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वृश्चिक लग्न* By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबवृश्चिक लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति शूरवीर , अत्यंत विचार शील , क्रोधी , राजाओं से पूजित , गुणवान , शास्त्रज्ञ , शत्रु नाशक , तमोगुणी , दूसरों की बातें जानने वाला , कटु स्वभाव वाला तथा सेवा कर्म करने वाला होता है । वृश्चिक लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति स्वस्थ शरीर , हृष्ट पुष्ट एवं तेजस्वी होते हैं । मजला कद , गठीला शरीर , विशाल मस्तिष्क , दीप्त ललाट , छितरे काले बाल , उभरी हुई थोड़ी और चमकती हुई आंखें ऐसे व्यक्ति की विशेषता होती है ।इनका व्यक्तित्व सहज ही दूसरों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है । चुंबकीय व्यक्तित्व के ऐसे जातक धनी व लोकप्रिय होते हैं । प्रेम के क्षेत्र में अग्रणी होते हैं तथा विपरीत योनि के प्रति सहज आकर्षण अनुभव करते हैं । अपनी भावनाओं पर सहज ही नियंत्रण नहीं कर पाते और जल्द ही दूसरों पर विश्वास कर लेते हैं । यह स्वार्थ सिद्ध होने तक दुश्मनों को कंधे पर बिठाने में भी नहीं हिचकिचाते परंतु स्वार्थ पूर्ति के पश्चात उसे पैरों तले रौंदने में भी देर नहीं लगाते । ऐसे व्यक्ति साहसी एवं उग्र स्वभाव के होते हंं तथा जरा सी विपरीत बात होने पर यह भड़क उड़ते हैं । पुरुष तत्व प्रधान ऐसे जातक दूसरों को छेड़ने में आनंद का अनुभव करते हैं । वृश्चिक लग्न प्रधान जातक का स्वभाव भी बिच्छू के समान होता है जो स्वभाव से ही बदला लेने वाला होता है , और जैसे ही अवसर हाथ में आता है बदला लेने से नहीं चूकते हैं । वैर ये भूलता नहीं और हमेशा ऐसे मौके की तलाश में रहता है कि बैर का बदला ले सकें । ऐसे व्यक्तियों का चुंबकीय व्यक्तित्व होता है । जिससे दूसरे सहज ही आकर्षित होते हैं । मित्रता स्थापित करने में यह सिद्धहस्त होते हैं । पहली नजर में ही यह भाप लेते हैं किस व्यक्ति से कैसे काम निकाला जाए । इनकी जान पहचान विस्तृत होती है तथा विरोधियों तक से काम निकलने में चतुर होते हैं । इनके शत्रु कम से कम होते हैं । मित्रों की संख्या ज्यादा होते हैं । जहां यह मित्र से लाभ उठाते हैं वही समय पड़ने पर उसे भरपूर मदद भी करते हैं । ऐसे व्यक्ति सफल कहे जा सकते हैं । राजनीतिक क्षेत्र में ऐसे जातक पूर्ण सफल होते हैं । समय पड़ने पर अच्छा से अच्छा झूठ बोल देना और काम पड़ जाए तो उस झूठ को भी सच सिद्ध कर दिखाना इनके बाएं हाथ का खेल होता है । इनकी आंखों में शरारत नाचती रहती है । जहाँ पूरी मित्रता निभाते हैं वही शत्रु बन जाने पर भयंकर भी सिद्ध हो सकते हैं । ऐसे व्यक्ति पूरे अवसरवादी कहे जा सकते हैं । जरूरत पड़ने पर सामने वाले के पैर भी छू लेते हैं परंतु कारण निकलने के बाद ठोकर मारते भी देर नहीं लगता । बहुत सोच समझकर ही यह किसी दूसरे को अपने जीवन में स्थान देते हैं पर जिसे स्थान देते हैं उसके साथ पूरी सहानुभूति रखते हैं और उसे ऊँचा उठाने का भरसक प्रयत्न करते हैं । सुंदर स्त्रियां इन की कमजोरी कहीं जा सकती है । स्त्रियों के फेर में पड़कर यह गुप्त से गुप्त राज भी बता देने में नहीं हिचकते हैं । ऐसे व्यक्ति अधिक भोगी होते हैं परंतु सभ्यता का आवरण इन पर इतना अधिक छाया रहता है कि वह स्पष्ट प्रकट नहीं हो पाता है । प्रेम के क्षेत्र में असफल रहते हैं और जीवन में एक दो बार बदनाम भी होते हैं । जिससे उनकी प्रतिष्ठा में अंतर आता है । गृहस्थ जीवन का सफल नहीं कहा जा सकता । पति-पत्नी में बहुत कम बनती है और पत्नी से राज छिपाने में माहिर होते हैं । संतान सुख भी इनका सामान्य जा सकता है । शिक्षा के क्षेत्र में सफल होते हैं । ऐसे व्यक्ति सफल दार्शनिक , प्रोफेसर , रीडर एवं धार्मिक व्यक्ति हो सकते हैं तथा इस क्षेत्र में शीघ्र ही उन्नति करते दिखाई देते हैं । कान के कच्चे होते हैं और शीघ्र हीं दूसरों के कथन पर विश्वास कर लेते हैं जिसके फलस्वरूप इन्हें जीवन में हानि भी उठानी पड़ती है । स्वभाव से यह गर्म होते हैं एवं फुसफुसाहट में बात करना , गोपनीयता का प्रदर्शन करना इनका स्वभाव बन जाता है । यह जो भी कार्य प्रारंभ करते हैं उसे उलझा लेते हैं तथा स्वयं उस में उलझ जाते हैं और फिर उसे छोड़कर दूर जा बैठते हैं । ऐसे व्यक्ति यदि सैनिक बने तो युद्ध में पीठ नहीं दिखाते हैं । दुखी व्यक्ति की सहायता को सदैव तत्पर रहते हैं । कोई किसी को सता रहा हो तो वह उसे दंडित करने से भी नहीं चूकते । तन कर चलना एवं खड़ा होना उनके आत्मविश्वास का सूचक होता है । जीवन में यौवन काल श्रेष्ठ होता है परंतु जीवन के 45 वर्षों के बाद इनकी प्रवृत्ति अध्यात्म की तरफ झुक जाती है । नई सूझ बूझ के धनी कहे जा सकते हैं ।💢 वृश्चिक लग्न में ग्रहों का महत्व 💢👉 सूर्य आपकी कुंडली में पिता , राज्य एवं रोजगार के स्वामी होते हैं । सूर्य आपकी कुंडली के लिए कारक होते हैं । 👉 चंद्रमा आपकी कुंडली में भाग्य एवं उच्च शिक्षा के स्वामी होते हैं । चंद्रमा आपकी कुंडली के लिए कारक होते हैं । 👉 मंगल आपकी कुंडली में स्वास्थ्य , जीवन में उन्नति , रोग एवं शत्रु के स्वामी होते हैं । मंगल आपकी कुंडलीके लिए कारक होते हैं । 👉 बुध आपकी कुंडली में आमदनी , लाभ , बड़े भाई – बहन एवं आयु के स्वामी होते हैं । बुध आपकी कुंडली के लिए अकारक होते हैं , परन्तु बलवान होने पर भी अच्छा फल देते हैं तथा आमदनी अच्छी होती है । 👉 गुरु आपकी कुंडली में धन , कुटुंब , विद्या , बुद्धि एवं संतान के स्वामी होते हैं । गुरु आपकी कुंडली के लिए कारक होते हैं । 👉 शुक्र आपकी कुंडली में पत्नी , व्यवसाय , बाहरी स्थान एवं खर्च के स्वामी होते हैं । शुक्र आपकी कुंडली के लिए अकारक ग्रह होते हैं । 👉 शनि आपकी कुंडली में पराक्रम , छोटे भाई- बहन , माता , जमीन , जायदाद एवं घरेलू सुख के स्वामी होते हैं । शनि आपकी कुंडली में अकारक होते हैं । 💥 ( मेष , वृष , मिथुन , कर्क , सिंह , कन्या , तुला लग्न के बारे में मेरा पहले का पोस्ट देखें । इसके बाद के लग्नों के लिए इंतजार करें । )🌹 व्यक्ति जिस लग्न या जिस राशि में जन्म लेता है उस राशि के जो गुण स्वभाव होते हैं वास्तविक जीवन में उस राशि का फलादेश मैच नहीं करता है । इसका मुख्य कारण है लग्न एवं लग्नेश पर अलग-अलग ग्रहों का प्रभाव लग्न एवं लग्नेश पर अलग-अलग ग्रहों के प्रभाव के कारण राशि के जो गुण स्वभाव होते हैं उसमें परिवर्तन हो जाते हैं , परंतु उस राशि का जो मुख्य स्वभाव होता है वह अवश्य व्यक्ति के अंदर विराजमान होता है ।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

*वृश्चिक लग्न*  By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब वृश्चिक लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति शूरवीर , अत्यंत विचार शील , क्रोधी , राजाओं से पूजित , गुणवान , शास्त्रज्ञ , शत्रु नाशक , तमोगुणी , दूसरों की बातें जानने वाला , कटु स्वभाव वाला तथा सेवा कर्म करने वाला होता है । वृश्चिक लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति स्वस्थ शरीर , हृष्ट पुष्ट एवं तेजस्वी होते हैं । मजला कद , गठीला शरीर , विशाल मस्तिष्क , दीप्त ललाट , छितरे काले बाल , उभरी हुई थोड़ी और चमकती हुई आंखें ऐसे व्यक्ति की विशेषता होती है । इनका व्यक्तित्व सहज ही दूसरों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है । चुंबकीय व्यक्तित्व के ऐसे जातक धनी व लोकप्रिय होते हैं । प्रेम के क्षेत्र में अग्रणी होते हैं तथा विपरीत योनि के प्रति सहज आकर्षण अनुभव करते हैं । अपनी भावनाओं पर सहज ही नियंत्रण नहीं कर पाते और जल्द ही दूसरों पर विश्वास कर लेते हैं । यह स्वार्थ सिद्ध होने तक दुश्मनों को कंधे पर बिठाने में भी नहीं हिचकिचाते परंतु स्वार्थ पूर्ति के पश्चात उसे पैरों तले रौंदने में भी देर नहीं लगाते । ऐसे व्यक्ति साहसी एवं उग्र स्वभाव के होत...

*****प्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत |******बाल वनिता महिला आश्रम ज्योतिष में वर्णित प्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत के द्वारा हम यह जानने में समर्थ होते है कि किसी प्रेमी- प्रेमिका का प्यार विवाह में परिणत होगा या नहीं। वस्तुतः “प्रेमी और प्रेमिका” के मध्य प्रेम की पराकाष्ठा का विवाह में तब्दील होना ही प्रेम विवाह(Love Marriage) है या यूं कहे कि जब लड़का और लड़की में परस्पर प्रेम होता है तदनन्तर जब दोनों एक दूसरे को जीवन साथी के रूप में देखने लगते है और वही प्रेम जब विवाह के रूप में परिणत हो जाता है तो हम उसे प्रेम-विवाह कहते है।प्रेम विवाह हेतु निर्धारित भाव एवं ग्रहवहीं सभी ग्रहो को भी विशेष कारकत्व प्रदान किया गया है। यथा “शुक्र ग्रह” को प्रेम तथा विवाह का कारक माना गया है। स्त्री की कुंडली में “ मगल ग्रह ” प्रेम का कारक माना गया है। ज्योतिषशास्त्र में सभी विषयों के लिए निश्चित भाव निर्धारित किया गया है लग्न, पंचम, सप्तम, नवम, एकादश, तथा द्वादश भाव को प्रेम-विवाह का कारक भाव माना गया है यथा —लग्न भाव — जातक स्वयं।पंचम भाव — प्रेम या प्यार का स्थान।सप्तम भाव — विवाह का भाव।नवम भाव — भाग्य स्थान।एकादश भाव — लाभ स्थान।द्वादश भाव — शय्या सुख का स्थान। ******प्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत या नियम##पंचम और सप्तम भाव तथा भावेश के साथ सम्बन्ध। पंचम भाव प्रेम का भाव है और सप्तम भाव विवाह का अतः जब पंचम भाव का सम्बन्ध सप्तम भाव भावेश से होता है तब प्रेमी-प्रेमिका वैवाहिक सूत्र में बंधते हैं।पंचमेश-सप्तमेश-नवमेश तथा लग्नेश का किसी भी प्रकार से परस्पर सम्बन्ध हो रहा हो तो जातक का प्रेम, विवाह में अवश्य ही परिणत होगा हाँ यदि अशुभ ग्रहो का भी सम्बन्ध बन रहा हो तो वैवाहिक समस्या आएगी।लग्नेश-पंचमेश-सप्तमेश- नवमेश तथा द्वादशेश का सम्बन्ध भी अवश्य ही प्रेमी प्रेमिका को वैवाहिक बंधन बाँधने में सफल होता है।प्रेम और विवाह के कारक ग्रह शुक्र या मंगल का पंचम तथा सप्तम भाव-भावेश के साथ सम्बन्ध होना भी विवाह कराने में सक्षम होता है।सभी भावो में नवम भाव की महत्वपूर्ण भूमिका होती है नवम भाव का परोक्ष या अपरोक्ष रूप से सम्बन्ध होने पर माता-पिता का आशीर्वाद मिलता है और यही कारण है की नवम भाव -भावेश का पंचम- सप्तम भाव भावेश से सम्बन्ध बनता है तो विवाह भागकर या गुप्त रूप से न होकर सामाजिक और पारिवारिक रीति-रिवाजो से होती है।शुक्र अगर लग्न स्थान में स्थित है और चन्द्र कुण्डली में शुक्र पंचम भाव में स्थित है तब भी प्रेम विवाह संभव होता है।नवमांश कुण्डली जन्म कुण्डली का सूक्ष्म शरीर माना जाता है अगर कुण्डली में प्रेम विवाह योग नहीं है या आंशिक है और नवमांश कुण्डली में पंचमेश, सप्तमेश और नवमेश की युति होती है तो प्रेम विवाह की संभावना प्रबल हो जाती है।पाप ग्रहो का सप्तम भाव-भावेश से युति हो तो प्रेम विवाह की सम्भावना बन जाती है। राहु और केतु का सम्बन्ध लग्न या सप्तम भाव-भावेश से हो तो प्रेम विवाह का सम्बन्ध बनता है।लग्नेश तथा सप्तमेश का परिवर्तन योग या केवल सप्तमेश का लग्न में होना या लग्नेश का सप्तम में होना भी प्रेम विवाह करा देता है।चन्द्रमा ( जाने ! चन्द्रमा का सप्तम भाव में फल ) तथा शुक्र ( Venus) का लग्न या सप्तम में होना भी प्रेम विवाह की ओर संकेत करता है।उदाहरण कुंडली से प्रेम विवाह के ज्योतिषीय कारण को समझा जा सकता है।जन्म की तारीख- 12 अप्रैल 1985, जन्म का समय- 13:00, जन्म का स्थान– दिल्ली, लिंग- महिलाप्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत Astrological theory of Love Marriageप्रस्तुत जन्म कुंडली कर्क लग्न की है। इस कुंडली में विवाह भाव सप्तम का स्वामी शनि प्रेम भाव पंचम में चला गया है और वहां से शनि तीसरी दृष्टि से अपने ही घर सप्तम को देख भी रहा है इस प्रकार यहां पंचम और सप्तम भाव से सीधा सम्बन्ध बन रहा है अतः स्पष्ट है कि प्रेम विवाह होगा।लग्नेश चन्द्रमा तथा नवमेश गुरू दोनों की युति सप्तम स्थान में है तथा सप्तमेश शनि भी देख रहा है। इस प्रकार यहाँ लग्न, पंचम, सप्तम तथा नवम का सीधा सम्बन्ध बन रहा है। यही कारण है कि जातक का विवाह प्रेम-विवाह हुआ।नाम- इंदिरा गांधी, जन्म तारीख- 19 नवम्बर 1917, जन्म समय- 22:11:00,जन्म स्थान- ईलाहाबाद, उत्तरप्रदेश प्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत | Astrological theory of Love Marriage-minप्रस्तुत जन्म कुंडली इंदिरा गांधी(Indira Gandhi) की है। सभी जानते है कि इनका प्रेम-विवाह(Love Marriage) हुआ था। यह कर्क लग्न की कुंडली है। इस कुंडली में विवाह भाव सप्तम का स्वामी शनि की लग्न में युति तथा लग्नेश चन्द्रमा की सप्तम भाव में युति तथा परस्पर सप्तम से दृष्टि देखना प्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत को पुष्ट करता है।नवमेश गुरु लाभ स्थान में बैठकर पंचम भाव तथा सप्तम भाव एवं लग्नेश को भी देख रहा है। वहीँ वक्री होकर सप्तमेश को भी देख रहा है जो की प्रेम-विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत को 100 प्रतिशत पुष्ट करता है।प्रेम और विवाह के कारक ग्रह शुक्र या मंगल का पंचम तथा सप्तम भाव-भावेश के साथ सम्बन्ध होना भी विवाह कराने में सक्षम होता है।सभी भावो में नवम भाव की महत्वपूर्ण भूमिका होती है नवम भाव का परोक्ष या अपरोक्ष रूप से सम्बन्ध होने पर माता-पिता का आशीर्वाद मिलता है और यही कारण है की नवम भाव -भावेश का पंचम- सप्तम भाव भावेश से सम्बन्ध बनता है तो विवाह भागकर या गुप्त रूप से न होकर सामाजिक और पारिवारिक रीति-रिवाजो से होती है।शुक्र अगर लग्न स्थान में स्थित है और चन्द्र कुण्डली में शुक्र पंचम भाव में स्थित है तब भी प्रेम विवाह संभव होता है।नवमांश कुण्डली जन्म कुण्डली का सूक्ष्म शरीर माना जाता है अगर कुण्डली में प्रेम विवाह योग नहीं है या आंशिक है और नवमांश कुण्डली में पंचमेश, सप्तमेश और नवमेश की युति होती है तो प्रेम विवाह की संभावना प्रबल हो जाती है।पाप ग्रहो का सप्तम भाव-भावेश से युति हो तो प्रेम विवाह की सम्भावना बन जाती है। राहु और केतु का सम्बन्ध लग्न या सप्तम भाव-भावेश से हो तो प्रेम विवाह का सम्बन्ध बनता है।लग्नेश तथा सप्तमेश का परिवर्तन योग या केवल सप्तमेश का लग्न में होना या लग्नेश का सप्तम में होना भी प्रेम विवाह करा देता है।चन्द्रमा ( जाने ! चन्द्रमा का सप्तम भाव में फल ) तथा शुक्र ( Venus) का लग्न या सप्तम में होना भी प्रेम विवाह की ओर संकेत करता है।

*****प्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत |****** बाल वनिता महिला आश्रम  ज्योतिष में वर्णित प्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत के द्वारा हम यह जानने में समर्थ होते है कि किसी प्रेमी- प्रेमिका का प्यार विवाह में परिणत होगा या नहीं। वस्तुतः “प्रेमी और प्रेमिका” के मध्य प्रेम की पराकाष्ठा का विवाह में तब्दील होना ही प्रेम विवाह(Love Marriage) है या यूं कहे कि जब लड़का और लड़की में परस्पर प्रेम होता है तदनन्तर जब दोनों एक दूसरे को जीवन साथी के रूप में देखने लगते है और वही प्रेम जब विवाह के रूप में परिणत हो जाता है तो हम उसे प्रेम-विवाह कहते है। प्रेम विवाह हेतु निर्धारित भाव एवं ग्रह वहीं सभी ग्रहो को भी विशेष कारकत्व प्रदान किया गया है। यथा “शुक्र ग्रह” को प्रेम तथा विवाह का कारक माना गया है। स्त्री की कुंडली में “ मगल ग्रह ” प्रेम का कारक माना गया है। ज्योतिषशास्त्र में सभी विषयों के लिए निश्चित भाव निर्धारित किया गया है लग्न, पंचम, सप्तम, नवम, एकादश, तथा द्वादश भाव को प्रेम-विवाह का कारक भाव माना गया है यथा — लग्न भाव — जातक स्वयं। पंचम भाव — प्रेम या प्यार का स्थान। सप्तम...

🏵️🕉️शुभ शुक्रवार🌺शुभ प्रभात् 🕉️🏵️ 2078-विजय श्री हिंदू पंचांग-राशिफल-1943 🏵️-आज दिनांक🌻18.06.2021-🏵️ By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 74.30 - रेखांतर मध्यमान - 75.30 शिक्षा नौकरी आजीविका प्रेम विवाह भाग्योदय (प्रामाणिक जानकारी--प्रभावी समाधान) ----------------------------------------------------------विभिन्न शहरों के लिये रेखांतर(समय) संस्कार- (लगभग-वास्तविक समय के समीप) दिल्ली +10मिनट---------जोधपुर -6 मिनटजयपुर +5 मिनट------अहमदाबाद-8 मिनटकोटा +5 मिनट-------------मुंबई-7 मिनटलखनऊ +25 मिनट------बीकानेर-5 मिनटकोलकाता +54 मिनट-जैसलमेर -15 मिनट________________________________________________आज विशेष_____________ गंगा दशहरा और धनलाभ संबंधी सहज उपाय____________________________________ आज दिनांक.......................18.06.2021कलियुग संवत्.............................. 5123विक्रम संवत................................ 2078शक संवत....................................1943संवत्सर...................................श्री राक्षसअयन..................................... उत्तरायणगोल.............................................उत्तर ऋतु.............................................ग्रीष्म मास.............................................ज्येष्ठपक्ष............................................ शुक्ल तिथि............अष्टमी. रात्रि. 8.39 तक/ नवमी वार..........................................शुक्रवार नक्षत्र.........उ.फाल्गु. रात्रि. 9.36 तक / हस्तचंद्र राशि................ .कन्या. संपूर्ण (अहोरात्र) योग......व्यतिपात्. रात्रि. 2.45 तक / वरीयान विष्टि(भद्रा)....... प्रातः5.42 से 9.23 AM तककरण............. बव. रात्रि. 8.39 तक / बालव ___________________________________सूर्योदय..............................5.42.29 परसूर्यास्त.............................. 7.22.53 परदिनमान................................ 13.40.23रात्रिमान................................10.19.46चंद्रोदय..............अपरा. 12.39.21 PM परचंद्रास्त..................रात्रि. 1.16.30 AM परराहुकाल....पूर्वाह्न. 10.50 से 12.33 (अशुभ)यमघंट..........हअपरा. 3.58 से 5.40(अशुभ) अभिजित......... (मध्या)12.05 से 1.00 तक पंचक.................................. आज नहीं है शुभ हवन मुहूर्त(अग्निवास)............. ..आज है दिशाशूल.............................. पश्चिम दिशादोष निवारण.........जौ का सेवन कर यात्रा करें_________________________________________आज की सूर्योदय कालीन ग्रह स्थिति_____ राशि अंश कलादि सहित ग्रह स्पष्ट. सूर्य........मिथुन 2°51' मृगशीर्षा, 3 का चन्द्र कन्या 0°54' उत्तरा फाल्गुनी, 2 टो बुध...........वृषभ 22°51' रोहिणी, 4 वु शुक्र........मिथुन 24°43' पुनर्वसु, 2 को मंगल ............. कर्क 9°50' पुष्य, 2 हे बृहस्पति .... कुम्भ 7°59' शतभिष, 1 गो शनि .......... मकर 18°55' श्रवण, 3 खे राहू..........वृषभ 15°54' रोहिणी, 2 वा केतु .......वृश्चिक 15°54' अनुराधा, 4 ने ___________________________________चौघड़िया (दिन-रात)........केवल शुभ कारक * चौघड़िया दिन *चंचल.................प्रातः 5.42 से 7.25 तकलाभ.................प्रातः 7.25 से 9.08 तकअमृत...............प्रातः 9.08 से 10.50 तकशुभ...............अपरा. 12.33 से 2.15 तकचंचल.................सायं. 5.40 से 7.23 तक *चौघड़िया रात्रि* लाभ................रात्रि. 9.58 से 11.15 तकशुभ....रात्रि. 12.33 AM से 1.50 AM तकअमृत.... रात्रि. 1.50 AM से 3.08 AM तकचंचल.... रात्रि. 3.08 AM से 4.25 AM तक(विशेष - ज्योतिष शास्त्र में एक शुभ योग और एक अशुभ योग जब भी साथ साथ आते हैं तो शुभ योग की स्वीकार्यता मानी गई है ) __________________________________ *शुभ शिववास की तिथियां*शुक्ल पक्ष-2-----5-----6---- 9-------12----13.कृष्ण पक्ष-1---4----5----8---11----12----30.___________________________________जानकारी विशेष -यदि किसी बालक का जन्म गंड मूल(रेवती, अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल) नक्षत्रों में होता है तो नक्षत्र शांति को आवश्यक माना गया है.. आज जन्मे बालकों का नक्षत्र के चरण अनुसार राशिगत नामाक्षर..09.59 AM तक--उ.फाल्गुनी---2----(टो) 03.48 PM तक--उ.फाल्गुनी---3----(प) 09.36 PM तक--उ.फाल्गुनी---4----(पी) 03.32 AM तक---------हस्त---1----(पू) उपरांत रात्रि तक---------हस्त---2----(ष) (पाया-रजत्) __________सभी की राशि कन्या________________________________________________________आज का दिन_____________ व्रत विशेष...................................... नहीं दिन विशेष.... भद्रा. प्रातः 5.42 से 9.23 AMदिन विशेष.......... .झांसी की रानी पुण्य तिथि सर्वा.सि.योग................................... नहीं सिद्ध रवियोग........ रात्रि. 9.36 से रात्रि पर्यंत_____________________________________________________________________________________कल का दिन_____________दिनांक...............................19.06 2021तिथि.................ज्येष्ठ शुक्ला नवमी शनिवार व्रत विशेष.......................................नहीं दिन विशेष.. श्री महेश नवमी (माहेश्वरी समाज) सर्वा.सि.योग................................... नहीं सिद्ध रवियोग................... .संपूर्ण (अहोरात्र) _________________________________________________आज विशेष _____________इस वर्ष का गंगा दशहरा बहुत ही शुभ माना जा रहा है जिस दिन धन प्राप्ति के लिए कर सकते हैं कुछ विशेष उपाय.. ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष के 10 वे दिन को दशमी दशहरा कहते हैं. सनातन धर्म में स्नान, दान हर किसी उपवास त्योहार के साथ इसलिए जोड़ा गया है ताकि पृथ्वी पर इंसानियत और किसी की मदद करने की इच्छा इंसान में हमेशा बनी रहे और पृथ्वी पर सोहार्द और आपस का प्रेम हमेशा बना रहे और व्रत को इसलिए बताया गया है ताकि आपका स्वास्थ उपवास करके अच्छा बना रहे इसलिए इसमें भी स्नान, दान, रूपात्मक व्रत होता है. इस साल गंगा दशहरा 20 जून 2021 को है. इस बार का गंगा दशहरा काफी शुभ माना जा रहा है. इसी दिन गुरु शनि की राशि कुंभ में उल्‍टी चाल से चलने लगेंगे. गुरु को काफी शुभ प्रभाव देने वाला ग्रह माना जाता है. गुरु की स्थिति मजबूत होने पर धन की प्राप्ति होती है. गंगा दशहरा के दिन गुरु वक्री होंगे जिस कारण इस दिन अगर आप धन वृद्धि के उपाय करते हैं तो वह काफी फलदायी साबित होगा. आइए जानते हैं इस दिन धन प्राप्ति के विशेष उपायों के बारे में-गंगाजल से करें ये उपाय- गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान का काफी महत्व होता है. कोरोना काल में अगर आप गंगा नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो आप घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें. इसके बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें. और भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें. इससे घर में धन की वृद्धि होती है..नौकरी में सफलता के लिए- नौकरी या बिजनेस में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो गंगा दशहरा के दिन मिट्टी के मटके का दान करें. दान करते वक्त मटके में ऊपर तक पानी भर लें और उसमें कुछ बूंदे गंगाजल की डालें, इसमें थोड़ी सी चीनी भी डालें. इस मटके में ढक्कन लगाकर किसी जरूरतमंद को दान कर दें. इससे आपको काम में सफलता मिलेगी। कर्ज से मुक्ति पाने के लिए- कर्ज से मुक्ति पाने के लिए गंगा दशहरा के दिन अपनी लंबाई के मुताबिक काला धागा लें और इसे नारियल में लपेटे. इस नारियल को पूजा में रखें और शाम के समय बहते हुए पानी में इसे बहा दें और वापिस घर को लौट आए. इस दौरान पीछे मुड़कर ना देखें। लगाएं ये पेड़- गंगा दशहरा के दिन अनार का पेड़ लगाने से आर्थिक तंगी दूर होती है और माता लक्ष्मी की खास कृपा प्राप्त होती है. अनार के पेड़ को भूलकर भी घर के अंदर ना लगाएं.गंगा दशहरा महापर्व पर पावन गंगा स्तोत्र का पाठ करें.. मां गंगा का आशिर्वाद और कृपा प्राप्ति होगी और मन निर्मल रहेगा.. *श्री गंगा स्तोत्र*देवि सुरेश्वरि भगति गंगे त्रिभुवनतारिणि तरलतरंगे ।शंकरमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले ।।1।।भागीरथि सुखदायिनि मातस्तव जलमहिमा निगमे ख्यात: ।नाहं जाने तव महिमानं पाहि कृपामयि मामज्ञानम ।।2।।हरिपदपाद्यतरंगिणि गंगे हिमविधुमुक्ताधवलतरंगे ।दूरीकुरू मम दुष्कृतिभारं कुरु कृपया भवसागरपारम ।।3।।तव जलममलं येन निपीतं परमपदं खलु तेन गृहीतम ।मातर्गंगे त्वयि यो भक्त: किल तं द्रष्टुं न यम: शक्त: ।।4।।पतितोद्धारिणि जाह्रवि गंगे खण्डितगिरिवरमण्डितभंगे ।भीष्मजननि हेमुनिवरकन्ये पतितनिवारिणि त्रिभुवनधन्ये ।।5।।कल्पलतामिव फलदां लोके प्रणमति यस्त्वां न पतति शोके ।पारावारविहारिणि गंगे विमुखयुवतिकृततरलापांगे ।।6।।तव चेन्मात: स्रोत: स्नात: पुनरपि जठरे सोsपि न जात: ।नरकनिवारिणि जाह्रवि गंगे कलुषविनाशिनि महिमोत्तुंगे ।।7।।पुनरसदड़्गे पुण्यतरंगे जय जय जाह्रवि करूणापाड़्गे ।इन्द्रमुकुट मणिराजितचरणे सुखदे शुभदे भृत्यशरण्ये ।।8।।रोगं शोकं तापं पापं हर मे भगवति कुमतिकलापम ।त्रिभुवनसारे वसुधाहारे त्वमसि गतिर्मम खलु संसारे ।।9।।अलकानन्दे परमानन्दे कुरु करुणामयि कातरवन्द्ये ।तव तटनिकटे यस्य निवास: खलु वैकुण्ठे तस्य निवास: ।।10।।वरमिह: नीरे कमठो मीन: कि वा तीरे शरट: क्षीण: ।अथवा श्वपचो मलिनो दीनस्तव न हि दूरे नृपतिकुलीन: ।।11।।भो भुवनेश्वरि पुण्ये धन्ये देवि द्रवमयि मुनिवरकन्ये ।गंगास्तवमिमममलं नित्यं पठति नरो य: सजयति सत्यम ।।12।।येषां ह्रदये गंगाभक्तिस्तेषां भवति सदा सुख मुक्ति: ।मधुराकान्तापंझटिकाभि: परमानन्द कलितललिताभि:गंगास्तोत्रमिदं भवसारं वांछितफलदं विमलं सारम ।शंकरसेवकशंकरचितं पठति सुखी स्तव इति च समाप्त: ।। *संकलनकर्त्ता* बाल वनिता महिला आश्रम______________________________________________आज का राशिफल__________ मेष-(चू चे चो ला ली लू ले लो अ) आपका व्यक्तित्व आज इत्र की तरह महकेगा और सबको आकर्षित करेगा। ज़रूरत से ज़्यादा ख़र्च करने और चालाकी-भरी आर्थिक योजनाओं से बचें। सामाजिक उत्सवों में सहभागिता का मौक़ा है, जो आपको प्रभावशाली व्यक्तियों के संपर्क में लाएगा। आज के दिन अपने प्रिय की भावनाओं को समझें। लघु व्यवसाय करने वाले इस राशि के जातकों को आज घाटा हो सकता है। हालांकि आपको घबराने की जरुरत नहीं है अगर आपकी मेहनत सही दिशा में है तो आपको अच्छे फल अवश्य मिलेंगे। इस राशि के उम्रदराज जातक आज के दिन अपने पुराने मित्रों से खाली समय में मिलने जा सकते हैं। मुमकिन है कि आज आपका जीवनसाथी ख़ूबसूरत शब्दों में यह बताए कि आप उनके लिए कितने क़ीमती हैं। वृषभ-(इ उ एओ वा वी वू वे वो) आज आपकी ख़ुद को परिष्कृत करने की कोशिश कई तरीक़ों से अपना असर दिखाएगी- आप ख़ुद को बेहतर और आत्मविश्वास से भरा हुआ महसूस करेंगे। जेवर और एंटीक में निवेश फ़ायदेमंद रहेगा और समृद्धि लेकर आएगा। आपका मज़ाकिया स्वभाव आपके चारों ओर के वातावरण को ख़ुशनुमा बना देगा। आपको कार्यक्षेत्र में अच्छे फल पाने के लिए अपने काम करने के तरीके पर गौर करने की जरुरत है नहीं तो बॉस की नजरों में आपकी नकारात्मक छवि बन सकती है। आज ऐसे बर्ताव करें जैसे कि आप ‘सुपर-स्टार’ हैं, लेकिन सिर्फ़ उन चीज़ों की ही प्रशंसा करें जो उसके क़ाबिल हैं। घरेलू मोर्चे पर बढ़िया खाने और गहरी नीन्द का पूरा आनंद आप ले पाएंगे।मिथुन- (क की कू घ ङ छ के को ह) आज किसी दोस्त के साथ ग़लतफ़हमी आपके लिए अप्रिय हालात खड़े कर सकती है, किसी भी फ़ैसले पर पहुँचने से पहले संतुलित नज़रिए से दोनों पक्षों को जाँचें। आपके पिता की कोई सलाह आज कार्यक्षेत्र में आपको धन लाभ करा सकती है. कोई पुराना दोस्त शाम के समय फ़ोन कर पुरानी यादें ताज़ा कर सकता है। आपको अपने प्रिय के साथ समय बिताने की ज़रूरत है, ताकि आप दोनों एक-दूसरे को अच्छी तरह से जान व समझ सकें। आप क़ामयाबी ज़रूर हासिल करेंगे - बस एक-एक करके महत्वपूर्ण क़दम उठाने की ज़रूरत है। शहर से बाहर यात्रा ज़्यादा आरामदेह नहीं रहेगी, लेकिन आवश्यक जान-पहचान बनाने के लिहाज़ से फ़ायदेमंद साबित होगी। आज के दिन कुछ भी करने के लिए अपने साथी पर दबाव न डाले, अन्यथा आपके दिलों में दूरियां आ सकती हैं। कर्क- (ही हू हे हो डा डी डू डे डो) आज आप नफ़रत को दूर करने के लिए संवेदना का स्वभाव अपनाएँ, क्योंकि नफ़रत की आग बहुत ज़्यादा ताक़तवर है और मन के साथ शरीर पर भी बुरा असर डालती है। याद रखें कि बुराई अच्छाई से ज़्यादा आकर्षक ज़रूर दिखाई देती है, लेकिन उसका असर ख़राब ही होता है। आज के दिन धन हानि होने की संभावना है इसलिए लेन-देन से जुड़े मामलों में जितना आप सतर्क रहेंगे उतना ही आपके लिए अच्छा रहेगा। आज आप जिस सामाजिक कार्यक्रम में जाएंगे, वहाँ आप सबके ध्यान का केन्द्र होंगे। आपका प्रेम संबंध आज थोड़ी परेशानी में पड़ सकता है। प्रतिस्पर्धा के चलते काम-काज की अधिकता थकावट भरी हो सकती है। लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं आज आपको इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। बल्कि आज आप खाली समय में किसी से मिलना जुलना भी पसंद नहीं करेंगे और एकांत में आनंदित रहेंगे। आपके और आपके जीवनसाथी के दरमियान कोई अजनबी नोंकझोंक की वजह बन सकता है।सिंह- (मा मी मू मे मो टा टी टू टे) आज आप ख़ुद को ज़्यादा आशावादी बनने के लिए प्रेरित करें। इससे न सिर्फ़ आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और व्यवहार लचीला होगा, बल्कि डर, ईर्ष्या और नफ़रत जैसे नकारात्मक मनोभावों में भी कमी आएगी। अपने अतिरिक्त धन को सुरक्षित जगह पर रखिए, जो आने वाले वक़्त में आप फिर पा सकें। आपको बच्चों या ख़ुद से कम अनुभवी लोगों के साथ धैर्य से काम लेने की ज़रूरत है। अपनी दीवानगी को क़ाबू में रखें, नहीं तो यह आपके प्रेम-संबंध को मुश्किल में डाल सकती है। आज आपके पास अपनी धनार्जन की क्षमता को बढ़ाने के लिए ताक़त और समझ दोनों ही होंगे। कार्यक्षेत्र में किसी काम के अटकने की वजह से आज आपका शाम का कीमती वक्त खराब हो सकता है। अगर आपके जीवनसाथी की सेहत के चलते किसी से मिलने की योजना रद्द हो जाए तो चिंता न करें, आप साथ में अधिक समय व्यतीत कर सकेंगे। कन्या- (टो प पी पू ष ण ठ पे पो) आज के दिन स्वतः ही अपनी चिकित्सा करना आपके लिए घातक सिद्धा होगा। कोई भी औषधि लेने से पहले चिकित्सक की सलाह लें, नहीं तो लेने के देने पड़ सकते हैं। भागीदारी वाले व्यवसायों और चालाकी भरी आर्थिक योजनाओं में निवेश न करें। एक ख़ुशनुमा और बढ़िया शाम के लिए आपका घर मेहमानों से भर सकता है। अगर आपको लगता है कि आपका प्रेमी आपकी बातों को समझ नहीं पाता तो आज उनके साथ वक्त बिताएं और अपनी बातों को स्पष्टता के साथ उनके सामने रखें। आज फ़ायदा हो सकता है, बशर्ते आप अपनी बात भली-भांति रखें और काम में लगन व उत्साह दिखाएँ। किसी भी स्थिति में आपको अपने समय का ख्याल रखना चाहिए याद रखिये अगर समय की कद्र नहीं करेंगे तो इससे आपको ही नुक्सान होगा। आपका जीवनसाथी आपको ज़्यादा ख़ास वक़्त देने वाला है।तुला- (रा री रू रे रो ता ती तू ते) आज दाँत का दर्द या पेट की तक़लीफ़ आपके लिए परेशानी खड़ी कर सकती है। तुरंत आराम पाने के लिए अच्छे चिकित्सक की सलाह लेने में कोताही न बरतें। अपने धन का संचय कैसे करना है यह हुनर आज आप सीख सकते हैं और इस हुनर को सीख कर आप अपना धन बचा सकते हैं। पुराने परिचितों से मिलने-जुलने और पुराने रिश्तों को फिर से तरोताज़ा करने के लिए अच्छा दिन है। प्रेम के दृष्टिकोण से उत्तम दिन है। अपनी कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए नयी तकनीकों का सहारा लें। आपकी शैली और काम करने का नया अन्दाज़ उन लोगों में दिलचस्पी पैदा करेगा, जो आप पर नज़दीकी से ग़ौर करते हैं। खेलकूद जीवन का जरुरी हिस्सा है लेकिन खेलकूद में इतने भी व्यस्त न हो जाएं कि आपकी पढ़ाई में कमी आ जाए। जीवन साथी के स्वास्थ्य को लेकर आप चिंतित रह सकते हैं।वृश्चिक- (तो ना नी नू ने नो या यी यू) आज के दिन मौज-मस्ती की यात्राएं और सामाजिक मेलजोल आपको ख़ुश रखेंगे और सुकून देंगे। अगर आप घर से बाहर रहकर जॉब या पढ़ाई करते हैं तो ऐसे लोगों से दूर रहना सीखें जो आपका धन और समय बर्बाद करते हैं। दोस्त और जीवनसाथी आपके लिए सुकून और ख़ुशी लेकर आएंगे, नहीं तो आपका दिन बुझा-बुझा और दौड़-भाग से भरा रहेगा। आज अचानक किसी से आपकी रोमांटिक मुलाक़ात हो सकती है। कार्यालय में सबकुछ आपके पक्ष में जाता नज़र आ रहा है। परोपकार और सामाजिक कार्य आज आपको आकर्षित करेंगे। अगर आप ऐसे अच्छे कामों में थोड़ा समय लगाएँ, तो काफ़ी सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। आपका जीवनसाथी आज काफ़ी अच्छे मिज़ाज में है।धनु-ये यो भा भी भू धा फा ढ़ा भे) आज आप अपनी सेहत का विशेष ख़याल रखें। अपने जीवनसाथी केे साथ धन से जुड़े किसी मामले को लेकर आज आपका झगड़ा हो सकता है। हालांकि अपने शांत स्वभाव से आप सबकुछ ठीक कर देंगे। घर में कुछ बदलाव आपको काफ़ी भावुक बना सकते हैं, लेकिन आप अपनी भावनाएँ उनके सामने ज़ाहिर करने में क़ामयाब रहेंगे जो आपके लिए ख़ास हैं। आपके प्रिय का डांवाडोल मिज़ाज आपको परेशान कर सकता है। दफ़्तर में जिसके साथ आपकी सबसे कम बनती है, उससे अच्छी बातचीत हो सकती है। कार्यक्षेत्र में किसी काम के अटकने की वजह से आज आपका शाम का कीमती वक्त खराब हो सकता है। वैवाहिक जीवन में कुछ चीज़ें हाथ से निकलती हुई मालूम होंगी।मकर- (भो जा जी खी खू खे खो गा गी) काम का बोझ आज कुछ तनाव और खीज की वजह बन सकता है। दिन चढ़ने पर वित्तीय तौर पर सुधार आएगा। अपने दोस्तों को अपने उदार स्वभाव का ग़लत फ़ायदा न उठाने दें। वरिष्ठों का सहयोग और तारीफ़ आपके आत्मविश्वास और उत्साह को दोगुना कर देंगे। कोई रोचक मैगजीन या उपन्यास पढ़ के आजके दिन को आप अच्छी तरह से व्यतीत कर सकते हैं। कोई पुराना दोस्त अपने साथ आपके जीवनसाथी के पुराने यादगार क़िस्से लेकर आ सकता है।कुंभ- (गू गे गो सा सी सू से सो द) आज आप पेचीदा हालात में फँसने पर घबराएँ नहीं। जैसे खाने में थोड़ा-सा तीखापन उसे और भी स्वादिष्ट बना देता है, उसी तरह ऐसी परिस्थितियाँ आपको ख़ुशियों की सही क़ीमत बताती हैं। अपना मूड बदलने के लिए किसी सामाजिक आयोजन में शिरकत करें। जमीन या किसी प्रॉपर्टी में निवेश करना आज आपके लिए घातक हो सकता है जितना हो सके इन चीजों में निवेश करने से बचें। जितना आपने सोचा था, आपका भाई उससे ज़्यादा मददगार साबित होगा। आज आपको निराशा हाथ लग सकती है, क्योंकि मुमकिन है कि आप अपने प्रिय के साथ सैर-सपाटे पर न जा पाएँ। आज कार्यक्षेत्र में आपकेी ऊर्जा घर के किसी मसले को लेकर कम रहेगी। इस राशि के कारोबारियों को आज के दिन अपने साझेदारों पर नजर बनाए रखने की जरुरत है, वो आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं। आपको अपने घर के छोटे सदस्यों के साथ वक्त बिताना सीखना चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप घर में सद्भाव बना पानेमें कामयाब नहीं हो पाएंगे. दिन में जीवनसाथी के साथ बहस के बाद एक बेहतरीन शाम गुज़रेगी। मीन- (दी दू थ झ ञ दे दो च ची) आज आप उन विशेष भावनाओं को पहचानें, जो आपको प्रेरित करती हैं। डर, शंका और लालच जैसी नकारात्मक भावनाओं को छोड़ें, क्योंकि ये विचार उन चीज़ों को आकर्षित करते हैं, जो आप नहीं चाहते हैं। व्यापार में आज अच्छा खास मुनाफा होने की संभावना है। आज के दिन आप अपने बिजनेस को नई ऊंचाईयां दे सकते हैं। अपने घर के वातावरण में कुछ बदलाव करने से पहले आपको सभी की राय जानने की कोशिश करनी चाहिए। आपको प्यार में ग़म का सामना करना पड़ सकता है। तनख़्वाह में बढ़ोतरी आपको उत्साह से भर सकती है। यह वक़्त अपनी सभी निराशाओं और परेशानियों को मिटाने का है। दिन को कैसे अच्छा बनाया जाए इसके लिए आपको अपने लिए भी समय निकालना सीखना होगा। आपके और आपके जीवनसाथी के बीच कोई बाहरी व्यक्ति दूरी पैदा करने की कोशिश कर सकता है, लेकिन आप दोनों चीज़ें संभाल लेंगे। __________________________________ 🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️ - बाल वनिता महिला आश्रम 🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️__________________________________

🏵️🕉️शुभ शुक्रवार🌺शुभ प्रभात् 🕉️🏵️ 2078-विजय श्री हिंदू पंचांग-राशिफल-1943     🏵️-आज दिनांक🌻18.06.2021-🏵️    By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब        74.30 - रेखांतर मध्यमान - 75.30         शिक्षा नौकरी आजीविका प्रेम विवाह भाग्योदय      (प्रामाणिक जानकारी--प्रभावी समाधान)  --------------------------------------------------------- -विभिन्न शहरों के लिये रेखांतर(समय) संस्कार-        (लगभग-वास्तविक समय के समीप)  दिल्ली +10मिनट---------जोधपुर -6 मिनट जयपुर +5 मिनट------अहमदाबाद-8 मिनट कोटा +5 मिनट-------------मुंबई-7 मिनट लखनऊ +25 मिनट------बीकानेर-5 मिनट कोलकाता +54 मिनट-जैसलमेर -15 मिनट ___________________________________ _____________आज विशेष_____________  गंगा दशहरा और धनलाभ संबंधी सहज उपाय ____________________________________                             ...

#केतु_का_उपाय By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब।।#जिन्दा_मच्छली_कटने_से_बचा_लो।।#नमस्कार_मित्रों।।।#एक्सपेरिमेंटल।।।कुछ दिन पहले एक मित्र जी से उनकी केतु महादशा के बारे में बातचीत हो रही थी।।उनका #चतुर्थ_भाव_में_केतु था।।केतु की महादशा में उनको बहुत परेशानी फेस होने लगी।।एक दिन वो मच्छली खरीदने मच्छली मार्केट में गये थे।।वहाँ कसाई ने पानी में से एक जिन्दा मच्छली निकाली और उसे काटने लगा।।मित्र जी बोले, रुको भाई इसे जिन्दा ही दे दो।।जो पैसे बनते हैं वो ले लो।।कसाई ने तोल के पैसे बताये तो मित्र जी पॉलीथिन के लिफाफे में पानी भर के उस मच्छली को ले आये और नदी में जिन्दा ही छोड़ दिया।।।मित्र जी ने कहीं पढ़ा था कि मच्छली राहु-केतु से सम्बन्धित जीव है।।उस दिन उनके मन में ये विचार आया था कि इस जीव को ना मारना है ना खाना है।।इसलिए वो जिन्दा मच्छली ले आये थे।।।मच्छली को जिन्दा ही नदी में छोड़ दिया और उस दिन के बाद उनको थोड़ा पॉजिटिव फील हुआ।।अगले हफ्ते मूड बनाकर गये कि अब वैसे ही मच्छली खरीदनी है जो जिन्दा हो और कटने वाली हो।बाल वनिता महिला आश्रम।मच्छली मार्केट में सभी मच्छलियाँ कटनी ही हैं,इसलिए कोई भी जिन्दा मच्छली मिल जाएगी।।।इसके बाद हर हफ्ते वो मच्छली मार्केट जाते और एक जिन्दा मच्छली खरीदकर उसे नदी में छोड़ आते।।उनकी प्रॉब्लम्स काफी ज्यादा सॉल्व हुई।।कुछ टाइम बाद कंडीशन्स ऐसी बनी कि मच्छली मार्केट जाने का समय नहीं बचने लगा क्योंकि काम अच्छे से चलने लगा था।।उन्होंने घर में ही मच्छली का #एक्वेरियम रख लिया और 3-4 मच्छलियाँ पाल ली।।उसके बाद केतू की महादशा में उन्हें काफी अच्छे रिजल्ट्स मिलने लगे।।वो पूजा पाठ भी जारी रखते थे, इसलिए पूजा पाठ का भी इफेक्ट पड़ता है।

#केतु_का_उपाय By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब । । #जिन्दा_मच्छली_कटने_से_बचा_लो। । #नमस्कार_मित्रों। । । #एक्सपेरिमेंटल। । । कुछ दिन पहले एक मित्र जी से उनकी केतु महादशा के बारे में बातचीत हो रही थी। । उनका #चतुर्थ_भाव_में_केतु था। । केतु की महादशा में उनको बहुत परेशानी फेस होने लगी। । एक दिन वो मच्छली खरीदने मच्छली मार्केट में गये थे। । वहाँ कसाई ने पानी में से एक जिन्दा मच्छली निकाली और उसे काटने लगा। । मित्र जी बोले, रुको भाई इसे जिन्दा ही दे दो। । जो पैसे बनते हैं वो ले लो। । कसाई ने तोल के पैसे बताये तो मित्र जी पॉलीथिन के लिफाफे में पानी भर के उस मच्छली को ले आये और नदी में जिन्दा ही छोड़ दिया। । । मित्र जी ने कहीं पढ़ा था कि मच्छली राहु-केतु से सम्बन्धित जीव है। । उस दिन उनके मन में ये विचार आया था कि इस जीव को ना मारना है ना खाना है। । इसलिए वो जिन्दा मच्छली ले आये थे। । । मच्छली को जिन्दा ही नदी में छोड़ दिया और उस दिन के बाद उनको थोड़ा पॉजिटिव फील हुआ। । अगले हफ्ते मूड बनाकर गये कि अब वैसे ही मच्छली खरीदनी है जो जिन्दा हो और कटने वाली हो। बाल वनिता महिला आश्रम । मच्छ...

केदारनाथ को क्यों कहते हैं ‘जागृत महादेव’ ? दो मिनट की ये कहानी रौंगटे खड़े कर देगी!By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबएक बार एक शिव-भक्त अपने गांव से केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) की यात्रा पर निकला। पहले के ज़माने में यातायात सुविधाएँ ना होने के कारण, वह पैदल ही निकल पड़ा। रास्ते में उसे जो भी मिलता उससे केदारनाथ का मार्ग पूछ लेता और मन में भगवान शिव (Shiv) का ध्यान करता रहता। चलते-चलते उसको महीनो बीत गए। आखिरकार एक दिन वह केदारनाथ धाम (Kedarnath Temple) पहुच ही गया। केदारनाथ में मंदिर के द्वार 6 महीने खुलते है और 6 महीने बंद रहते है। वह उस समय पर पहुचा जब मन्दिर के द्वार बंद हो रहे थे। पंडित जी को उसने बताया वह बहुत दूर से महीनो की यात्रा करके आया है। उसने पंडित जी से प्रार्थना की – कृपा कर के दरवाजे खोलकर मुझे प्रभु के दर्शन करवा दीजिये। लेकिन वहां का तो नियम है एक बार बंद तो बंद और नियम तो नियम होता है। वह बहुत रोया। बार-बार भगवान शिव को याद किया, कि प्रभु बस एक बार दर्शन करा दो। वह सभी से प्रार्थना कर रहा था, लेकिन किसी ने भी उसकी एक नही सुनी।पंडित जी बोले अब यहाँ 6 महीने बाद आना, 6 महीने बाद यहा के दरवाजे खुलेंगे। यहाँ 6 महीने बर्फ और ढंड पड़ती है। यह कह कर सभी वहा से चले गये। लेकिन वह वहीं पर रोता रहा। रोते-रोते रात होने लगी और चारों तरफ अँधेरा हो गया। लेकिन उसे अपने शिव पर पूरा विश्वाश था, कि वो जरुर कृपा करेगे। उसे बहुत भुख और प्यास भी लग रही थी। तभी उसने किसी की आने की आहट सुनी। देखा एक सन्यासी बाबा उसकी ओर आ रहा है। वह सन्यासी बाबा उस के पास आकर बैठ गया। पूछा – बेटा कहाँ से आये हो ? उसने अपना सारा हाल सुना दिया और बोला मेरा यहाँ आना व्यर्थ हो गया बाबा जी। सन्यासी बाबा ने उसे समझाया, खाना भी दिया और बहुत देर तक उससे बाते करते रहे। सन्यासी बाबा को उस पर दया आ गयी। वह बोले, बेटा मुझे लगता है, सुबह मन्दिर जरुर खुलेगा। तुम दर्शन जरुर करोगे।इन्ही बातों-बातों में उस भक्त को ना जाने कब नींद आ गयी। सूर्य के मद्धिम प्रकाश के साथ भक्त की आँख खुली। उसने इधर उधर बाबा को देखा, किन्तु वह कहीं नहीं थे। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता उसने देखा पंडित जी अपनी पूरी मंडली के साथ आ रहे है। उसने पंडित को प्रणाम किया और बोला – कल तो आप ने कहा था, कि अब मन्दिर 6 महीने बाद खुलेगा ? और इस बीच कोई यहाँ पर नहीं आएगा, लेकिन आप तो सुबह ही आ गये। पंडित जी ने उसे गौर से देखा, पहचानने की कोशिश की और पुछा – तुम वही हो ना जो मंदिर का द्वार बंद होने पर आये थे और मुझे मिले थे। 6 महीने होते ही वापस आ गए ! भक्त ने आश्चर्य से कहा – नही, मैं कहीं नहीं गया। कल ही तो आप मिले थे रात में, मैं यहीं सो गया था। मैं कहीं नहीं गया।Kedarnath-MahadevKedarnath-Mahadevपंडित जी के आश्चर्य का ठिकाना नहीं था। उन्होंने कहा – लेकिन मैं तो 6 महीने पहले मंदिर बन्द करके गया था और आज 6 महीने बाद आया हूँ। तुम छः महीने तक यहाँ पर जिन्दा कैसे रह सकते हो ? पंडित जी और सारी मंडली हैरान थी। इतनी सर्दी में एक अकेला व्यक्ति कैसे छः महीने तक जिन्दा रह सकता है। तब उस भक्त ने उनको सन्यासी बाबा के मिलने और उसके साथ की गयी सारी बाते बता दी, कि एक सन्यासी मंदिर के पट बंद होने के बाद यहाँ आया था – लम्बा, बढ़ी-बढ़ी जटाये, एक हाथ में त्रिशुल और एक हाथ में डमरू लिए और मृग-शाला पहने हुआ था। पंडित जी और सब लोग उसके चरणों में गिर गये। बोले, हमने तो जिंदगी लगा दी किन्तु प्रभु के दर्शन ना पा सके, सच्चे भक्त तो तुम हो। तुमने तो साक्षात भगवान शिव के दर्शन किये है। उन्होंने ही अपनी योग-माया से तुम्हारे 6 महीने को एक रात में परिवर्तित कर दिया। काल-खंड को छोटा कर दिया। यह सब तुम्हारे पवित्र मन, तुम्हारी श्रद्वा और विश्वास के कारण ही हुआ है। हम आपकी भक्ति को प्रणाम करते हैं!

केदारनाथ को क्यों कहते हैं ‘जागृत महादेव’ ? दो मिनट की ये कहानी रौंगटे खड़े कर देगी! By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब एक बार एक शिव-भक्त अपने गांव से केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) की यात्रा पर निकला। पहले के ज़माने में यातायात सुविधाएँ ना होने के कारण, वह पैदल ही निकल पड़ा। रास्ते में उसे जो भी मिलता उससे केदारनाथ का मार्ग पूछ लेता और मन में भगवान शिव (Shiv) का ध्यान करता रहता। चलते-चलते उसको महीनो बीत गए। आखिरकार एक दिन वह केदारनाथ धाम (Kedarnath Temple) पहुच ही गया। केदारनाथ में मंदिर के द्वार 6 महीने खुलते है और 6 महीने बंद रहते है। वह उस समय पर पहुचा जब मन्दिर के द्वार बंद हो रहे थे। पंडित जी को उसने बताया वह बहुत दूर से महीनो की यात्रा करके आया है। उसने पंडित जी से प्रार्थना की – कृपा कर के दरवाजे खोलकर मुझे प्रभु के दर्शन करवा दीजिये। लेकिन वहां का तो नियम है एक बार बंद तो बंद और नियम तो नियम होता है। वह बहुत रोया। बार-बार भगवान शिव को याद किया, कि प्रभु बस एक बार दर्शन करा दो। वह सभी से प्रार्थना कर रहा था, लेकिन किसी ने भी उसकी एक नही सुनी। पंडित जी बोले अब यहाँ 6 महीने बाद आन...

अष्टकूट विचार या गुण मिलान-By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबमेलापाक में अष्टकूट तत्वों का विशेष महत्व है, वर-कन्या के दांपत्य जीवन को सुखी व मंगलमय बनाने के लिए उनके जन्म नक्षत्रों एंव जन्म कुण्डलियों द्वारा मिलान करना अत्यन्त आवश्यक है |बाल वनिता महिला आश्रमउपयुक्त मिलान न होने की स्थिति में पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन में विचार वैमनस्य, संतान कष्ट, वैधव्य पारिवारिक कष्ट होने की संभावनाएं हो जाती हैं | नक्षत्र मिलान के मुख्य तत्व अष्टकूट हैं | अष्ट (आठ) कूटों का निर्ण़ वर-कन्या के जन्म नक्षत्रों से किया जाता है | अष्टकूटों में आठ कूट निम्नलिखित हैं -1) वर्ण 2) वश्य 3) तारा 4) योनि 5) ग्रहमैत्री. 6) गणमैत्री 7) भकूट 8) नाडी़अष्टकूटों में गुणों का योग 36 होता है | क्रमानुसार वर्ण का 1 गुण, वश्य के 2 गुण, तारा के 3 गुण, योनि के 4 गुण, ग्रहमैत्री के 5 गुण, गणमैत्री के 6 गुण, भकूट के 7 गुण एंव नाडी़ के 8 गुण जानने चाहिए |कुल 36 गुणों के योग में से 1 से 17 तक गुण मिलान तुच्छ व त्याज्य माने जाते हैं, 18 से 21 तक मध्यम एंव ग्राह्य और 22 से 28 तक उत्तम तथा 29 से 36 तक गुण सर्वोत्कृष्ट मिलान माना जाता है |18 गुण अर्थात 50% अंक मिलने पर ठीक ही समझा जाता है| ये गुण अधिक होने पर भी नाडी़ गण आदि बड़े दोषों को दूर नहीं कर सकते | अतः गुण की संख्या से पूर्व अष्टकूट विचार को महत्व दिया जाना चाहिए|

अष्टकूट विचार या गुण मिलान- By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब मेलापाक में अष्टकूट तत्वों का विशेष महत्व है, वर-कन्या के दांपत्य जीवन को सुखी व मंगलमय बनाने के लिए उनके जन्म नक्षत्रों एंव जन्म कुण्डलियों द्वारा मिलान करना अत्यन्त आवश्यक है | बाल वनिता महिला आश्रम उपयुक्त मिलान न होने की स्थिति में पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन में विचार वैमनस्य, संतान कष्ट, वैधव्य पारिवारिक कष्ट होने की संभावनाएं हो जाती हैं | नक्षत्र मिलान के मुख्य तत्व अष्टकूट हैं | अष्ट (आठ) कूटों का निर्ण़ वर-कन्या के जन्म नक्षत्रों से किया जाता है | अष्टकूटों में आठ कूट निम्नलिखित हैं - 1) वर्ण 2) वश्य 3) तारा 4) योनि 5) ग्रहमैत्री. 6) गणमैत्री 7) भकूट 8) नाडी़ अष्टकूटों में गुणों का योग 36 होता है | क्रमानुसार  वर्ण का 1 गुण,  वश्य के 2 गुण,  तारा के 3 गुण,  योनि के 4 गुण,  ग्रहमैत्री के 5 गुण,  गणमैत्री के 6 गुण,  भकूट के 7 गुण एंव  नाडी़ के 8 गुण जानने चाहिए | कुल 36 गुणों के योग में से 1 से 17 तक गुण मिलान तुच्छ व त्याज्य माने जाते हैं, 18 से 21 तक मध्यम एंव ग...

. * हमारा शुक्र * By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* लग्न : व्यक्ति अत्यंत बुद्धिमान होगा, विपरीत लिंगी जातक उसकी ओर आकर्षित होंगे, यह शारीरिक श्रम बिल्कुल नहीं करना चाहेगा, यह उत्तम वक्ता, व स्वभाव से कलात्मक होगा, स्त्रियों से लाभ प्राप्त करेगा, इसके जीवन का उद्देश्य ही ऐश्वर्य भोग है* द्वितीय : द्वितीय स्थान गत शुक्र सर्वोत्तम फल प्रदान करता है, जातक मृदुभाषी, विद्वान, संपत्तिवान व धैर्यवान होगा, पैतृक संपत्ति प्राप्त करेगा, यदि शुक्र बली हो तो सुंदर मुखाकृति, मधुर वाणी व दांत भी सुंदर होते हैं, पीड़ित हो तो असमान दंत पंक्ति, कमजोर दृष्टि व पायरिया भी होता है, कन्या व कुंभ लग्न के लिए द्वितीय का शुक्र वरदान है* तृतीय : शुक्र ललित कलाओं में रुझान देता है, व्यक्ति चित्रकार या मूर्तिकार हो सकता है, उच्च हो तो व्यक्ति अत्यंत धनवान होता है, अन्यथा सामान्य भाग्यशाली होता है, रतिक्रिया मेे जातक की रुचि होती है, मंगल से युत हो तो विकृत सोच देता है, पीड़ित शुक्र आंशिक नपुंसकता दे सकता है ऐसे व्यक्ति पर पत्नी का शासन चलता है* चतुर्थ : चतुर्थ स्थान मेे शुक्र समस्त ऐश्वर्य प्रदान करता है, सुंदर व महंगी कार, महंगे कपड़े, सुंदर घर आदि का उपभोग करता है, ऐसा व्यक्ति प्रन्नचित्त, उत्साही व मनोहर व्यक्तित्व का धनी होता है, शिक्षा बैंकिंग से संबंधित हो सकती है* पंचम : पंचम स्थान मेे बली व शुभ शुक्र कन्या संतति, धन, ऐश्वर्य, सुख, वाक कला, प्रतिष्ठा, व्यावसायिक गुण प्रदान करता है, यदि शुभ चन्द्र से संबंध बनाए तो जातक उद्योगपति तथा सरकार से लाभ प्राप्त करता है* षष्ठ : शुक्र यदि षष्ठ स्थान मेे बली हो तो जातक ज्ञानी, बुद्धिमान, उदार व शुभ कर्मों पर व्यय करने वाला होगा, यदि यह दशमेश से युत हो तो ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय करेगा, सूर्य या चन्द्र से युत व अशुभ क्रूर दृष्ट हो तो आंखों मेे समस्या देगा, दंत रोग देगा, मंगल से युत हो तो वाहन दुर्घटना देता है* सप्तम : सप्तम स्थान गत शुक्र जातक को यौनाचार में कुशल एवं बहुधा चरित्रहीन बना देता है, यदि शुक्र सप्तम में मंगल की राशि में हो तो जीवन साथी की आयु कम करता है, यदि शुक्र सप्तम में हो और द्वितीय स्थान को क्रूर ग्रह दृष्ट करें तो जातक को एक से अधिक विवाह देता है* अष्टम : अष्टम स्थान का शुक्र सरकारी नौकरी देता है, व्यक्ति आस्तिक होगा, धन संग्रह करेगा तथा जीवन में सुख साधन संपन्न होगा, जातक यात्रा प्रिय होगा, चछती आंत में विकार दे सकता है, यदि पाप प्रभाव मेे हो तो अशुभ फल करेगा* नवम : नवम स्थान मेे शुक्र अत्यंत शुभ होता है, यह ईश्वर भक्ति व गुरु का आदर दर्शाता है, पत्नी व संतान से सुख प्राप्त करता है* दशम : दशम मेे शुक्र यदि शुभ दृष्ट व उच्च हो तो व्यक्ति उच्च अधिकारी बनता है, ऐसे व्यक्ति शिल्पी, डिजाइनर, इंटीरियर डेकोरेटर, रत्न या सौंदर्य से संबंधित वस्तुओं का निर्माण या विक्रय करता है, इनकी रुचि ट्रांसपोर्टेशन मेे भी होती है* एकादश : भोग विलास का कारक शुक्र यदि एकादश स्थान मेे स्थित हो सभी प्रकार के भौतिक सुख, धन, आनंद, सुविधाएं, नौकर आदि प्रदान करेगा तथा स्वभाव मेे श्रेष्ठता देगा* द्वादश : द्वादश स्थान मेे शुक्र अति शुभ होता है, व्यक्ति धनी होने के साथ साथ अपव्ययी नहीं होता है, द्वादश स्थान मेे मीन राशि गत शुक्र सर्वतोमुखी ऐश्वर्य प्रदान करता है, निर्बल शुक्र नेत्र विकार देता है, व्यवसाय के लिए शुभ नहीं होता है, मंगल से संयोग कामवासना के प्रति विकृत सोच देता है** शुक्र यदि निर्बल व पीड़ित हो तो मां दुर्गा की आराधना से अनुकूलता प्राप्त होती है** यह फलादेश काल पुरुष की कुंडली व कारकत्व पर आधारित है, जरूरी नहीं कि आपकी कुंडली पर सत्य हो

. * हमारा शुक्र * By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब * लग्न : व्यक्ति अत्यंत बुद्धिमान होगा, विपरीत लिंगी जातक उसकी ओर आकर्षित होंगे, यह शारीरिक श्रम बिल्कुल नहीं करना चाहेगा, यह उत्तम वक्ता, व स्वभाव से कलात्मक होगा, स्त्रियों से लाभ प्राप्त करेगा, इसके जीवन का उद्देश्य ही ऐश्वर्य भोग है * द्वितीय : द्वितीय स्थान गत शुक्र सर्वोत्तम फल प्रदान करता है, जातक मृदुभाषी, विद्वान, संपत्तिवान व धैर्यवान होगा, पैतृक संपत्ति प्राप्त करेगा, यदि शुक्र बली हो तो सुंदर मुखाकृति, मधुर वाणी व दांत भी सुंदर होते हैं, पीड़ित हो तो असमान दंत पंक्ति, कमजोर दृष्टि व पायरिया भी होता है, कन्या व कुंभ लग्न के लिए द्वितीय का शुक्र वरदान है * तृतीय : शुक्र ललित कलाओं में रुझान देता है, व्यक्ति चित्रकार या मूर्तिकार हो सकता है, उच्च हो तो व्यक्ति अत्यंत धनवान होता है, अन्यथा सामान्य भाग्यशाली होता है, रतिक्रिया मेे जातक की रुचि होती है, मंगल से युत हो तो विकृत सोच देता है, पीड़ित शुक्र आंशिक नपुंसकता दे सकता है ऐसे व्यक्ति पर पत्नी का शासन चलता है * चतुर्थ : चतुर्थ स्थान म...