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ऋषि सुनक ... पूर्व जन्म में किए हुए पुण्य कर्मों का फलसूर्य लग्न कुंडली और चंद्र लग्न कुंडली समान है.राशि परिवर्तन योग ( सूर्य : मंगल ).मंगल-शनि-राहु-गुरु युति योग ( बहुआयामी साहसिक कूटनीतिज्ञ )शनि की चाल ले जा रही है उनको ताज तक ...ऋषि शुनक कुलपति थे जो कम से कम दस हजार शिष्यों के गुरुकुल के आदि गुरू को ही कहा जाता था।।पुराणों में इनका और सप्त ऋषियों का विस्तृत वर्णन मिलता है और अन्य ऋषियों के साथ इनके द्वारा कई अश्वमेध यज्ञ करवाए जाने का उल्लेख भी मिलता है,,ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बनने वाले ऋषि सुनक इसी वैदिक आचार्य के वंशज हैं। ऋषि सुनक के दादा 1934 के आसपास गुजरांवाला से अफ़्रीका चले गए थे और इसके बाद ब्रिटेन। यहीं इनका जन्म हुआ, अपने वैदिक पूर्वज के नाम पर नवजात के दादा ने बच्चे का नामकरण किया ---#ऋषि सुनक !वैदिक आचार्य गोमांस खाते थे या नहीं इस पर घोर विवाद है। एक मैथिल इतिहासकार इसके लिए जीवन भर अपमानित होते रहे। लेकिन आचार्य शुनक के वंशज ऋषि सुनक शायद ख़ुद तो बीफ़ नहीं खाते हैं, लेकिन उसके प्रचारक ज़रूर हैं। उनके संसदीय क्षेत्र के लोग बीफ़ का प्रचुर उत्पादन करते हैं।By वनिता कासनियां पंजाबएक वैदिक आचार्य के वंशज को इंग्लैंड का प्रधानमंत्री बनने की बधाई !लगान से लगाम तक। सिर्फ 75 साल में।बना इतिहास, ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री होंगे भारतीय मूल के #ऋषि सुनक, 28 अक्टूबर को शपथ।जिस इंग्लैंड ने वर्षों तक हमको गुलाम रखा आज उसी इंग्लैंड (ब्रिटेन) का प्रधानमंत्री (राजा) भारतीय बनाशिक्षा -समय बहुत बलवान है🇮🇳🇮🇳गर्व से कहो हम हैं हिंदुस्तानी🇮🇳#ऋषि सुनकजय हिंद ।

ऋषि सुनक ... पूर्व जन्म में किए हुए पुण्य कर्मों का फल सूर्य लग्न कुंडली और चंद्र लग्न कुंडली समान है. राशि परिवर्तन योग ( सूर्य : मंगल ). मंगल-शनि-राहु-गुरु युति योग  ( बहुआयामी साहसिक कूटनीतिज्ञ ) शनि की चाल ले जा रही है उनको ताज तक ... ऋषि शुनक कुलपति थे जो कम से कम दस हजार शिष्यों के गुरुकुल के आदि गुरू को ही कहा जाता था।। पुराणों में इनका और सप्त ऋषियों का विस्तृत वर्णन मिलता है और अन्य ऋषियों के साथ इनके द्वारा कई अश्वमेध यज्ञ करवाए जाने का उल्लेख भी मिलता है,, ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बनने वाले ऋषि सुनक इसी वैदिक आचार्य के वंशज हैं।  ऋषि सुनक के दादा 1934 के आसपास गुजरांवाला से अफ़्रीका चले गए थे और इसके बाद ब्रिटेन।  यहीं इनका जन्म हुआ, अपने वैदिक पूर्वज के नाम पर नवजात के दादा ने बच्चे का नामकरण किया --- #ऋषि सुनक ! वैदिक आचार्य गोमांस खाते थे या नहीं इस पर घोर विवाद है।  एक मैथिल इतिहासकार इसके लिए जीवन भर अपमानित होते रहे।  लेकिन आचार्य शुनक के वंशज ऋषि सुनक शायद ख़ुद तो बीफ़ नहीं खाते हैं, लेकिन उसके प्रचारक ज़रूर हैं। उनके संसदीय क्...

कुंडली कैंसे देखी जाती है ? By वनिता कासनियां पंजाब? कुण्डली देखने के सामान्य नियम । लघु पाराशरी ग्रन्थ में महर्षि पाराशर ने फलादेश के लिए सूत्र दिए हैं।सभी ग्रह जिस स्‍थान पर बैठे हों, उससे सातवें स्‍थान को देखते हैं।🪐 शनि तीसरे व दसवें,गुरु नवम व पंचम तथामंगल चतुर्थ व अष्‍टम स्‍थान को विशेष देखते हैं।लग्‍न, पंचम और नवम भाव को त्रिकोण कहते हैं, कोई भी ग्रह त्रिकोण का स्‍वामी होने पर शुभ फलदायक होता है।तीसरे, छठे और ग्‍यारहवें भाव को त्रिषडाय कहते हैं।त्रिषडाय का स्‍वामी हो तो पाप फलदायक होता है त्रिषडाय के अधिपति स्‍वराशि के होने पर पाप फल नहीं देते हैं- काटवे।सौम्‍य ग्रह (बुध, गुरु, शुक्र और पूर्ण चंद्र) यदि केन्‍द्रों के स्‍वामी हो तो शुभ फल नहीं देते हैं।क्रूर ग्रह (रवि, शनि, मंगल, क्षीण चंद्र और पापग्रस्‍त बुध) यदि केन्‍द्र के अधिपति हों तो वे अशुभ फल नहीं देते हैं। ये अधिपति भी उत्‍तरोतर क्रम में बली हैं। (यानी चतुर्थ भाव से सातवां भाव अधिक बली, तीसरे भाव से छठा भाव अधिक बली)लग्‍न से दूसरे अथवा बारहवें भाव के स्‍वामी दूसरे ग्रहों के सहचर्य से शुभ अथवा अशुभ फल देने में सक्षम होते हैं। इसी प्रकार अगर वे स्‍व स्‍थान पर होने के बजाय अन्‍य भावों में हो तो उस भाव के अनुसार फल देते हैं। (नोट: इन भावों के अधिपतियों का खुद का कोई आत्‍मनिर्भर रिजल्‍ट नहीं होता है।)अष्‍टम स्‍थान भाग्‍य भाव का व्‍यय स्‍थान है (सरल शब्‍दों में आठवां भाव नौंवे भाव से बारहवें स्थान पर पड़ता है),अत: शुभफलदायी नहीं होता है। यदि लग्‍नेश भी हो तभी शुभ फल देता है (यह स्थिति केवल मेष और तुला लग्‍न में आती है)।शुभ ग्रहों के केन्‍द्राधिपति होने के दोष गुरु और शुक्र के संबंध में विशेष हैं। ये ग्रह केन्‍द्राधिपति होकर मारक स्‍थान (दूसरे और सातवें भाव) में हों या इनके अधिपति हो तो बलवान मारक बनते हैं।केन्‍द्राधिपति दोष शुक्र की तुलना में बुध का कम और बुध की तुलना में चंद्र का कम होता है। इसी प्रकार सूर्य और चंद्रमा को अष्‍टमेष होने का दोष नहीं लगता है।मंगल दशम भाव का स्‍वामी हो तो शुभ फल देता है। किंतु यही त्रिकोण का स्‍वामी भी हो तभी शुभफलदायी होगा। केवल दशमेष होने से नहीं देगा। (यह स्थिति केवल कर्क लग्‍न में ही बनती है)राहू और केतू जिन जिन भावों में बैठते हैं, अथवा जिन जिन भावों के अधिपतियों के साथ बैठते हैं तब उन भावों अथवा साथ बैठे भाव अधिपतियों के द्वारा मिलने वाले फल ही देंगे। (यानी राहू और केतू जिस भाव और राशि में होंगे अथवा जिस ग्रह के साथ होंगे, उसके फल देंगे।)। फल भी भावों और अधिपतियो के मु‍ताबिक होगा।-ऐसे केन्‍द्राधिपति और त्रिकोणाधिपति जिनकी अपनी दूसरी राशि भी केन्‍द्र और त्रिकोण को छोड़कर अन्‍य स्‍थानों में नहीं पड़ती हो, तो ऐसे ग्रहों के संबंध विशेष योगफल देने वाले होते हैं।-बलवान त्रिकोण और केन्‍द्र के अधिपति खुद दोषयुक्‍त हों, लेकिन आपस में संबंध बनाते हैं तो ऐसा संबंध योगकारक होता है।धर्म और कर्म स्‍थान के स्‍वामी अपने अपने स्‍थानों पर हों अथवा दोनों एक दूसरे के स्‍थानों पर हों तो वे योगकारक होते हैं। यहां कर्म स्‍थान दसवां भाव है और धर्म स्‍थान नवम भाव है। दोनों के अधिपतियों का संबंध योगकारक बताया गया है।नवम और पंचम स्‍थान के अधिपतियों के साथ बलवान केन्‍द्राधिपति का संबंध शुभफलदायक होता है। इसे राजयोग कारक भी बताया गया है।योगकारक ग्रहों (यानी केन्‍द्र और त्रिकोण के अधिपतियों) की दशा में बहुधा राजयोग की प्राप्ति होती है। योगकारक संबंध रहित ऐसे शुभ ग्रहों की दशा में भी राजयोग का फल मिलता है।योगकारक ग्रहों से संबंध करने वाला पापी ग्रह अपनी दशा में तथा योगकारक ग्रहों की अंतरदशा में जिस प्रमाण में उसका स्‍वयं का बल है, तदअनुसार वह योगज फल देगा। (यानी पापी ग्रह भी एक कोण से राजयोग में कारकत्‍व की भूमिका निभा सकता है।)-यदि एक ही ग्रह केन्‍द्र व त्रिकोण दोनों का स्‍वामी हो तो योगकारक होता ही है। उसका यदि दूसरे त्रिकोण से संबंध हो जाए तो उससे बड़ा शुभ योग क्‍या हो सकता है.-राहू अथवा केतू यदि केन्‍द्र या त्रिकोण में बैइे हों और उनका किसी केन्‍द्र अथवा त्रिकोणाधिपति से संबंध हो तो वह योगकारक होता है।उत्तर का मूल स्रोत है सोशल मीडिया पर बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम के ग्रुप पर प्राप्त जानकारी चित्र सोर्स है गूगल इमेजेस।

कुंडली कैंसे देखी जाती है ? By वनिता कासनियां पंजाब? कुण्डली देखने के सामान्य नियम । लघु पाराशरी ग्रन्थ में महर्षि पाराशर ने फलादेश के लिए सूत्र दिए हैं। सभी ग्रह जिस स्‍थान पर बैठे हों, उससे सातवें स्‍थान को देखते हैं। 🪐 शनि तीसरे व दसवें, गुरु नवम व पंचम तथा मंगल चतुर्थ व अष्‍टम स्‍थान को विशेष देखते हैं। लग्‍न, पंचम और नवम भाव को त्रिकोण कहते हैं, कोई भी ग्रह त्रिकोण का स्‍वामी होने पर शुभ फलदायक होता है। तीसरे, छठे और ग्‍यारहवें भाव को त्रिषडाय कहते हैं।त्रिषडाय का स्‍वामी हो तो पाप फलदायक होता है त्रिषडाय के अधिपति स्‍वराशि के होने पर पाप फल नहीं देते हैं- काटवे। सौम्‍य ग्रह (बुध, गुरु, शुक्र और पूर्ण चंद्र) यदि केन्‍द्रों के स्‍वामी हो तो शुभ फल नहीं देते हैं। क्रूर ग्रह (रवि, शनि, मंगल, क्षीण चंद्र और पापग्रस्‍त बुध) यदि केन्‍द्र के अधिपति हों तो वे अशुभ फल नहीं देते हैं। ये अधिपति भी उत्‍तरोतर क्रम में बली हैं। (यानी चतुर्थ भाव से सातवां भाव अधिक बली, तीसरे भाव से छठा भाव अधिक बली) लग्‍न से दूसरे अथवा बारहवें भाव के स्‍वामी दूसरे ग्रहों के सहचर्य से शुभ अथवा अशुभ फल देने में स...

इंसानी दिमाग के बारे कुछ चकित कर देने वाले रोचक तथ्य क्या हैं? By वनिता कासनियां पंजाब द्वारा1.] हमारे दिमाग में कई ऐसे हिस्से है जो बंद पड़े है और वो हिस्से तभी खुलते है जब हम दिमाग से कसरत करवाते है कहने का मतलब आप जितना अधिक सीखते चले जाओगे, जितना अधिक दिमाग का इस्तेमाल करके उससे काम करवाओगे उतनी ही तेज़ी से आपके दिमाग के बंद हिस्से खुलने शुरू हो जाएंगे और आपका दिमाग तेज़ होना शुरू हो जाएगा। इसलिए लगातार अपनी फील्ड के बारे में पढ़ते जाएं और नया सीखते जाएं।2.] हम कोई भी वस्तु अपने आंखों से नहीं बल्कि अपने दिमाग़ की मदद से देख पाते हैं आंख सिर्फ information लेता है और उसका प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनाकर हमारे दिमाग़ तक पहुँचाता है।3.] पूरे दिन की तुलना में लंच के बाद हमारी याददाश्त सबसे ज़्यादा कमजोर होती है।4.] किसी के ना बोलने पर भी खुद का नाम सुनाई देना एक स्वस्थ दिमाग की निशानी है।5 ] पूरी जिंदगी में हमारा दिमाग लगभग 10 लाख GB डेटा स्टोरकरता हैं।

इंसानी दिमाग के बारे कुछ चकित कर देने वाले रोचक तथ्य क्या हैं? By वनिता कासनियां पंजाब द्वारा 1.] हमारे दिमाग में कई ऐसे हिस्से है जो बंद पड़े है और वो हिस्से तभी खुलते है जब हम दिमाग से कसरत करवाते है कहने का मतलब आप जितना अधिक सीखते चले जाओगे, जितना अधिक दिमाग का इस्तेमाल करके उससे काम करवाओगे उतनी ही तेज़ी से आपके दिमाग के बंद हिस्से खुलने शुरू हो जाएंगे और आपका दिमाग तेज़ होना शुरू हो जाएगा। इसलिए लगातार अपनी फील्ड के बारे में पढ़ते जाएं और नया सीखते जाएं। 2.] हम कोई भी वस्तु अपने आंखों से नहीं बल्कि अपने दिमाग़ की मदद से देख पाते हैं आंख सिर्फ information लेता है और उसका प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनाकर हमारे दिमाग़ तक पहुँचाता है। 3.] पूरे दिन की तुलना में लंच के बाद हमारी याददाश्त सबसे ज़्यादा कमजोर होती है। 4.] किसी के ना बोलने पर भी खुद का नाम सुनाई देना एक स्वस्थ दिमाग की निशानी है। 5 ] पूरी जिंदगी में हमारा दिमाग लगभग 10 लाख GB डेटा स्टोर करता हैं।

सूर्य ग्रहण का किस राशि पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा?By वनिता कासनियां पंजाब आज 25 अक्टूबर 2022 को दीपावली के बाद जो खंडग्रास सूर्य ग्रहण लग रहा है उसका सबसे ज्यादा प्रभाव तुला राशि पर है क्योंकि यह ग्रहण तुला राशि और स्वाति नक्षत्र पर है। तुला राशि वालों के लिए घात यानी कि विशेष कष्ट दिखा रहा है बाकी राशिफल इस प्रकार जाने। ग्रहण का 12 राशियों पर प्रभाव राशिफल।मेष राशि जीवनसाथी को कष्टवृष राशि सुखमिथुन राशि चिंता अधिक खर्च कार्य विलंबकर्क राशि कष्टसिंह राशि धन लाभकन्या राशि क्षति हानितुला राशि चोट भय चिंता वृश्चिक राशि हानिधनु राशि लाभ और उन्नतिमकर राशि सुखकुंभ राशि अपमानमीन राशि मृत्यु तुल्य कष्ट।यही इस उत्तर का मूल स्रोत है। चित्र सोर्स है गूगल इमेजेस।

सूर्य ग्रहण का किस राशि पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा? By वनिता कासनियां पंजाब आज 25 अक्टूबर 2022 को दीपावली के बाद जो खंडग्रास सूर्य ग्रहण लग रहा है उसका सबसे ज्यादा प्रभाव तुला राशि पर है क्योंकि यह ग्रहण तुला राशि और स्वाति नक्षत्र पर है। तुला राशि वालों के लिए घात यानी कि विशेष कष्ट दिखा रहा है बाकी राशिफल इस प्रकार जाने। ग्रहण का 12 राशियों पर प्रभाव राशिफल। मेष राशि  जीवनसाथी को कष्ट वृष राशि  सुख मिथुन राशि  चिंता अधिक खर्च कार्य विलंब कर्क राशि  कष्ट सिंह राशि  धन लाभ कन्या राशि  क्षति हानि तुला राशि  चोट भय चिंता वृश्चिक राशि  हानि धनु राशि  लाभ और उन्नति मकर राशि  सुख कुंभ राशि  अपमान मीन राशि  मृत्यु तुल्य कष्ट। यही इस उत्तर का मूल स्रोत है। चित्र सोर्स है गूगल इमेजेस।

कुण्डली में कमजोर चंद्र के लक्षण क्या हैं?By वनिता कासनियां पंजाबसबसे पहले जवाब दिया गया: कुण्डली में कमजोर चंद्र के लक्षण क्या है?कैसे जानें कि चन्द्र खराब है...* माता का बीमार होना या घर के जलस्रोतों का सूख जाना भी चन्द्र केअशुभ होने की निशानी है। * महसूस करने की क्षमता क्षीण हो जातीहै। * राहु, केतु या शनि के साथ होने से तथा उनकी दृष्टि चन्द्र पर पड़नेसे चन्द्र अशुभ हो जाता है। * मानसिक रोगों का कारण भी चन्द्र कोमाना गया है।चंद्रमा के स्वामी भगवान शिव हैं, इसलिए शिव की पूजा की जाए तो हरविपरीत स्थितियां सुधर सकती हैं। सोमवार का व्रत करना, पूर्णिमा काव्रत करना, शंकर जी को दूध से स्नान कराना और सोमवार को सफेदवस्तुओं का दान करना चाहिए। इसके अलावा लाल किताब में वर्णित हैंकुछ आसान से उपाय... किसी जानकार से पूछकर जरूर आजमाएं....चंद्रमा कमजोर है तो इन 20 उपायों को आजमाएं,1: वट वृक्ष की जड़ में पानी डालें2: चारपाई के चारों पायों पर चांदी की कीले लगाएं3: शरीर पर चांदी धारण करें4: व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए।5: पूर्णिमा के दिन शिव जी को खीर का भोग लगाएं6: मकान की नीव में चांदी दबाएं7: माता का आशीर्वाद लें8: चांदी का कड़ा धारण करें9 : पानी,दूध, चावल का दान करें10: चांदी, चावल व दूध का कारोबार न करें11: माता से चांदी लेकर अपने पास रखें12: घर में किसी भी स्थान पर पानी का जमाव न होने पाए13 : ब्रह्मचर्य का पालन करें14: बेईमानी और लालच ना करें, झूठ बोलने से परहेज करें15: 11 सोमवार नियमित रूप से 9 कन्याओं को खीर का प्रसाद दें16: सोमवार को सफेद कपड़े में चावल, मिश्री बांधकर बहते पानी में प्रवाहित करें17: श्मशान में पानी की टंकी या हैण्डपम्प लगवाएं18: चांदी का चोकोर टुकडा अपने पास रखें19: रात के समय दूध ना पीयें20: माता-सास की सेवा करें।.

कुण्डली में कमजोर चंद्र के लक्षण क्या हैं? By वनिता कासनियां पंजाब सबसे पहले जवाब दिया गया: कुण्डली में कमजोर चंद्र के लक्षण क्या है? कैसे जानें कि चन्द्र खराब है... * माता का बीमार होना या घर के जलस्रोतों का सूख जाना भी चन्द्र के अशुभ होने की निशानी है। * महसूस करने की क्षमता क्षीण हो जाती है। * राहु, केतु या शनि के साथ होने से तथा उनकी दृष्टि चन्द्र पर पड़ने से चन्द्र अशुभ हो जाता है। * मानसिक रोगों का कारण भी चन्द्र को माना गया है। चंद्रमा के स्वामी भगवान शिव हैं, इसलिए शिव की पूजा की जाए तो हर विपरीत स्थितियां सुधर सकती हैं। सोमवार का व्रत करना, पूर्णिमा का व्रत करना, शंकर जी को दूध से स्नान कराना और सोमवार को सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए। इसके अलावा लाल किताब में वर्णित हैं कुछ आसान से उपाय... किसी जानकार से पूछकर जरूर आजमाएं.... चंद्रमा कमजोर है तो इन 20 उपायों को आजमाएं, 1: वट वृक्ष की जड़ में पानी डालें 2: चारपाई के चारों पायों पर चांदी की कीले लगाएं 3: शरीर पर चांदी धारण करें 4: व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए...

वनिता कासनियां पंजाब

https://youtu.be/hoSeCigrxs0 स्प्राउट्स कैसे बनाए जाते हैं?  By वनिता कासनियां पंजाब  किसी भी साबुत अनाज, जो दो वर्ष से अधिक पुराना न हो, उससे स्प्राउट्स बनाए जा सकते हैं। स्प्राउट्स अर्थात अंकुरित अनाज। विश्व मे सबसे अधिक स्प्राउट्स मूंग से बनाए जाते हैं। भारत मे भी मूंग, मोठ, चना, चवली(लोबिया), मटर, मसूर व मूंगफली को अंकुरित करके खाने का चलन है। इसे बनाने हेतु अनाज को अच्छी साफ करके पानी से धोकर 8/10 घंटे 3 गुना पानी मे डाल कर फूलने हेतु रखें। कठोरता के अनुसार वह 6 से 12 घंटे मे अच्छी तरह पानी सोख कर फूल जाऐगा। अब उसका शेष पानी निकाल कर किसी साफ गीले कपडे मे पोटली मे बांध कर किसी बर्तन मे ढक कर रख दें। ढक्कन इतना टाईट न हो कि हवा भी न जा सके। आजकल इस हेतु विशेष तौर पर बने प्लास्टिक के तीन खंड के डब्बे उपलब्ध हैं। अलग अलग अनाजों के अनुसार 6 से 12 घंटों मे अच्छे अंकुर निकल आऐंगे। मूंग, मोठ व मसूर मे अंकुर 6/7 घंटे मे व चने, मटर, लोबिया व मूंगफली मे 12/18 घंटों मे अंकुर आ जाते हैं। अब इन्हे साफ पानी से बिना रगडे धो लें, ताकि अंकुर न टूटें। ये अब किसी भी प्रकार से खाने हेतु तैया...