दैवीय अनुभूति के क्षण कैसे होते हैं? By वनिता कासनियां पंजाब दैवीय अनुभूति के क्षण कैसे होते हैं?✍️ अद्भुत होते हैं। जिसमे सुख नहीं, असीम आनंद होता है। जिसका अनुभव कोई भी ध्यान की गहराइयों में जाकर कर सकता हैं।पर उस से पहले अपने तन मन को शुद्ध अवश्य करना पड़ता है।मैं वर्षों से योग अभ्यास और ध्यान कर रही हूं।हालांकि मैं इसे नियमित तौर पर कभी नहीं कर सका। फिर भी जब जब समय मिलता है तो कुछ समय प्राणायाम, बैठ कर यां लेट कर शव आसन में ध्यान अवश्य करती हूं।जिसमे मुझे झूला झूलने का आनंदमई अनुभव तो अक्सर होता है। ध्यान को स्थिर करके इसका अनुभव खुली आंखों से भी होता है।तो ध्यान में 20–30 मिनट के बाद, शरीर एक दम से तरो ताजा और दिमाग एक दम शांत और फ्रेश हो जाता है। जैसे एक डाटा से भरे हुए मोबाइल को हम रीसेट कर देते हैं तो वो बेहद स्मूथ और तेज चलने लगता है।तो ऐसे ही ध्यान करते समय, एक बार तो मुझे कमाल का दैवीय अनुभव हुआ।जब मैं शव आसन में ध्यान कर रही थीं।तो कुछ मिनट के बाद ध्यान गहरा हुआ।तो अचानक ऐसा लगा कि मैं एक दम से पॉज मोड में चली गई हूं। मैं ही क्यों, सब कुछ मानो थम सा गया हो। एक मृत्यु के समान क्षण भी कह सकते हैं।पर उसी समय ऐसे आनंद की अनुभूति शुरू हुई, जिसको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। सिर्फ इशारा दिया जा सकता है।मानों कि उसके सामने रति किरीया का आनंद तो 5 फीसदी भी नहीं था। ऐसा लगा रहा था कि कहीं से आनंद की बारिश हो रही है और मैं उसमे भीग रही हूं।यह आनंद की अनुभूति कुछ क्षण चली।(चित्र: गुगल Com से आभार सहित।)तो बाद में एहसाह हुआ कि शायद यह कुछ क्षण की शून्य अवस्था थी।जिसमे यह ईश्वरीय यां दैवीय अनुभूति थी।हालांकि बाद में भी मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन वैसी अनुभूति फिर कभी नहीं हुई।बहुत बहुत धन्यवाद। 🙏🙏
दैवीय अनुभूति के क्षण कैसे होते हैं?
✍️ अद्भुत होते हैं। जिसमे सुख नहीं, असीम आनंद होता है। जिसका अनुभव कोई भी ध्यान की गहराइयों में जाकर कर सकता हैं।
पर उस से पहले अपने तन मन को शुद्ध अवश्य करना पड़ता है।
मैं वर्षों से योग अभ्यास और ध्यान कर रही हूं।
हालांकि मैं इसे नियमित तौर पर कभी नहीं कर सका। फिर भी जब जब समय मिलता है तो कुछ समय प्राणायाम, बैठ कर यां लेट कर शव आसन में ध्यान अवश्य करती हूं।
जिसमे मुझे झूला झूलने का आनंदमई अनुभव तो अक्सर होता है। ध्यान को स्थिर करके इसका अनुभव खुली आंखों से भी होता है।
तो ध्यान में 20–30 मिनट के बाद, शरीर एक दम से तरो ताजा और दिमाग एक दम शांत और फ्रेश हो जाता है। जैसे एक डाटा से भरे हुए मोबाइल को हम रीसेट कर देते हैं तो वो बेहद स्मूथ और तेज चलने लगता है।
तो ऐसे ही ध्यान करते समय, एक बार तो मुझे कमाल का दैवीय अनुभव हुआ।
जब मैं शव आसन में ध्यान कर रही थीं।
तो कुछ मिनट के बाद ध्यान गहरा हुआ।
तो अचानक ऐसा लगा कि मैं एक दम से पॉज मोड में चली गई हूं। मैं ही क्यों, सब कुछ मानो थम सा गया हो। एक मृत्यु के समान क्षण भी कह सकते हैं।
पर उसी समय ऐसे आनंद की अनुभूति शुरू हुई, जिसको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। सिर्फ इशारा दिया जा सकता है।
मानों कि उसके सामने रति किरीया का आनंद तो 5 फीसदी भी नहीं था। ऐसा लगा रहा था कि कहीं से आनंद की बारिश हो रही है और मैं उसमे भीग रही हूं।
यह आनंद की अनुभूति कुछ क्षण चली।
(चित्र: गुगल Com से आभार सहित।)
तो बाद में एहसाह हुआ कि शायद यह कुछ क्षण की शून्य अवस्था थी।
जिसमे यह ईश्वरीय यां दैवीय अनुभूति थी।
हालांकि बाद में भी मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन वैसी अनुभूति फिर कभी नहीं हुई।
बहुत बहुत धन्यवाद। 🙏🙏
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