गजकेसरी योग: जीवन में ऊंचाइयां तथा समाज में मान प्रतिष्ठा बढ़ाता है।By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* कुंडली में गुरु और चंद्र साथ हो या एक दूसरे को देखते हो तो गजकेसरी योग बनता है।* कुंडली में गुरु और चंद्रमा मजबूत हो तथा चंद्रमा और बृहस्पति केंद्र में एक दूसरे की तरफ दृष्टि कर के बैठे हों तब यह शक्तिशाली योग बनता है। लेकिन अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो या फिर चंद्रमा कमजोर हो तब इस योग का फल नहीं मिल पाता है।* केमद्रुम दोष होने पर भी यह निष्फल हो जाता है।* गजकेसरी योग जीवन में ऊचाईया, मान प्रतिष्ठा और धन में वृद्धि करता है।* चंद्र और गुरु कमजोर होने, या इन पर पाप ग्रहों की दृष्टि होने पर इसका सम्पूर्ण फल नही मिल पाता हैं।* कुंडली के दूसरे तथा आठवें भाव में भी अच्छे परिणाम नही देता है।* केंद्र तथा त्रिकोण में होने पर प्रभावशाली होता है।* किसी का जन्म गज-केसरी योग में हुआ होता है तो वह दयालु प्रवृत्ति का माना जाता है और वह दूसरों के प्रति स्नेह व विनम्रता का भाव रखता है।* ऐसे जातकों का धार्मिक ज्ञान अच्छा होता है।* ऐसे जातकों के पास पास चल और अचल संपत्ति के रूप में बहुत सारा धन होने की संभावना होती है। वहीं ऐसे जातकों के संबंध उच्च वर्ग के लोगों के साथ होते हैं।* ऐसे जातक जीवन में सभी तरह की भौतिक वस्तुओं का सुख प्राप्त करते हैं। वहीं सरकारी सेवाओं में इन्हें उच्च पद की प्राप्ति भी हो सकती है।* गजकेसरी योग के फलस्वरूप व्यक्ति कुशल, राजसी सुखों को भोगने वाला, उच्च पद प्राप्त करने वाला, वाद-विवाद व भाषण कला में निपुण होता है।* गज को गणेश जी का प्रतीक माना जाता है। गणेश जी बुद्धि के देवता है अर्थात व्यक्ति अपनी बौद्धिक शक्ति के आधार धन-दौलत, मान-सम्मान प्राप्त करता है। जिनकी कुण्डली में गजकेसरी योग उन्हें बुद्धि से काम करना से चाहिए न कि दिल से वरना हानि ही होगी।* ज्योतिष में बृहस्पति को धन का कारक माना जाता है। यदि गजकेसरी योग उत्तम प्रकार का है तो व्यक्ति को गज के समान धन की प्राप्ति होती है। इस योग के कारण व्यक्ति अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में सफल होता है।* गुरु व चन्द्र कुंडली के जिस भाव में बैठकर गजकेसरी योग का निर्माण करते है, उस भाव से सम्बन्धित शुभ फलों की प्राप्ति भी होती है। गजकेसरी योग जब चतुर्थ व दशम भाव में बनता है तो व्यक्ति अपने व्यवसाय व करियर में ऊंचे मुकाम हासिल करता है।* भगवान शिव की अराधना करने से इस योग का विशेष फायदा मिलता है। वहीं ये भी मान्यता है कि पीला पुखराज या मोती पहनना ऐसे जातकों के लिए अधिकांशत: लाभकारी साबित होता है।* कुंडली के विभिन्न भावों में गजकेसरी योग का फल:-1. पहले/लग्न भाव में असर...लग्न में यह योग बने तो जातक कोई नेता या अभिनेता होता है। ऐसे जातक को देखने के लिए जनता उतावली हो जाती है। उसका रहन सहन राजाओं जैसा होता है। यह योग जातक को गलत रास्ते पर भी जाने से रोकता है। जातक ईश्वर को मानने वाला होता है।2. दूसरे/धन भाव में...ये योग दूसरे भाव में बने तो जातक उच्च घराने में जन्म लेता है, वाणी का धनी होता है, धन सम्पदा की कमी नहीं रहती। ऐसे जातक की बात को गौर से सुना जाता है। ऐसे जातक कथा वाचक और बड़े-बड़े साधू संत भी देखे गए हैं।3. तीसरे/ पराक्रम व भाई बहन के भाव में...तीसरे भाव में यह योग बने तो भाई बहन को भी उच्च पद पर ले जाता है। जातक बहुत पराक्रमी और मान-सम्मान वाला होता है।4. चौथे/ सुख व मां के भाव में...चौथे भाव में यह योग बने तो मां से अत्यंत प्यार और लाभ मिलता है। भूमि और वाहन का उच्च सुख प्रदान होता है। रहने के लिये अच्छा निवास स्थान होता है।5. पंचम/पुत्र या बुद्धि भाव में...पंचम भाव में यह योग बने तो बुद्धि के बल पर धन कमाने का संकेत होता है। जातक बुद्धिमान होता है। ऐसा जातक अच्छा स्कूल टीचर, वैज्ञानिक, नए नए अविष्कार करने वाला होता है। ऐसा जातक उच्च कोटि का लेखक भी बन सकता है। ऐसे जातक को पूर्ण संतान का सुख मिलता है, संतान के उच्च पद पर आसीन होने के योग भी बनते हैं।6. छठे/ शत्रु या रोग भाव में...छठे भाव में यह योग कुछ कमजोर पड़ जाता है। छठे भाव में गुरु शत्रुहंता होता है। शत्रु दब कर रहते हैं साथ में चंद्रमा मन और माता के लिए ठीक नहीं होता उनका स्वास्थ्य बिगड़ा सा रहता है।7. सप्तम/विवाह भाव में...यह भाव जीवन साथी का होता है जीवन साथी उच्च पद पर आसिन होता है। उच्च घराने में शादी करवाता है। जीवन साथी उच्च विचारों वाला होता है।8. अष्टम/ आयु भाव में...अष्टम भाव का गजकेसरी योग भी कमजोर पड़ जाता है। यह योग जातक को गुप्त विद्या में ले जाता है इस योग में बड़े-बड़े तांत्रिक और साधू संत देखे जाते हैं। यह योग कई बार अचानक धन भी दिलवा देता है। यह योग गुप्त धन की प्राप्ति जरूर देता है। जातक कल्पना भी नहीं कर सकता वहां से धन की प्राप्ति हो जाती है।9. नवम/ भाग्य भाव में...नवम भाव में गजकेसरी योग जातक को कर्म से ज्यादा भाग्य के द्वारा मिल जाता है। नवम भाव धर्म और भाग्य का माना गया है। ऐसा जातक बहुत भाग्य शाली होता है और भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा रखता है।10. दशम/ कर्म या पिता भाव में...दसवें भाव में गजकेसरी योग पिता को उच्च पद पर ले जाता है। जातक को भी उच्च पद प्राप्त होता है। जातक भाग्य से ज्यादा कर्म को महत्व देता है समाज में मान-सम्मान दिलवाता है।11. ग्यारहवें/आय भाव में...ग्यारहवे भाव में गजकेसरी योग जातक की आय के एक से अधिक स्रोत होते हैं। जातक को कई प्रकार से इनकम आती है कम मेहनत मे ज्यादा पैसा का संकेत होता है। ऐसा जातक घर बैठे पैसा कमाता है।12. बारहवें/व्यय भाव में...बारहवें भाव में गजकेसरी योग कुछ कमजोर पड़ जाता है। जातक धर्म-कर्म पर पैसा खर्च करने वाला घर से दूर सफलता का-सूचक होता है।बाल वनिता महिला आश्रम
गजकेसरी योग: जीवन में ऊंचाइयां तथा समाज में मान प्रतिष्ठा बढ़ाता है।
* कुंडली में गुरु और चंद्र साथ हो या एक दूसरे को देखते हो तो गजकेसरी योग बनता है।
* कुंडली में गुरु और चंद्रमा मजबूत हो तथा चंद्रमा और बृहस्पति केंद्र में एक दूसरे की तरफ दृष्टि कर के बैठे हों तब यह शक्तिशाली योग बनता है। लेकिन अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो या फिर चंद्रमा कमजोर हो तब इस योग का फल नहीं मिल पाता है।
* केमद्रुम दोष होने पर भी यह निष्फल हो जाता है।
* गजकेसरी योग जीवन में ऊचाईया, मान प्रतिष्ठा और धन में वृद्धि करता है।
* चंद्र और गुरु कमजोर होने, या इन पर पाप ग्रहों की दृष्टि होने पर इसका सम्पूर्ण फल नही मिल पाता हैं।
* कुंडली के दूसरे तथा आठवें भाव में भी अच्छे परिणाम नही देता है।
* केंद्र तथा त्रिकोण में होने पर प्रभावशाली होता है।
* किसी का जन्म गज-केसरी योग में हुआ होता है तो वह दयालु प्रवृत्ति का माना जाता है और वह दूसरों के प्रति स्नेह व विनम्रता का भाव रखता है।
* ऐसे जातकों का धार्मिक ज्ञान अच्छा होता है।
* ऐसे जातकों के पास पास चल और अचल संपत्ति के रूप में बहुत सारा धन होने की संभावना होती है। वहीं ऐसे जातकों के संबंध उच्च वर्ग के लोगों के साथ होते हैं।
* ऐसे जातक जीवन में सभी तरह की भौतिक वस्तुओं का सुख प्राप्त करते हैं। वहीं सरकारी सेवाओं में इन्हें उच्च पद की प्राप्ति भी हो सकती है।
* गजकेसरी योग के फलस्वरूप व्यक्ति कुशल, राजसी सुखों को भोगने वाला, उच्च पद प्राप्त करने वाला, वाद-विवाद व भाषण कला में निपुण होता है।
* गज को गणेश जी का प्रतीक माना जाता है। गणेश जी बुद्धि के देवता है अर्थात व्यक्ति अपनी बौद्धिक शक्ति के आधार धन-दौलत, मान-सम्मान प्राप्त करता है। जिनकी कुण्डली में गजकेसरी योग उन्हें बुद्धि से काम करना से चाहिए न कि दिल से वरना हानि ही होगी।
* ज्योतिष में बृहस्पति को धन का कारक माना जाता है। यदि गजकेसरी योग उत्तम प्रकार का है तो व्यक्ति को गज के समान धन की प्राप्ति होती है। इस योग के कारण व्यक्ति अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में सफल होता है।
* गुरु व चन्द्र कुंडली के जिस भाव में बैठकर गजकेसरी योग का निर्माण करते है, उस भाव से सम्बन्धित शुभ फलों की प्राप्ति भी होती है। गजकेसरी योग जब चतुर्थ व दशम भाव में बनता है तो व्यक्ति अपने व्यवसाय व करियर में ऊंचे मुकाम हासिल करता है।
* भगवान शिव की अराधना करने से इस योग का विशेष फायदा मिलता है। वहीं ये भी मान्यता है कि पीला पुखराज या मोती पहनना ऐसे जातकों के लिए अधिकांशत: लाभकारी साबित होता है।
* कुंडली के विभिन्न भावों में गजकेसरी योग का फल:-
1. पहले/लग्न भाव में असर...
लग्न में यह योग बने तो जातक कोई नेता या अभिनेता होता है। ऐसे जातक को देखने के लिए जनता उतावली हो जाती है। उसका रहन सहन राजाओं जैसा होता है। यह योग जातक को गलत रास्ते पर भी जाने से रोकता है। जातक ईश्वर को मानने वाला होता है।
2. दूसरे/धन भाव में...
ये योग दूसरे भाव में बने तो जातक उच्च घराने में जन्म लेता है, वाणी का धनी होता है, धन सम्पदा की कमी नहीं रहती। ऐसे जातक की बात को गौर से सुना जाता है। ऐसे जातक कथा वाचक और बड़े-बड़े साधू संत भी देखे गए हैं।
3. तीसरे/ पराक्रम व भाई बहन के भाव में...
तीसरे भाव में यह योग बने तो भाई बहन को भी उच्च पद पर ले जाता है। जातक बहुत पराक्रमी और मान-सम्मान वाला होता है।
4. चौथे/ सुख व मां के भाव में...
चौथे भाव में यह योग बने तो मां से अत्यंत प्यार और लाभ मिलता है। भूमि और वाहन का उच्च सुख प्रदान होता है। रहने के लिये अच्छा निवास स्थान होता है।
5. पंचम/पुत्र या बुद्धि भाव में...
पंचम भाव में यह योग बने तो बुद्धि के बल पर धन कमाने का संकेत होता है। जातक बुद्धिमान होता है। ऐसा जातक अच्छा स्कूल टीचर, वैज्ञानिक, नए नए अविष्कार करने वाला होता है। ऐसा जातक उच्च कोटि का लेखक भी बन सकता है। ऐसे जातक को पूर्ण संतान का सुख मिलता है, संतान के उच्च पद पर आसीन होने के योग भी बनते हैं।
6. छठे/ शत्रु या रोग भाव में...
छठे भाव में यह योग कुछ कमजोर पड़ जाता है। छठे भाव में गुरु शत्रुहंता होता है। शत्रु दब कर रहते हैं साथ में चंद्रमा मन और माता के लिए ठीक नहीं होता उनका स्वास्थ्य बिगड़ा सा रहता है।
7. सप्तम/विवाह भाव में...
यह भाव जीवन साथी का होता है जीवन साथी उच्च पद पर आसिन होता है। उच्च घराने में शादी करवाता है। जीवन साथी उच्च विचारों वाला होता है।
8. अष्टम/ आयु भाव में...
अष्टम भाव का गजकेसरी योग भी कमजोर पड़ जाता है। यह योग जातक को गुप्त विद्या में ले जाता है इस योग में बड़े-बड़े तांत्रिक और साधू संत देखे जाते हैं। यह योग कई बार अचानक धन भी दिलवा देता है। यह योग गुप्त धन की प्राप्ति जरूर देता है। जातक कल्पना भी नहीं कर सकता वहां से धन की प्राप्ति हो जाती है।
9. नवम/ भाग्य भाव में...
नवम भाव में गजकेसरी योग जातक को कर्म से ज्यादा भाग्य के द्वारा मिल जाता है। नवम भाव धर्म और भाग्य का माना गया है। ऐसा जातक बहुत भाग्य शाली होता है और भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा रखता है।
10. दशम/ कर्म या पिता भाव में...
दसवें भाव में गजकेसरी योग पिता को उच्च पद पर ले जाता है। जातक को भी उच्च पद प्राप्त होता है। जातक भाग्य से ज्यादा कर्म को महत्व देता है समाज में मान-सम्मान दिलवाता है।
11. ग्यारहवें/आय भाव में...
ग्यारहवे भाव में गजकेसरी योग जातक की आय के एक से अधिक स्रोत होते हैं। जातक को कई प्रकार से इनकम आती है कम मेहनत मे ज्यादा पैसा का संकेत होता है। ऐसा जातक घर बैठे पैसा कमाता है।
12. बारहवें/व्यय भाव में...
बारहवें भाव में गजकेसरी योग कुछ कमजोर पड़ जाता है। जातक धर्म-कर्म पर पैसा खर्च करने वाला घर से दूर सफलता का-सूचक होता है।
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