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कुंडली ,


राहु और केतु से मुक्ति के चमत्कारिक अचूक टोटके...


अक्सर लोग राहु या केतु से डरे
 
रहते हैं। राहु और केतु के कारण

 ही कालसर्प दोष निर्मित होता है। पुराणों अनुसार पितृदोष या प्रारब्ध के कारण कालसर्प योग बनता है। कालसर्प योग भी मुख्यत: 12 तरह के माने गए हैं। बहुत से लोग कालसर्प योग से डरे हुए हैं, लेकिन जंगल के खतरनाक जानवरों के बारे में जो जानते हैं वे निश्चित ही बच निकलने का रास्ता भी ढूंढ ही लेते हैं।

हम आपको राहु और केतु के चमत्कारिक अचूक उपाय बताएंगे आपकी कुंडली के खाने अनुसार। आप अपनी कुंडली में देखें की राहु और केतु किस खाने में बैठे हैं। उसी खाने के उपाय करके आप इन दोनों ग्रहों के बुरे प्रभावों से मुक्त हो सकते हैं। इससे पहले आप जान लें कि राहु और केतु आपके जीवन में किस तरह का प्रभाव डालते हैं।
 
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राहु का नकारात्क प्रभाव : काला जादू, तंत्र, टोना, आदि राहु ग्रह अपने प्रभाव से करवाता है। अचानक घटनाओं के घटने के योग राहु के कारण ही होते हैं। राहु हमारे उस ज्ञान का कारक है, जो बुद्धि के बावजूद पैदा होता है, जैसे अचानक कोई घटना देखकर कोई आइडिया आ जाना या अचानक उत्तेजित हो जाता। स्वप्न का कारक भी राहु है। भयभीत करने वाले स्वप्न आना या चमक कर उठ जाना भी राहु के बुरे प्रभाव के लक्षण माने गए हैं।
यदि अचानक शरीर अकड़ने लगे या दिमाग अनावश्यक तनाव से घिर जाए और चारों तरफ अशांति ही नजर आने लगे, घबराहट जैसा होने लगे तो इन सभी का कारण भी राहु है। वैराग्य भाव या मानसिक विक्षिप्तता भी राहु के कारण ही जन्म लेते हैं। बेकार के दुश्मन पैदा होना, बेईमान या धोखेबाज बन जाना, मद्यपान करना, अति संभोग करना या सिर में चोट लग जाना यह सभी राहु के अशुभ होने की निशानी है। ऐसे व्यक्ति की तरक्की की शर्त नहीं।
 
सकारात्मक प्रभाव : व्यक्ति दौलतमंद होगा। कल्पना शक्ति तेज होगी। राहु के अच्छा होने से व्यक्ति में श्रेष्ठ साहित्यकार, दार्शनिक, वैज्ञानिक या फिर रहस्यमय विद्याओं के गुणों का विकास होता है। इसका दूसरा पक्ष यह कि इसके अच्छा होने से राजयोग भी फलित हो सकता है। आमतौर पर पुलिस या प्रशासन में इसके लोग ज्यादा होते हैं।
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केतु का नकारात्मक प्रभाव : लाल किताब अनुसार अब केतु का प्रभाव जानें। संसार में दो तरह के केतु होते हैं। पहला कुत्ता जो घर की रखवाली करता है और दूसरा चूहा जो घर को खोखला कर देता है। इस तरह के मित्र और रिश्तेदार भी होते हैं। घर में चूहों की तादाद ज्यादा है तो समझों केतु का प्रभाव ज्यादा है।
केतु रात की ‍नींद हराम कर देता है। धन का अनावश्यक अपव्यय करा देता है। पेशाब की बीमारी, जोड़ों का दर्द, सन्तान उत्पति में रुकावट और गृहकलह का कारण भी केतु है। बच्चों से संबंधित परेशानी, बुरी हवा या अचानक धोखा होने का खतरा भी केतु के अशुम होने के कारण बना रहता है।
 
केतु का सकारात्मक प्रभाव : केतु का शुभ होना अर्थात पद, प्रतिष्ठा और संतानों का सुख। यह मकान, दुकान या वाहन पर ध्वज के समान है। शुभ केतु से व्यक्ति का रुतबा कायम रहता है।
 
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राहु का उपाय : राहु ससुराल पक्ष का कारक है, ससुराल से बिगाड़ नहीं चलना चाहिए। सिर पर चोटी रखना, माथे पर चंदन का तिलक लगाना, भोजन कक्ष में ही भोजन करना राहु का उपाय है। घर में ठोस चांदी का हाथी रख सकते हैं। सरस्वती की आराधना करें। गुरु का उपाय करें।
केतु का उपाय : संतानें केतु हैं। इसलिए संतानों से संबंध अच्छे रखें। भगवान, गणेश की आराधना करें। दोरंगी कुत्ते को रोटी खिलाएं। कान छिदवाएं। कुत्ता पालना।
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कालसर्प योग का उपाय : श्राद्धपक्ष में पितरों की तृप्ति के लिए कार्य करें। पितृ दोष के निदान के लिए त्रयंबकेश्वर में इसकी पूजा कराई जाती है। शास्त्र अनुसार महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र, राहु बीज मंत्र या ओम नम: शिवाय का जाप करते रहने से भी इस दोष का निदान होता है।
लाल किताब अनुसार माथे पर चंदन का तिलक लगाएं। घर में कुछ किलो अनाज को किसी भारी वस्तु से दबाकर रखें। 11 नालियल बहते पानी में बहाएं। काले-सफेद कुत्ते, गाय और कौवों को रोटी खिलाते रहें। कान छिदवाएं। बड़े बुजुर्गों के पैर छुते रहें। किसी भी प्रकार के व्यसन से दूर रहें। पीपल में जल चढ़ाते रहें। घर में समय-समय पर गुढ़-घी की धूप देते रहें।
नोट : उपरोक्त उपाय किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही करें।...अब जानिए राहु और केतु के कुंडली के खाने अनुसार अचूक उपाय...
 
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1.खाना नम्बर एक: यदि आपकी कुंडली के पहले भाव में राहु और सातवें भाव में केतु हो तो चांदी की ठोस गोली अपने पास रखें।
 
अगले पन्ने पर दूसरा चमत्कारिक अचूक उपाय...
 
2.खाना नम्बर दो: यदि आपकी कुंडली के दूसरे भाव में राहु और आठवें में केतु हो तो दो रंग या ज्यादा रंगों वाला कम्बल दान करें।
 
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3.खाना नम्बर तीन: यदि आपकी कुंडली के तीसरे भाव में राहु और नवम भाव में केतु हो तो सोना धारण करें। बाएं हाथ की कनिष्ठा में सोने का छल्ला पहने या चने की दाल बहते पानी में बहाएँ।
 
अगले पन्ने पर चौथा चमत्कारिक अचूक उपाय...
 
4.खान नम्बर चार: यदि आपकी कुंडली के चौथे भाव में राहु और दसम भाव में केतु हो तो चाँदी की डिब्बी में शहद भरकर घर के बाहर जमीन में दबाए।
 
अगले पन्ने पर पांचवां चमत्कारिक अचूक उपाय...
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5.खान नम्बर नांच: यदि आपकी कुंडली के पांचवे भाव में राहु और ग्यारहवें भाव में केतु हो तो घर में चांदी का ठोस हाथी रखें।
 
अगले पन्ने पर छठा चमत्कारिक अचूक उपाय...
 
6.खान नम्बर छह: यदि आपकी कुंडली के छटे भाव में राहु और बारहवें भाव में केतु हो तो बहन की सेवा करना, ताजे फुल को अपने पास रखना। कुत्ता पालना।
 
अगले पन्ने पर सातवां चमत्कारिक अचूक उपाय...
7.खाना नम्बर सात: यदि आपकी कुंडली के सातवें भाव में राहु और पहले भाव में केतु हो तो लोहे की गोली को लाल रंग से अपने पास रखना। चांदी की डिब्बी में बहते पानी का जल भरकर उसमें चाँदी का एक चौकोर टुकड़ा डालकर तथा डिब्बी को बंद करके घर में रखने की सलाह दी जाती है। ध्यान रखते रहें कि डिब्बी का जल सूखे नहीं।
 
अगले पन्ने पर आठवां चमत्कारिक अचूक उपाय...
 
8.खाना नम्बर आठ: यदि आपकी कुंडली के अष्टम भाव में राहु और दूसरे भाव में केतु हो तो आठ सौ ग्राम सिक्के के आठ टुकड़े करके एक साथ बहते पानी में प्रवाहित करना अच्छा होगा।
 
अगले पन्ने पर नौवां चमत्कारिक अचूक उपाय...
 
9.खाना नम्बर नौ: यदि आपकी कुंडली के नवम भाव में राहु और तीसरे भाव में केतु हो तो चने की दाल पानी में प्रवाहित करें। चाँदी की ईंट बनवाकर घर में रखें।
 
अगले पन्ने पर दसवां चमत्कारिक अचूक उपाय...
 
10.खाना नम्बर दस: यदि आपकी कुंडली के दसम भाव में राहु और चौथे भाव में केतु हो तो पीतल के बर्तन में बहती नदी या नहर का पानी भरकर घर में रखना चाहिए। उस पर चाँदी का ढक्कन हो तो अति उत्तम।
 
अगले पन्ने पर ग्यारहवां चमत्कारिक अचूक उपाय...

11.खाना नम्बर ग्यारह: यदि आपकी कुंडली के ग्यारहवें भाव में राहु और पाँचवें भाव में केतु होने पर 400 ग्राम सिक्के के 10 टुकड़े करा कर एक साथ बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए। इसके अलावा 43 दिनों तक गाजर या मूली लेकर सोते समय सिरहाने रखकर सुबह मंदिर आदि पर दान कर दें।
 
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12.खाना नम्बर बारह: यदि आपकी कुंडली के बारहवें भाव में राहु और छटे भाव में केतु हो तो लाल रंग की बोरी के आकार की थैली बनाकर उसमें सौंफ या खांड भर कर सोने वाले कमरे में रखना चाहिए। कपड़ा चमकीला न हों। केतु के लिए सोने के जेवर पहनना उत्तम होगा।
 
सावधानी : उपरोक्त बताए गए उपायों को लाल किताब के किसी योग्य ज्योतिष से सलाह लेकर ही अमल में लाएं, क्योंकि कुंडली के अन्य ग्रहों का विश्लेषण भी करना होता है।

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कौन बनता है भूत प्रेत?By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब〰〰🌼〰〰🌼〰〰जिसका कोई वर्तमान न हो, केवल अतीत ही हो वही भूत कहलाता है। अतीत में अटका आत्मा भूत बन जाता है। जीवन न अतीत है और न भविष्य वह सदा वर्तमान है। जो वर्तमान में रहता है वह मुक्ति की ओर कदम बढ़ाता है।आत्मा के तीन स्वरुप माने गए हैं। जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा। जो भौतिक शरीर में वास करती है उसे जीवात्मा कहते हैं। जब इस जीवात्मा का वासना और कामनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं। यह आत्मा जब सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करता है, उस उसे सूक्ष्मात्मा कहते हैं। भूत-प्रेतों की गति एवं शक्ति अपार होती है। इनकी विभिन्न जातियां होती हैं और उन्हें भूत, प्रेत, राक्षस, पिशाच, यम, शाकिनी, डाकिनी, चुड़ैल, गंधर्व आदि कहा जाता है।भूतों के प्रकार〰〰〰〰हिन्दू धर्म में गति और कर्म अनुसार मरने वाले लोगों का विभाजन किया है- भूत, प्रेत, पिशाच, कूष्मांडा, ब्रह्मराक्षस, वेताल और क्षेत्रपाल। उक्त सभी के उप भाग भी होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार 18 प्रकार के प्रेत होते हैं। भूत सबसे शुरुआती पद है या कहें कि जब कोई आम व्यक्ति मरता है तो 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पितृलोक तथा बुरी आत्मा का वास होता है उसे प्रेतलोक आदि कहते हैं। अच्छे और बुरे स्वभाव की आत्माएं ऐसे लोगों को तलाश करती है जो उनकी वासनाओं की पूर्ति कर सकता है। बुरी आत्माएं उन लोगों को तलाश करती हैं जो कुकर्मी, अधर्मी, वासनामय जीवन जीने वाले लोग हैं। फिर वह आत्माएं उन लोगों के गुण-कर्म, स्वभाव के अनुसार अपनी इच्छाओं की पूर्ति करती है। जिस मानसिकता, प्रवृत्ति, कुकर्म, सत्कर्मों आदि के लोग होते हैं उसी के अनुरूप आत्मा उनमें प्रवेश करती है। अधिकांशतः लोगों को इसका पता नहीं चल पाता। अच्छी आत्माएं अच्छे कर्म करने वालों के माध्यम से तृप्त होकर उसे भी तृप्त करती है और बुरी आत्माएं बुरे कर्म वालों के माध्यम से तृप्त होकर उसे बुराई के लिए और प्रेरित करती है। इसीलिए धर्म अनुसार अच्छे कर्म के अलावा धार्मिकता और ईश्वर भक्ति होना जरूरी है तभी आप दोनों ही प्रकार की आत्मा से बचे रहेंगे।कौन बनता है भूत का शिकार〰〰〰〰〰〰〰〰〰धर्म के नियम अनुसार जो लोग तिथि और पवित्रता को नहीं मानते हैं, जो ईश्वर, देवता और गुरु का अपमान करते हैं और जो पाप कर्म में ही सदा रत रहते हैं ऐसे लोग आसानी से भूतों के चंगुल में आ सकते हैं। इनमें से कुछ लोगों को पता ही नहीं चल पाता है कि हम पर शासन करने वाला कोई भूत है। जिन लोगों की मानसिक शक्ति बहुत कमजोर होती है उन पर ये भूत सीधे-सीधे शासन करते हैं। बाल वनिता महिला आश्रमजो लोग रात्रि के कर्म और अनुष्ठान करते हैं और जो निशाचारी हैं वह आसानी से भूतों के शिकार बन जाते हैं। हिन्दू धर्म अनुसार किसी भी प्रकार का धार्मिक और मांगलिक कार्य रात्रि में नहीं किया जाता। रात्रि के कर्म करने वाले भूत, पिशाच, राक्षस और प्रेतयोनि के होते हैं।〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰

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