कुंडली वक्री ग्रह क्या होते हैं? ग्रहों की वक्र दृष्टि क्या होती हैं? By वनिता कासनियां पंजाब: आपको मालूम होगा कि ज्योतिषशास्त्र में हम भूकेंद्रित(geocentric model) लेते हैं, जिसमें पृथ्वी ब्रह्मांड के बीच में स्थित है, और सूर्य+सारे ग्रह, पृथ्वी के चक्कर लगाते हैं, पर असल में हमारा सौर्य मण्डल, सूर्य केंद्रित है, और सारे ग्रह, सूर्य के ही चक्कर लगाते हैं:—-> पर चूंकि, ज्योतिष शास्त्र, भूकेंद्रित मॉडल पे बना है, इसीलिए जब हम पृथ्वी को केंद्र में रख के देखते हैं, तो सूर्य और सारे ग्रह कुछ ऐसे चलते हुए मालूम चलते हैं:—→ तो अगर हम मंगल, धरती और सूर्य को बहुकेंद्रित और सूर्यकेंद्रित में साथ में देखे तो कुछ ऐसा होता है:—-> अब आपने कभी कार overtake तो की होगी, उसमें आप स्पीड में आगे वाली कार का पीछा करते हैं, फिर उसतक पहुचते हैं, और फिर उसको overtake करलेते हैं:—-> पर इसमें आखरी में ऐसा लगता है कि दूसरी कार पीछे जा रही है, जबकि वो भी आगे ही जारही है, बस आपने उसको पछाड़ दिया है, ऐसा ही बिल्कुल ग्रहों के साथ होता है, जो कि सूर्य के चक्कर लगा रहें हैं। पर क्यूंकी आपको उसको भूकेंद्रित होके देखते हैं, इसीलिए आपको लगता है कि वो पीछे जा रहें हैं, जिसको ग्रह का वक्री होना कहते हैं।। और जैसे ही सूर्य केंद्रित होने के कारण, पृथ्वी उससे आगे निकले गी, भूकेंद्रित मॉडल में, ग्रह पीछे जाते हुए दिखनी लगे गा, अर्थात वक्री हो जाएगा :→ इसीतरह, धरती से देखे जाने पे ग्रह वक्री होते हैं, वक्री ग्रह, बिल्कुल सामान्य ग्रह की तरह काम करते हैं, और उनकी दृष्टि भी मार्गी ग्रह के समान ही होती हैं, बस ज्योतिष में उनको मार्गी ग्रह से काफी शक्तिशाली माना जाता है, और यह माना जाता है, कि वो कुछ पूर्व कर्म को बैलन्स करने के लिए आपकी जन्म कुंडली में वक्री हुए हैं कुंडली
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वक्री ग्रह क्या होते हैं? ग्रहों की वक्र दृष्टि क्या होती हैं?
By वनिता कासनियां पंजाब:
आपको मालूम होगा कि ज्योतिषशास्त्र में हम भूकेंद्रित(geocentric model) लेते हैं, जिसमें पृथ्वी ब्रह्मांड के बीच में स्थित है, और सूर्य+सारे ग्रह, पृथ्वी के चक्कर लगाते हैं, पर असल में हमारा सौर्य मण्डल, सूर्य केंद्रित है, और सारे ग्रह, सूर्य के ही चक्कर लगाते हैं:—->
पर चूंकि, ज्योतिष शास्त्र, भूकेंद्रित मॉडल पे बना है, इसीलिए जब हम पृथ्वी को केंद्र में रख के देखते हैं, तो सूर्य और सारे ग्रह कुछ ऐसे चलते हुए मालूम चलते हैं:—→
तो अगर हम मंगल, धरती और सूर्य को बहुकेंद्रित और सूर्यकेंद्रित में साथ में देखे तो कुछ ऐसा होता है:—->
अब आपने कभी कार overtake तो की होगी, उसमें आप स्पीड में आगे वाली कार का पीछा करते हैं, फिर उसतक पहुचते हैं, और फिर उसको overtake करलेते हैं:—->
पर इसमें आखरी में ऐसा लगता है कि दूसरी कार पीछे जा रही है, जबकि वो भी आगे ही जारही है, बस आपने उसको पछाड़ दिया है, ऐसा ही बिल्कुल ग्रहों के साथ होता है, जो कि सूर्य के चक्कर लगा रहें हैं।
पर क्यूंकी आपको उसको भूकेंद्रित होके देखते हैं, इसीलिए आपको लगता है कि वो पीछे जा रहें हैं, जिसको ग्रह का वक्री होना कहते हैं।।
और जैसे ही सूर्य केंद्रित होने के कारण, पृथ्वी उससे आगे निकले गी, भूकेंद्रित मॉडल में, ग्रह पीछे जाते हुए दिखनी लगे गा, अर्थात वक्री हो जाएगा :→
इसीतरह, धरती से देखे जाने पे ग्रह वक्री होते हैं,
वक्री ग्रह, बिल्कुल सामान्य ग्रह की तरह काम करते हैं, और उनकी दृष्टि भी मार्गी ग्रह के समान ही होती हैं, बस ज्योतिष में उनको मार्गी ग्रह से काफी शक्तिशाली माना जाता है, और यह माना जाता है, कि वो कुछ पूर्व कर्म को बैलन्स करने के लिए आपकी जन्म कुंडली में वक्री हुए हैं
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