकारत्मक है। आप भगवान् की शक्ति पर भरोसा ही नहीं कर रहे हैं। आप ऐसे निम्बू को भगवान् से ज्यादा बलशाली मान रहें हैं और घर की परिस्थितियों का कारण किसी दूसरे को मान रहे हैं।पहले भगवान् पर विशवास करे और देखने का प्रयास करें कि घर में ऐसा क्यों हो सकता है और उन परिस्थितियों को कैसे बदला जा सकता है।आपने तो मान लिया कि परिस्थितियां किसी और की वजह से ऐसी हैं इसलिए उनको ठीक नहीं किया जा सकता। बहुत आसान है दूसरों को अपनी परिस्थितियों के लिए दोषी ठहराना और परिस्थितियों को समझने की कोशिश न करना और उन को वैसे ही छोड़ देना।आप अपनी सोच को बदलें, परिस्थितियां खुद बदल जाएंगीं। खुश रहें जो मिला है उसके लिए भगवान् को धन्यवाद दें।सुबह उठते ही भगवान् को प्रार्थना करें शायद यह प्रार्थना आपके अंदर पाजिटिविटी भर देगी और हमेशा पॉजिटिव रहने में मदद करेगी।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏हे भगवान, आप का धन्यवाद है कि आप हर पल हर समय हमारे साथ हैं इसलिए हमारे जीवन सुख शांति समृद्धि उन्नति प्रगति सफलता से भरा है। आप हमारे साथ हैं इसलिए हम में असीम शक्ति है असीम शांति है असीम शांति है असीम शांति है। आपका धन्यवाद है आपकी कृपा मुझ पर और मेरे परिवार पर बरस रही है। आपका धन्यवाद है कि आपने हमें हमेशा स्वास्थ्य रहने का वरदान दिया है इसलिए हम हमेशा स्वास्थ्य हैं और आगे भी रहेंगें। आपका धन्यवाद है कि हम अपने हर काम में सफल हैं सफल हैं सफल हैं और हमारे आसपास सभी लोग हमारे शुभचिंतक हैं।राम राम १, राम राम २ , राम राम ३ , राम राम ४ , राम राम ५ , राम राम ६ , राम राम ७ , राम राम ८ , राम राम ९ , राम राम १० , राम राम ११ , राम राम १२ , राम राम १३ , राम राम १४ , राम राम १५ , राम राम १६ , राम राम १७ , राम राम १८ , राम राम १९ , राम राम २० , राम राम २१ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

मैंने अपने बड़ों से सीखा है कि अगर आपके मन में किसी भी ऐसी चीज़ से डर बैठता है तो हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी आज भी हमारे आसपास हैं जो जिन्दा भगवान् हैं। उनके सामने शनि, राहु, केतु, भूत प्रेत आदि किसी की नहीं चलती ,अगर दुनिया में इनका अस्तित्व है तो हनुमान जी का भी अस्तित्व है। जहाँ राम का नाम है वहां हनुमान हमेशा हैं।

मन में राम का नाम है तो हनुमान जी हर समय साथ हैं और नारायण खुद लक्ष्मी जी के पति हैं तो जहाँ उनका वास हैं वहां लक्ष्मी जी का भी वास है और फिर वहां सुख शांति समृद्धि आने से कोई रोक नहीं सकता।

वैसे तो मैं इन चीजों पर विशवास नहीं करती, परन्तु अकसर चौराहों पर कुछ खास दिनों पर ऐसी चीजें पड़ी देखती । काफी लोग विशवास करते हैं।

अगर आपके मन में यह वहम है कि किसी के निम्बू फेंकने से आप के घर में चीजें ठीक नहीं हैं, तो पहले तो मान लीजिए इस संसार में कोई भी किसी के लिए अच्छा या बुरा नहीं कर सकता। सब अपने कर्मों का फल भुगते हैं। बल्कि किसी और के लिए बुरा सोचने वाला व्यक्ति अपने ही लिए अहित सोच रहा है। हर किसी को अपनी करनी का फल कई गुना भुगतना पड़ता है। आप सोचिए कोई संतुष्ट, समर्थ, सफल, समृद्ध व्यक्ति बैठे बैठे ही दूसरे का बिगाड़ा करने को क्यों चल देगा जबकी उसका जीवन बढ़िया चल रहा है साफ जाहिर है वह सुखी नहीं है अर्थात वह भी नकारत्मक है तो वह भी अपने जीवन में खुद भी नकारत्मकता को आमंत्रण दे रहा है और बुरा कर रहा है तो भगवान पर उसका न्याय छोड़ दें।

हमारी नकारत्मक सोच अपने लिए ही कई गुना नकारत्मक परिस्थितियां बनाती है और नकारत्मकता को अपनी तरफ खींचती है। इससे अपने काम नहीं बनते और भाग्य साथ नहीं देता क्योंकि गरीबी, बीमारी, क्लेश, चोरी चकारी, असफलता सब नकारत्मक चीजें हैं। अपनी नकारत्मक सोच से हमने ही इन्हें अपनी तरफ खींचा है।

इसके विपरीत सुख शांति, समृद्वि, उन्नति, प्रगति, पैसा, खुशी, स्वास्थ्य सकारत्मक चीजें हैं और इन्हें हम सकारत्मक सोच से ही अपनी तरफ खींच सकते हैं।

जब आप ये मान रहे हैं कि कोई यह कटा निम्बू घर में फेंक कर आपके लिए अशुभता ला रहा है तो आपकी खुद की सोच नकारत्मक है। आप भगवान् की शक्ति पर भरोसा ही नहीं कर रहे हैं। आप ऐसे निम्बू को भगवान् से ज्यादा बलशाली मान रहें हैं और घर की परिस्थितियों का कारण किसी दूसरे को मान रहे हैं।

पहले भगवान् पर विशवास करे और देखने का प्रयास करें कि घर में ऐसा क्यों हो सकता है और उन परिस्थितियों को कैसे बदला जा सकता है।

आपने तो मान लिया कि परिस्थितियां किसी और की वजह से ऐसी हैं इसलिए उनको ठीक नहीं किया जा सकता। बहुत आसान है दूसरों को अपनी परिस्थितियों के लिए दोषी ठहराना और परिस्थितियों को समझने की कोशिश न करना और उन को वैसे ही छोड़ देना।

आप अपनी सोच को बदलें, परिस्थितियां खुद बदल जाएंगीं। खुश रहें जो मिला है उसके लिए भगवान् को धन्यवाद दें।

सुबह उठते ही भगवान् को प्रार्थना करें शायद यह प्रार्थना आपके अंदर पाजिटिविटी भर देगी और हमेशा पॉजिटिव रहने में मदद करेगी।

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

हे भगवान, आप का धन्यवाद है कि आप हर पल हर समय हमारे साथ हैं इसलिए हमारे जीवन सुख शांति समृद्धि उन्नति प्रगति सफलता से भरा है। आप हमारे साथ हैं इसलिए हम में असीम शक्ति है असीम शांति है असीम शांति है असीम शांति है। आपका धन्यवाद है आपकी कृपा मुझ पर और मेरे परिवार पर बरस रही है। आपका धन्यवाद है कि आपने हमें हमेशा स्वास्थ्य रहने का वरदान दिया है इसलिए हम हमेशा स्वास्थ्य हैं और आगे भी रहेंगें। आपका धन्यवाद है कि हम अपने हर काम में सफल हैं सफल हैं सफल हैं और हमारे आसपास सभी लोग हमारे शुभचिंतक हैं।

राम राम १, राम राम २ , राम राम ३ , राम राम ४ , राम राम ५ , राम राम ६ , राम राम ७ , राम राम ८ , राम राम ९ , राम राम १० , राम राम ११ , राम राम १२ , राम राम १३ , राम राम १४ , राम राम १५ , राम राम १६ , राम राम १७ , राम राम १८ , राम राम १९ , राम राम २० , राम राम २१ 

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कौन बनता है भूत प्रेत?By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब〰〰🌼〰〰🌼〰〰जिसका कोई वर्तमान न हो, केवल अतीत ही हो वही भूत कहलाता है। अतीत में अटका आत्मा भूत बन जाता है। जीवन न अतीत है और न भविष्य वह सदा वर्तमान है। जो वर्तमान में रहता है वह मुक्ति की ओर कदम बढ़ाता है।आत्मा के तीन स्वरुप माने गए हैं। जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा। जो भौतिक शरीर में वास करती है उसे जीवात्मा कहते हैं। जब इस जीवात्मा का वासना और कामनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं। यह आत्मा जब सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करता है, उस उसे सूक्ष्मात्मा कहते हैं। भूत-प्रेतों की गति एवं शक्ति अपार होती है। इनकी विभिन्न जातियां होती हैं और उन्हें भूत, प्रेत, राक्षस, पिशाच, यम, शाकिनी, डाकिनी, चुड़ैल, गंधर्व आदि कहा जाता है।भूतों के प्रकार〰〰〰〰हिन्दू धर्म में गति और कर्म अनुसार मरने वाले लोगों का विभाजन किया है- भूत, प्रेत, पिशाच, कूष्मांडा, ब्रह्मराक्षस, वेताल और क्षेत्रपाल। उक्त सभी के उप भाग भी होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार 18 प्रकार के प्रेत होते हैं। भूत सबसे शुरुआती पद है या कहें कि जब कोई आम व्यक्ति मरता है तो सर्वप्रथम भूत ही बनता है। इसी तरह जब कोई स्त्री मरती है तो उसे अलग नामों से जाना जाता है। माना गया है कि प्रसुता, स्त्री या नवयुवती मरती है तो चुड़ैल बन जाती है और जब कोई कुंवारी कन्या मरती है तो उसे देवी कहते हैं। जो स्त्री बुरे कर्मों वाली है उसे डायन या डाकिनी करते हैं। इन सभी की उत्पति अपने पापों, व्याभिचार से, अकाल मृत्यु से या श्राद्ध न होने से होती है।84 लाख योनियां〰〰〰〰〰पशुयोनि, पक्षीयोनि, मनुष्य योनि में जीवन यापन करने वाली आत्माएं मरने के बाद अदृश्य भूत-प्रेत योनि में चले जाते हैं। आत्मा के प्रत्येक जन्म द्वारा प्राप्त जीव रूप को योनि कहते हैं। ऐसी 84 लाख योनियां है, जिसमें कीट-पतंगे, पशु-पक्षी, वृक्ष और मानव आदि सभी शामिल हैं। प्रेतयोनि में जाने वाले लोग अदृश्य और बलवान हो जाते हैं। लेकिन सभी मरने वाले इसी योनि में नहीं जाते और सभी मरने वाले अदृश्य तो होते हैं लेकिन बलवान नहीं होते। यह आत्मा के कर्म और गति पर निर्भर करता है। बहुत से भूत या प्रेत योनि में न जाकर पुन: गर्भधारण कर मानव बन जाते हैं। पितृ पक्ष में हिन्दू अपने पितरों का तर्पण करते हैं। इससे सिद्ध होता है कि पितरों का अस्तित्व आत्मा अथवा भूत-प्रेत के रूप में होता है। गरुड़ पुराण में भूत-प्रेतों के विषय में विस्तृत वर्णन मिलता है। श्रीमद्‍भागवत पुराण में भी धुंधकारी के प्रेत बन जाने का वर्णन आता है।अतृप्त आत्माएं बनती है भूत〰〰〰〰〰〰〰〰〰जो व्यक्ति भूखा, प्यासा, संभोगसुख से विरक्त, राग, क्रोध, द्वेष, लोभ, वासना आदि इच्छाएं और भावनाएं लेकर मरा है अवश्य ही वह भूत बनकर भटकता है। और जो व्यक्ति दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या आदि से मरा है वह भी भू‍त बनकर भटकता है। ऐसे व्यक्तियों की आत्मा को तृप्त करने के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। जो लोग अपने स्वजनों और पितरों का श्राद्ध और तर्पण नहीं करते वे उन अतृप्त आत्माओं द्वारा परेशान होते हैं।यम नाम की वायु〰〰〰〰〰वेद अनुसार मृत्युकाल में 'यम' नामक वायु में कुछ काल तक आत्मा स्थिर रहने के बाद पुन: गर्भधारण करती है। जब आत्मा गर्भ में प्रवेश करती है तब वह गहरी सुषुप्ति अवस्था में होती है। जन्म से पूर्व भी वह इसी अवस्था में ही रहती है। जो आत्मा ज्यादा स्मृतिवान या ध्यानी है उसे ही अपने मरने का ज्ञान होता है और वही भूत बनती है।जन्म मरण का चक्र〰〰〰〰〰〰जिस तरह सुषुप्ति से स्वप्न और स्वप्न से आत्मा जाग्रति में जाती हैं उसी तरह मृत्युकाल में वह जाग्रति से स्वप्न और स्वप्न से सु‍षुप्ति में चली जाती हैं फिर सुषुप्ति से गहन सुषुप्ति में। यह चक्र चलता रहता है।भूत की भावना〰〰〰〰〰भूतों को खाने की इच्छा अधिक रहती है। इन्हें प्यास भी अधिक लगती है, लेकिन तृप्ति नहीं मिल पाती है। ये बहुत दुखी और चिड़चिड़ा होते हैं। यह हर समय इस बात की खोज करते रहते हैं कि कोई मुक्ति देने वाला मिले। ये कभी घर में तो कभी जंगल में भटकते रहते हैं।भूत की स्थिति〰〰〰〰ज्यादा शोर, उजाला और मंत्र उच्चारण से यह दूर रहते हैं। इसीलिए इन्हें कृष्ण पक्ष ज्यादा पसंद है और तेरस, चौदस तथा अमावस्या को यह मजबूत स्थिति में रहकर सक्रिय रहते हैं। भूत-प्रेत प्रायः उन स्थानों में दृष्टिगत होते हैं जिन स्थानों से मृतक का अपने जीवनकाल में संबंध रहा है या जो एकांत में स्थित है। बहुत दिनों से खाली पड़े घर या बंगले में भी भूतों का वास हो जाता है।भूत की ताकत〰〰〰〰भूत अदृश्य होते हैं। भूत-प्रेतों के शरीर धुंधलके तथा वायु से बने होते हैं अर्थात् वे शरीर-विहीन होते हैं। इसे सूक्ष्म शरीर कहते हैं। आयुर्वेद अनुसार यह 17 तत्वों से बना होता है। कुछ भूत अपने इस शरीर की ताकत को समझ कर उसका इस्तेमाल करना जानते हैं तो कुछ नहीं। कुछ भूतों में स्पर्श करने की ताकत होती है तो कुछ में नहीं। जो भूत स्पर्श करने की ताकत रखता है वह बड़े से बड़े पेड़ों को भी उखाड़ कर फेंक सकता है। ऐसे भूत यदि बुरे हैं तो खतरनाक होते हैं। यह किसी भी देहधारी (व्यक्ति) को अपने होने का अहसास करा देते हैं। इस तरह के भूतों की मानसिक शक्ति इतनी बलशाली होती है कि यह किसी भी व्यक्ति का दिमाग पलट कर उससे अच्छा या बुरा कार्य करा सकते हैं। यह भी कि यह किसी भी व्यक्ति के शरीर का इस्तेमाल करना भी जानते हैं। ठोसपन न होने के कारण ही भूत को यदि गोली, तलवार, लाठी आदि मारी जाए तो उस पर उनका कोई प्रभाव नहीं होता। भूत में सुख-दुःख अनुभव करने की क्षमता अवश्य होती है। क्योंकि उनके वाह्यकरण में वायु तथा आकाश और अंतःकरण में मन, बुद्धि और चित्त संज्ञाशून्य होती है इसलिए वह केवल सुख-दुःख का ही अनुभव कर सकते हैं।अच्‍छी और बुरी आत्मा〰〰〰〰〰〰〰वासना के अच्छे और बुरे भाव के कारण मृतात्माओं को भी अच्छा और बुरा माना गया है। जहां अच्छी मृतात्माओं का वास होता है उसे पितृलोक तथा बुरी आत्मा का वास होता है उसे प्रेतलोक आदि कहते हैं। अच्छे और बुरे स्वभाव की आत्माएं ऐसे लोगों को तलाश करती है जो उनकी वासनाओं की पूर्ति कर सकता है। बुरी आत्माएं उन लोगों को तलाश करती हैं जो कुकर्मी, अधर्मी, वासनामय जीवन जीने वाले लोग हैं। फिर वह आत्माएं उन लोगों के गुण-कर्म, स्वभाव के अनुसार अपनी इच्छाओं की पूर्ति करती है। जिस मानसिकता, प्रवृत्ति, कुकर्म, सत्कर्मों आदि के लोग होते हैं उसी के अनुरूप आत्मा उनमें प्रवेश करती है। अधिकांशतः लोगों को इसका पता नहीं चल पाता। अच्छी आत्माएं अच्छे कर्म करने वालों के माध्यम से तृप्त होकर उसे भी तृप्त करती है और बुरी आत्माएं बुरे कर्म वालों के माध्यम से तृप्त होकर उसे बुराई के लिए और प्रेरित करती है। इसीलिए धर्म अनुसार अच्छे कर्म के अलावा धार्मिकता और ईश्वर भक्ति होना जरूरी है तभी आप दोनों ही प्रकार की आत्मा से बचे रहेंगे।कौन बनता है भूत का शिकार〰〰〰〰〰〰〰〰〰धर्म के नियम अनुसार जो लोग तिथि और पवित्रता को नहीं मानते हैं, जो ईश्वर, देवता और गुरु का अपमान करते हैं और जो पाप कर्म में ही सदा रत रहते हैं ऐसे लोग आसानी से भूतों के चंगुल में आ सकते हैं। इनमें से कुछ लोगों को पता ही नहीं चल पाता है कि हम पर शासन करने वाला कोई भूत है। जिन लोगों की मानसिक शक्ति बहुत कमजोर होती है उन पर ये भूत सीधे-सीधे शासन करते हैं। बाल वनिता महिला आश्रमजो लोग रात्रि के कर्म और अनुष्ठान करते हैं और जो निशाचारी हैं वह आसानी से भूतों के शिकार बन जाते हैं। हिन्दू धर्म अनुसार किसी भी प्रकार का धार्मिक और मांगलिक कार्य रात्रि में नहीं किया जाता। रात्रि के कर्म करने वाले भूत, पिशाच, राक्षस और प्रेतयोनि के होते हैं।〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰

कौन बनता है भूत प्रेत? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 〰〰🌼〰〰🌼〰〰 जिसका कोई वर्तमान न हो, केवल अतीत ही हो वही भूत कहलाता है। अतीत में अटका आत्मा भूत बन जाता है। जीवन न अतीत है और न भविष्य वह सदा वर्तमान है। जो वर्तमान में रहता है वह मुक्ति की ओर कदम बढ़ाता है। आत्मा के तीन स्वरुप माने गए हैं। जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा। जो भौतिक शरीर में वास करती है उसे जीवात्मा कहते हैं। जब इस जीवात्मा का वासना और कामनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं। यह आत्मा जब सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करता है, उस उसे सूक्ष्मात्मा कहते हैं।  भूत-प्रेतों की गति एवं शक्ति अपार होती है। इनकी विभिन्न जातियां होती हैं और उन्हें भूत, प्रेत, राक्षस, पिशाच, यम, शाकिनी, डाकिनी, चुड़ैल, गंधर्व आदि कहा जाता है। भूतों के प्रकार 〰〰〰〰 हिन्दू धर्म में गति और कर्म अनुसार मरने वाले लोगों का विभाजन किया है- भूत, प्रेत, पिशाच, कूष्मांडा, ब्रह्मराक्षस, वेताल और क्षेत्रपाल। उक्त सभी के उप भाग भी होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार 18 प्रकार के प्रेत होते हैं। भूत सबसे शुरुआती पद है या कहें कि जब कोई आम व्यक...

मनो वैज्ञानिक तथ्य क्या हैं जो लोग नहीं जानते हैं? By वनिता कासनियां पंजाब नफरत करने वाले आपसे वास्तव में नफरत नहीं करते हैं, वास्तव में वे खुद से नफरत करते हैं क्योंकि आप जो चाहते हैं उसका प्रतिबिंब हैं।2. एक व्यक्ति दूसरे लोगों के बारे में आपसे कैसे बात करता है, इसे ध्यान से सुनना सुनिश्चित करें। इस तरह वे आपके बारे में दूसरे लोगों से बात करते हैं।3. हमें केवल दो करीबी दोस्त चाहिए जिन पर हम भरोसा कर सकें। बहुत सारे दोस्त अवसाद और तनाव से जुड़े हुए हैं।4. जो लोग ज्यादा मेलजोल नहीं करते वे असल में असामाजिक नहीं होते, उनमें ड्रामा और नकली लोगों को बर्दाश्त नहीं होता।5. अपनी समस्याओं को दूसरों को बताना बंद करें, 20% परवाह नहीं है और अन्य 80% खुश हैं कि आपके पास यह है।6. पढ़ाई के दौरान चॉकलेट खाने से मस्तिष्क को नई जानकारी बनाए रखने में मदद मिलती है और यह उच्च परीक्षण स्कोर से जुड़ा होता है।7. जिसे आप नापसंद करते हैं उसके साथ अच्छा होने का मतलब यह नहीं है कि आप नकली हैं, इसका आम तौर पर मतलब है कि आप उस व्यक्ति को सहन करने के लिए पर्याप्त परिपक्व हैं।8. किसी को अपने दिमाग से निकालना मुश्किल है, इसका कारण यह है कि वे आपके बारे में भी सोच रहे हैं।9. जो लोग कटाक्ष को अच्छी तरह समझते हैं वे अक्सर लोगों के मन को पढ़ने में अच्छे होते हैं।10. यदि आपका मन बार-बार भटकता है, तो 85% संभावना है कि आप अवचेतन रूप से अपने जीवन से नाखुश हैं।11. माता-पिता अपने बच्चों से जिस तरह से बात करते हैं, वह उनकी अंतरात्मा की आवाज बन जाती है।12. अपने नकारात्मक विचारों को लिखना और उन्हें कूड़ेदान में फेंक देना आपके मूड को बेहतर बना सकता है। (मैंने कोशिश की और यह वास्तव में काम करता है :)13. ध्यान मात्र 8 सप्ताह में मस्तिष्क की संरचना को बदल सकता है। यह सीखने से जुड़े मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में ग्रे मैटर को भी बढ़ाता है।मनोविज्ञान कहता है कि जो लोग अच्छी सामग्री लिखते हैं और अपने उत्तरों में स्क्रीनशॉट पोस्ट नहीं करते हैं, उन्हें कम व्यू और कम अपवोट मिलते हैं

मनो वैज्ञानिक तथ्य क्या हैं जो लोग नहीं जानते हैं? By वनिता कासनियां पंजाब नफरत करने वाले आपसे वास्तव में नफरत नहीं करते हैं, वास्तव में वे खुद से नफरत करते हैं क्योंकि आप जो चाहते हैं उसका प्रतिबिंब हैं। 2. एक व्यक्ति दूसरे लोगों के बारे में आपसे कैसे बात करता है, इसे ध्यान से सुनना सुनिश्चित करें। इस तरह वे आपके बारे में दूसरे लोगों से बात करते हैं। 3. हमें केवल दो करीबी दोस्त चाहिए जिन पर हम भरोसा कर सकें। बहुत सारे दोस्त अवसाद और तनाव से जुड़े हुए हैं। 4. जो लोग ज्यादा मेलजोल नहीं करते वे असल में असामाजिक नहीं होते, उनमें ड्रामा और नकली लोगों को बर्दाश्त नहीं होता। 5. अपनी समस्याओं को दूसरों को बताना बंद करें, 20% परवाह नहीं है और अन्य 80% खुश हैं कि आपके पास यह है। 6. पढ़ाई के दौरान चॉकलेट खाने से मस्तिष्क को नई जानकारी बनाए रखने में मदद मिलती है और यह उच्च परीक्षण स्कोर से जुड़ा होता है। 7. जिसे आप नापसंद करते हैं उसके साथ अच्छा होने का मतलब यह नहीं है कि आप नकली हैं, इसका आम तौर पर मतलब है कि आप उस व्यक्ति को सहन करने के लिए पर्याप्त परिपक्व हैं। 8. किसी को अपने दिमाग से निकालना...

मानव गजब के मनोवैज्ञानिक तथ्य कौन से हैं? By वनिता कासनियां पंजाब सबसे पहले जवाब दिया गया: गजब के साइक्लोजिकल तथ्य कौन से हैं? 1. अगर आप अपने आप को 1 हफ्ते के लिए पूरे समाज से अपने परिवार से अपने दोस्तों से दूर कर लेते हो अक्सर तो आप इस दुनिया के दो % बुद्धिमान लोगों में से एक व्यक्ति में से एक हैं।2. जब भी आपको दुविधा महसूस हो तो आप एक पेपर पर अपने विचारों को लिखना शुरू करते हैं। लिखते लिखते आपकी सारी की सारी दुविधा साफ होनी शुरू हो जाएगी।3. अगर आप किसी सवाल का जवाब ढूंढना चाहते हैं आप किसी दुविधा में है तो सोने से पहले उस दुविधा के बारे में सोच कर सोए आपको कुछ दिनों में अपनी दुविधा का जवाब खुद ब खुद मिल जाएगा।4. अगर आप सामने वाले व्यक्ति के बारे में जानना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने बारे में कुछ थोड़ा बताइए था कि आप सामने वाले व्यक्ति के इंटरेस्ट के बारे में जान सकें।5. अगर आप नीले रंग के कपड़े पहनकर अपने कॉलेज या फिर अपने ऑफिस में जाते हैं तो आप पर लोग ज्यादा विश्वास करेंगे।6. कुछ चीज में पाया गया है कि रात को देर में सोने वाले व्यक्ति अक्सर जल्दी सोने वाले व्यक्ति से ज्यादा दिमागदार होता है।7. अगर आप चाहते हैं कि कोई व्यक्ति आपसे प्यार करने लगे तो आप उस व्यक्ति का ज्यादा से ज्यादा टाइम लेने की कोशिश करें परंतु उस व्यक्ति से चिपके नहीं। ऐसा भी ना हो कि वह व्यक्ति आपके समय की कीमत ना करें।8. अगर आप किसी व्यक्ति से उसके दाहिने कान की तरफ बोल कर उससे मदद मांगेंगे तो संभावना ज्यादा है कि व्यक्ति आपकी मदद करेगा।मैं आशा करती हूं कि आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आ

मानव गजब के मनोवैज्ञानिक तथ्य कौन से हैं? By वनिता कासनियां पंजाब सबसे पहले जवाब दिया गया: गजब के साइक्लोजिकल तथ्य कौन से हैं? 1. अगर आप अपने आप को 1 हफ्ते के लिए पूरे समाज से अपने परिवार से अपने दोस्तों से दूर कर लेते हो अक्सर तो आप इस दुनिया के दो % बुद्धिमान लोगों में से एक व्यक्ति में से एक हैं। 2. जब भी आपको दुविधा महसूस हो तो आप एक पेपर पर अपने विचारों को लिखना शुरू करते हैं। लिखते लिखते आपकी सारी की सारी दुविधा साफ होनी शुरू हो जाएगी। 3. अगर आप किसी सवाल का जवाब ढूंढना चाहते हैं आप किसी दुविधा में है तो सोने से पहले उस दुविधा के बारे में सोच कर सोए आपको कुछ दिनों में अपनी दुविधा का जवाब खुद ब खुद मिल जाएगा। 4. अगर आप सामने वाले व्यक्ति के बारे में जानना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने बारे में कुछ थोड़ा बताइए था कि आप सामने वाले व्यक्ति के इंटरेस्ट के बारे में जान सकें। 5. अगर आप नीले रंग के कपड़े पहनकर अपने कॉलेज या फिर अपने ऑफिस में जाते हैं तो आप पर लोग ज्यादा विश्वास करेंगे। 6. कुछ चीज में पाया गया है कि रात को देर में सोने वाले व्यक्ति अक्सर जल्दी सोने वाले व्यक्ति से ज्याद...