आपको क्या देख कर अचानक से झटका लगा ?50 हज़ार रुपयों का काम एक 5 रुपये की हल्दी कर दे तो!By वनिता कासनियां पंजाब बात जो कहने जा रही हूँ वो मैंने स्वयं अपने जीवन मे अनुभव की है।आज एक भाई घर मिलने आया और वजह थी की वो उसके पारिवारिक सुनार की दुकान से चला आ रहा था और उसने आते ही जेब से एक छोटी सी पोटली निकाली और उसमें से एक सोने की अंगूठी निकालकर मेरे हाथ पर धर दी।मैंने उठाकर देखा तो वो एक पुखराज रत्न की अंगूठी थी।अब आपने भी ध्यान दिया होगा की आजकल के समय मे व्यक्ति स्वयं के हितों के लिए बड़ा ही जागरूक हो गया है।मुझे कुछ परेशानी ना आये! मेरे जीवन मे कही कोई स्पीडब्रेकर नही आये! मेरी मस्ती मज़े में कही कोई ख़लल नही पड़े! इन सब बातों की विशेष चिंता देखने मे आती है।तो हुआ यूँ था की अगस्त के महीने में इस मित्र की जन्मपत्रिका का अध्ययन करके मैंने उसको बताया था की नवंबर अंत मे बृहस्पति (गुरु) का राशि परिवर्तन करके जब मकर में जाएंगे उस समय तेरे लिए थोड़ी दिक्कते आ सकती है। तो अपन लोग उस समय गुरु ग्रह के लिए कुछ उपाय कर लेंगे ज़रूर से, बस तू मुझे याद दिला देना।मित्र डेढ़ शाणा निकला!उसने टीवी पर जो राशि रत्नों के हज़ारों हज़ार विज्ञापन आते है ना, उनमें से देख देख के ये सीख लिया की गुरु ग्रह की कोई भी दिक्कत आये तो पुखराज पहन लेना चाहिए।बस! रत्न खरीदने निकल पड़ा और मात्र 50 हज़ार रुपयों में शुद्ध से भी शुद्ध एकदम असली वाला पुखराज रत्न ले आया। फिर बाकायदा दो तोला सोने की अंगूठी में उसको जड़वा के मेरे पास लाया की चल अब गुरु ग्रह की दिक्कते दूर कर दे मेरी।मैंने उस भोले आदमी के हाथ जोड़ लिए दोस्तो उसी समय!मैंने चाहा था की दो महीनों की जो उसको समस्या है गुरु ग्रह से संबंधित तो उसके लिए हल्दी की गांठ इसके गले मे पीले धागे में बांधकर और कुछ मंत्र जाप इसको बता दूंगा जिससे समय बिना कष्ट के बीत जाएगा।जी हाँ मात्र पाँच-दस रुपये में आने वाली हल्दी की गांठ भी ठीक वही काम करती जो ये महाशय के 50 हज़ार वाला पुखराज।और तो और इसकी तो 100 फीसद गारंटी है की हल्दी असली ही है पर क्या गारंटी है की पुखराज असली ही है!ये भाईसाहब हो गए गज़ब की ठगी के शिकार। और ये ही क्यों, मेरा मानना है की आज के समय मे जब पानी तक मे मिलावट हो जाती है तो आप कैसे विश्वास कर सकते है की पुखराज या नीलम या मूंगा या माणिक्य या हीरा आपको ओरिजिनल ही मिलेगा।अब मेरी एक और बात बहुत ज़्यादा ध्यान से सुनिए..जैसे बुरा समय अमीर या गरीब देखकर नही आता, बुरे समय मे अमीर को भी कष्ट होता है और गरीब को भी समान रूप से कष्ट होता है..ठीक उसी प्रकार उपाय करने का अधिकार एक गरीब को भी उतना ही है जितना किसी अरबपति को।आप बताइए कोई सामान्य मिडिल क्लास भारतीय व्यक्ति 50 हज़ार रुपये किसी छोटे से पुखराज पर ख़र्च करेगा की वो रुपये बच्चों की फीस, राशन, मकान, दवाइयाँ जैसे रोज़मर्रा के ज़रूरी कामो पर ख़र्च करेगा?आपका जवाब मुझे अच्छे से पता है।अच्छा और फिर ये भी बताइए की क्या उस मिडिल क्लास व्यक्ति को कोई अधिकार नही है ग्रह शान्ति और अपने बुरे समय में कष्टों में राहत लेने का?बिल्कुल है! पूरा अधिकार है उसको!आपको एक बहुत ही सामान्य सी किन्तु छिपी हुई बात बताऊँ..हमारे प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में ग्रहों के उपाय करने के लिए प्रकृति द्वारा बड़ी सरलता से मिल जाने वाली औषधियों पर इतना अधिक महत्व दिया है जिसका वर्णन नही किया जा सकता।हाँ रत्नों के महत्व को भी बताया है पर आज के लुटेरे समय मे 100 में से 95 रत्न नकली हो इसमें कोई संदेह नही।जैसे पुखराज के लिए हल्दी है वैसे ही बुध ग्रह के पन्ना की जगह विधारा नामक औषधि की जड़ का प्रयोग है।ऐसे ही समस्त ग्रहों की शांति के लिए प्रकृति द्वारा पूर्णतः निशुल्क औषधियाँ प्राप्त है जिनका उपयोग करके व्यक्ति शांति प्राप्त कर सकता है और इन औषधियों द्वारा मन और बुद्धि पर पड़ने वाले प्रभावों की रिसर्च आज का मॉडर्न साइंस भी कर रहा है।तो मेरा करबद्ध निवेदन है की बाजारवाद की भेंट ना चढ़ जाए और प्रकृति द्वारा दिये गए उपहारों का लाभ अपने जीवन मे प्रयोग करके लाभ उठाएं।एक आग्रह : कृपया रत्नों के विकल्पों के बारे में कमेंट सेक्शन में ना पूछे। आप एक अच्छे और विश्वस्त ऐसे ज्योतिष के विद्वान से संपर्क करे जो ज्योतिष को धन कमाने की मशीन नही समझता है और फिर जब वो विद्वान आपसे किसी ग्रह विशेष के रत्न या औषधि धारण करने को कहे तब उस समय आप इन विषयों पर सोचे।मन से कोई भी रत्न या औषधि धारण करना उतना ही गलत हो जाता है कभी कभी जितना बिना सोचे समझे और जाने भांग का सेवन।
50 हज़ार रुपयों का काम एक 5 रुपये की हल्दी कर दे तो!
बात जो कहने जा रही हूँ वो मैंने स्वयं अपने जीवन मे अनुभव की है।
आज एक भाई घर मिलने आया और वजह थी की वो उसके पारिवारिक सुनार की दुकान से चला आ रहा था और उसने आते ही जेब से एक छोटी सी पोटली निकाली और उसमें से एक सोने की अंगूठी निकालकर मेरे हाथ पर धर दी।
मैंने उठाकर देखा तो वो एक पुखराज रत्न की अंगूठी थी।
अब आपने भी ध्यान दिया होगा की आजकल के समय मे व्यक्ति स्वयं के हितों के लिए बड़ा ही जागरूक हो गया है।
मुझे कुछ परेशानी ना आये! मेरे जीवन मे कही कोई स्पीडब्रेकर नही आये! मेरी मस्ती मज़े में कही कोई ख़लल नही पड़े! इन सब बातों की विशेष चिंता देखने मे आती है।
तो हुआ यूँ था की अगस्त के महीने में इस मित्र की जन्मपत्रिका का अध्ययन करके मैंने उसको बताया था की नवंबर अंत मे बृहस्पति (गुरु) का राशि परिवर्तन करके जब मकर में जाएंगे उस समय तेरे लिए थोड़ी दिक्कते आ सकती है। तो अपन लोग उस समय गुरु ग्रह के लिए कुछ उपाय कर लेंगे ज़रूर से, बस तू मुझे याद दिला देना।
मित्र डेढ़ शाणा निकला!
उसने टीवी पर जो राशि रत्नों के हज़ारों हज़ार विज्ञापन आते है ना, उनमें से देख देख के ये सीख लिया की गुरु ग्रह की कोई भी दिक्कत आये तो पुखराज पहन लेना चाहिए।
बस! रत्न खरीदने निकल पड़ा और मात्र 50 हज़ार रुपयों में शुद्ध से भी शुद्ध एकदम असली वाला पुखराज रत्न ले आया। फिर बाकायदा दो तोला सोने की अंगूठी में उसको जड़वा के मेरे पास लाया की चल अब गुरु ग्रह की दिक्कते दूर कर दे मेरी।
मैंने उस भोले आदमी के हाथ जोड़ लिए दोस्तो उसी समय!
मैंने चाहा था की दो महीनों की जो उसको समस्या है गुरु ग्रह से संबंधित तो उसके लिए हल्दी की गांठ इसके गले मे पीले धागे में बांधकर और कुछ मंत्र जाप इसको बता दूंगा जिससे समय बिना कष्ट के बीत जाएगा।
जी हाँ मात्र पाँच-दस रुपये में आने वाली हल्दी की गांठ भी ठीक वही काम करती जो ये महाशय के 50 हज़ार वाला पुखराज।
और तो और इसकी तो 100 फीसद गारंटी है की हल्दी असली ही है पर क्या गारंटी है की पुखराज असली ही है!
ये भाईसाहब हो गए गज़ब की ठगी के शिकार। और ये ही क्यों, मेरा मानना है की आज के समय मे जब पानी तक मे मिलावट हो जाती है तो आप कैसे विश्वास कर सकते है की पुखराज या नीलम या मूंगा या माणिक्य या हीरा आपको ओरिजिनल ही मिलेगा।
अब मेरी एक और बात बहुत ज़्यादा ध्यान से सुनिए..
जैसे बुरा समय अमीर या गरीब देखकर नही आता, बुरे समय मे अमीर को भी कष्ट होता है और गरीब को भी समान रूप से कष्ट होता है..
ठीक उसी प्रकार उपाय करने का अधिकार एक गरीब को भी उतना ही है जितना किसी अरबपति को।
आप बताइए कोई सामान्य मिडिल क्लास भारतीय व्यक्ति 50 हज़ार रुपये किसी छोटे से पुखराज पर ख़र्च करेगा की वो रुपये बच्चों की फीस, राशन, मकान, दवाइयाँ जैसे रोज़मर्रा के ज़रूरी कामो पर ख़र्च करेगा?
आपका जवाब मुझे अच्छे से पता है।
अच्छा और फिर ये भी बताइए की क्या उस मिडिल क्लास व्यक्ति को कोई अधिकार नही है ग्रह शान्ति और अपने बुरे समय में कष्टों में राहत लेने का?
बिल्कुल है! पूरा अधिकार है उसको!
आपको एक बहुत ही सामान्य सी किन्तु छिपी हुई बात बताऊँ..
हमारे प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में ग्रहों के उपाय करने के लिए प्रकृति द्वारा बड़ी सरलता से मिल जाने वाली औषधियों पर इतना अधिक महत्व दिया है जिसका वर्णन नही किया जा सकता।
हाँ रत्नों के महत्व को भी बताया है पर आज के लुटेरे समय मे 100 में से 95 रत्न नकली हो इसमें कोई संदेह नही।
जैसे पुखराज के लिए हल्दी है वैसे ही बुध ग्रह के पन्ना की जगह विधारा नामक औषधि की जड़ का प्रयोग है।
ऐसे ही समस्त ग्रहों की शांति के लिए प्रकृति द्वारा पूर्णतः निशुल्क औषधियाँ प्राप्त है जिनका उपयोग करके व्यक्ति शांति प्राप्त कर सकता है और इन औषधियों द्वारा मन और बुद्धि पर पड़ने वाले प्रभावों की रिसर्च आज का मॉडर्न साइंस भी कर रहा है।
तो मेरा करबद्ध निवेदन है की बाजारवाद की भेंट ना चढ़ जाए और प्रकृति द्वारा दिये गए उपहारों का लाभ अपने जीवन मे प्रयोग करके लाभ उठाएं।
एक आग्रह : कृपया रत्नों के विकल्पों के बारे में कमेंट सेक्शन में ना पूछे। आप एक अच्छे और विश्वस्त ऐसे ज्योतिष के विद्वान से संपर्क करे जो ज्योतिष को धन कमाने की मशीन नही समझता है और फिर जब वो विद्वान आपसे किसी ग्रह विशेष के रत्न या औषधि धारण करने को कहे तब उस समय आप इन विषयों पर सोचे।
मन से कोई भी रत्न या औषधि धारण करना उतना ही गलत हो जाता है कभी कभी जितना बिना सोचे समझे और जाने भांग का सेवन।
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