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क्या ग्रह नक्षत्र हमारा भविष्य तय करते हैं? बाल वनिता महिला वृद्ध की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब आश्रम संगरिया राजस्थान द्वाराआकाश में हजारों लाखों मील दूर स्थित ग्रह नक्षत्रों का प्रभाव मनुष्यों के विचारों पर पड़ता है, जिससे उनका कार्य निर्धारण होता है, इन कार्यों के फलस्वरूप वर्तमान और भविष्य बन जाता है।यह सिद्ध हो चुका है कि विचार मस्तिष्क में पैदा नही होते बल्कि ये ब्रह्मांड से आते है।कुछ लोग ज्योतिष के प्रश्नों पर आकर यह लिखते हैं कि वह ग्रह नक्षत्र के प्रभाव को नहीं मानता, तो मैं यह उनसे पूछना चाह रहा हूं कि आप नहीं मानते हैं, कोई बात नहीं, जो लोग मानते हैं उन्हें मानने दीजिए। जो जिस चीज को सही मानता है, वह मानता रहेगा और जो नहीं मानता है, वह कभी नहीं मानेगा यह भी ग्रह प्रभाव के अंतर्गत आता है। इस उत्तर का मूल स्रोत है ज्योतिष जगत का मेरा ज्ञान। चित्र सोर्स है गूगल इमेजेस।

क्या ग्रह नक्षत्र हमारा भविष्य तय करते हैं? बाल वनिता महिला वृद्ध की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब आश्रम संगरिया राजस्थान द्वारा आकाश में हजारों लाखों मील दूर स्थित ग्रह नक्षत्रों का प्रभाव मनुष्यों के विचारों पर पड़ता है ,  जिससे उनका कार्य निर्धारण होता है, इन कार्यों के फलस्वरूप वर्तमान और भविष्य बन जाता है। यह सिद्ध हो चुका है कि  विचार मस्तिष्क में पैदा नही होते बल्कि ये ब्रह्मांड से आते है। कुछ लोग ज्योतिष के प्रश्नों पर आकर यह लिखते हैं कि वह ग्रह नक्षत्र के प्रभाव को नहीं मानता, तो मैं यह उनसे पूछना चाह रहा हूं कि  आप नहीं मानते हैं, कोई बात नहीं, जो लोग मानते हैं उन्हें मानने दीजिए । जो जिस चीज को सही मानता है, वह मानता रहेगा और जो नहीं मानता है, वह कभी नहीं मानेगा यह भी ग्रह प्रभाव के अंतर्गत आता है। इस उत्तर का मूल स्रोत है ज्योतिष जगत का मेरा ज्ञान। चित्र सोर्स है गूगल इमेजेस।

।।ॐ नमः शिवाय।।-------------+++---------------++++---------By smajsevi Vnita kasnia PunjabAapka bhi parivar टूट रहा हो बिखर रहा हो तो आप आज का यह प्रयोग यह उपाय अवश्य करें इस प्रयोग का असर इसका चमत्कार आप तुरंत दिखेगा।यदि आपके घर मे रोज लड़ाई झगड़े मारपीट एक तरह से दिनचर्या बन चुका है ऐसा तमाशा आपके घर रोज होने लग गया है और अब आपका परिवार टूटने लगा बिखरने लगा है।तो आज का यह प्रयोग आपके घर आपके परिवार के लिए एक वरदान सिद्ध होगा।आपको करना क्या है----------किसी भी शनिवार के दिन आपके घर जितने भी सदस्य हैं उन सभी के पुराने कपड़े का छोटा छोटा टुकड़ा आपको ले लेना है। जिस बच्चे का उम्र दस वर्ष से नीचे है उनके कपड़े आपको नही लेनी है।अब आप किसी पंसारी की दुकान पर जाएं और वँहा से ले आएं कुटम्बी जाल और अब जो कपड़े आपने लिया पुराने कपड़े घर के सदस्यों का उन कपड़ो को एक के ऊपर एक रखकर अब सबसे ऊपर इस कुटम्बी जाल को रख देना है।अब कलावे से इन सबको लपेट देना है इस प्रयोग को शनिवार को करना है शनिवार सुबह सात बजे से रात दस बजे तक आप यह कर सकते हैं।अब इसमें सिंदूर की पांच टिका तिलक इसपर लगाएंगे जो इत्र आपके पास हो थोड़ा सा इसपर इत्र डाल दें। अब इस पोटली को ले कर अपने पूजन कक्ष में जाएं और किसी भी देवी देवता के मूर्ति फोटो के पीछे रख दें।ध्यान रहे साफ सफाई करते वक्त कोई इसे निकाल कर कंही फेंक न दे इसे 21 दिनों तक दोबारा हाथ भी नही लगाना है फिर 22वे दिन इसे किसी नदी तालाब नहर कुंआ सरोवर में ले जाकर विषर्जन करें।यदि आपके यंहा कुंआ नहर नदी सरोवर तालाब नही है तो ऐसे लोग इसे किसी भी नीम या आम के वृक्ष के नीचे जमीन को गढ्ढा खोदकर गड़ा देंगे।इस प्रयोग का रिजल्ट आपको 1 से 2 दिनों के भीतर देखने को मिलेगा सब आपस मे मिलजुलकर रहने लगेंगे।।इस प्रयोग को करने के पश्चात जो परिणाम आपको मिलेगा उससे हमे अवगत अवश्य कराइये।।धन्यवादॐ नमः शिवाय।।ॐ क्लीं कृष्णाय

यदि घर कलह से हैं परेशान तो ये 7 उपाय जिंदगी को बनाएंगे आसानBy समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब1- रात्रि को सोने से पहले किसी पीतल के बर्तन में कपूर लेकर उसे गाय के शुद्ध घी में डुबोकर जला दें। इस उपाय से घर के क्लेश का नाश होता है तथा घर में शांति आती है।2- यदि पति-पत्नी में क्लेश रहता है, तो पत्नी रात को सोते समय बिना टोके कुछ कपूर पति के तकिये की नीचे रख दे और सुबह बिना टोके उसे जला दे। इसके पश्चात् राख को बहते हुए पानी में प्रवाहित कर दे। इस उपाय से आपस में शांति बनी रहेगी तथा प्रेम बढ़ेगा।3- घर की कलह को दूर करने के लिए गृह स्वामी को पीपल के वृक्ष की सेवा करनी चाहिए। साथ ही पीपल के पौधे को रोपना और एक बड़े पेड़ में तब्दील होने तक उसकी निरंतर देखभाल करना चाहिए।4- घर के अंदर सप्ताह में किसी एक दिन कपूर जलाकर उसका धुंआ घर में देने से गृह क्लेश नहीं होता तथा घर में शांति का वास रहता है।5- रविवार के दिन उपले पर कपूर और गुड़ रखकर उस पर थोड़ा घी डाल कर जलाएं। इस उपाय से आपके घर की नकारात्मक ऊर्जाएं दूर होंगी।6- मंगलवार के दिन हनुमान जी के समक्ष पंचमुखी दीप प्रज्ज्वलित करें और अष्टगंध जलाकर उसकी सुगंध पूरे घर में फैलाएं। घर में सकारात्मक ऊर्जा का निवास होगा।7- घर के सभी छोटे बड़ों की समान रूप से इज्जत करनी चाहिए और उनके द्वारा कही बातों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। नाम बाल वबाल वनिता महिला आश्रम

ग्रह ठीक ना कर सको तो गृह ठीक करो जिंदगी बदले गीआओ बताती हूं किस तरह जिंदगी की सारी मुश्किलें हल हो जाएंगी, जिंदगी किस तरह से सुख संपदा से गुजरेगी By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबअगर आपके पास कुंडली नहीं है, अगर आप की कुंडली के ज्यादातर ग्रह पस्त हैं शनि ग्रह अस्त है। बहुत अनुष्ठान करा लिए, सही ज्योतिषाचार्य सही, गुरु या सही साधक नहीं मिला तो उसके बावजूद जिंदगी कैसे अच्छी होगी खुशियां कैसे आएंगी, आगे पढ़ो बताती हूं हमारी कुंडली में 12 खाने हैं पर भौतिक ग्रह 7 और छाया ग्रह 2 तो तीन खाने जो खाली हैं। वह किसके हैं बड़े महत्वपूर्ण और यही तीन खाने ऐसे हैं जो खुद आपके हाथ में हैं, इन तीन खानों में आप खुद ही कृष्ण और खुद ही अर्जुन बन सकते हो, खुद ही पीड़ित और खुद ही ज्योतिष बन सकते हो अपनी जिंदगी को खुद पलट कर रख सकते हो। नौ ग्रहों के 9 खानों के बाद दसवां खाना है दसवें ग्रह का वह है धरती ग्रह है, जिसे हम गिनते नहीं, उसमें आपका आता है कर्म और आपके शरीर में महत्वपूर्ण अंग अंगूठा, हमारा शरीर धरती के 3 मुख्य तत्वों से बना है जिनमें से वायु मिट्टी और पानी बाकी दो तत्व आकाशीय है अग्नि और आकाश हम जब भी ध्यान लगाते हैं खुद को बैलेंस करने के लिए तो जो ग्रह खराब है उसी की उंगली हम अंगूठे पर रखते हैं अंगूठा यानी हमारा धरती तत्व और हमारा यह शरीर उंगलियां यानी अलग-अलग ग्रह की प्रतीक या पंच तत्वों की प्रतीक। जिस तरह का अनबैलेंस जीवन होता है वही उंगली अंगूठे पर रखकर ध्यान लगाया जाता है और उस ग्रह की ताकत, ऊर्जा अंगूठे में ट्रांसफर की जाती है या शरीर में ट्रांसफर की जाती है आइए अब मुख्य बात ग्रह..... जिनकी यादें, साल्ट, पूर्व जन्मों की यादों के अनुसार हमारी प्रवृत्ति के अनुसार हमारे अंदर मिश्रित होते हैं और उन से लिए गए फैसले ही हमारा भविष्य और वर्तमान तय होते हैं। हमारा दसवां खाना पृथ्वी का 11वां खाना हनरे गृह का आज 11वें खाने के बारे बात करते हैं। घर का वास्तु इतना ज्यादा पावरफुल है कि वह सारे ग्रहों को ठीक कर सकता है। उनके बुरे प्रभाव को खत्म कर सकता है और जिंदगी सुख पूर्व कर सकता है। तो किसी भी हालत में अपने घर का वास्तु ठीक कीजिए।घर की ढलान उत्तर पूर्व साइड में रखें, छत की भी और फर्श की भी, यह सबसे मुख्य पार्ट है यह आपके जीवन को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है पश्चिम और दक्षिण साइड भारी उत्तर और पूर्व साइड हल्का वायु और धूप उत्तर और पूर्व से आनी चाहिए घर के मुखिया का कमरा नृत्य कोण में घर की अलमारी घर का पैसा सब इसी कोण में रसोई अग्नि कोण में सीढ़ियां दक्षिण साइड में अगर बिटिया की शादी नहीं हो रही तो उसका कमरा वावय कोण में, घर के लोग अपने संप्रदाय अपने धर्म के अनुसार मंत्र का जप रोजाना करें। अपने इष्ट की भक्ति करते रहें। घर के मध्य में वास्तु यंत्र स्थापित होना चाहिए। घर का मध्य खाली होना चाहिए वहां कोई ज्यादा बोझ नहीं होना चाहिए, अगर मंत्र जप करने का समय नहीं है तो ऐसे कई तरह की बेल या छोटे यंत्र आते हैं कि उस पर मंत्र चलता रहता है घर की रसोई ठीक कर ली तो औरतों का जीवन सुखी कर लिया अगर औरतों का जीवन सुखी नहीं है तो घर की रसोई भी ठीक नहीं है। जिनका भी अग्नि कौन बढ़ा हुआ है प्लाट का, उनका व्यापार नहीं चलेगा, नृत्य कोण में दिक्कत है तो समाज में प्रतिष्ठा तथा औलाद को लेकर दिक्कत है ।घर का वास्तु ठीक करने से घर रहने वाले सभी प्राणियों की कुंडली ठीक हो जाती है। ध्यान से भी ग्रह ठीक होते हैं यह अगली पोस्ट में सिर्फ घर का वास्तु ठीक करके मैंने बहुत लोगों की जिंदगी बदल दी है, बीमार रहने वाली औरतों को ठीक किया है।जो वर्षों से ठीक नहीं हो रही थी संतान को लेकर मुश्किल है सिर्फ वास्तु ठीक करने से हो गई धन और पैसे की दिक्कत भी सिर्फ घर के वास्तु को ठीक करने से हो गई। कुछ लोगों की कुंडली ऐसी होती है कि मैं कितनी भी कोशिश कर लूं वह लोग जप अनुष्ठान नही करा पाते हैं ना वह बात मानते हैं उनका बस वास्तु ठीक कर दो फिर सब ठीकबाल वनिता महिला आश्रम

ग्रह ठीक ना कर सको तो गृह ठीक करो जिंदगी बदले गी आओ बताती हूं किस तरह जिंदगी की सारी मुश्किलें हल हो जाएंगी, जिंदगी किस तरह से सुख संपदा से गुजरेगी  By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब अगर आपके पास कुंडली नहीं है, अगर आप की कुंडली के ज्यादातर ग्रह पस्त हैं शनि ग्रह अस्त है।  बहुत अनुष्ठान करा लिए, सही ज्योतिषाचार्य सही, गुरु या सही साधक नहीं मिला तो उसके बावजूद जिंदगी कैसे अच्छी होगी  खुशियां कैसे आएंगी,  आगे पढ़ो बताती हूं  हमारी कुंडली में 12 खाने हैं पर भौतिक ग्रह 7 और छाया ग्रह 2 तो तीन खाने जो खाली हैं। वह किसके हैं  बड़े महत्वपूर्ण और यही तीन खाने ऐसे हैं जो खुद आपके हाथ में हैं, इन तीन खानों में आप खुद ही कृष्ण और खुद ही अर्जुन बन सकते हो, खुद ही पीड़ित और खुद ही ज्योतिष बन सकते हो  अपनी जिंदगी को खुद पलट कर रख सकते हो।  नौ ग्रहों के 9 खानों के बाद दसवां खाना है दसवें ग्रह का  वह है धरती ग्रह है, जिसे हम गिनते नहीं, उसमें आपका आता है कर्म और आपके शरीर में महत्वपूर्ण अंग अंगूठा,  हमारा शरीर धरती के 3 मुख्य तत्वों से बना है जिनमें से व...

गजकेसरी योग: जीवन में ऊंचाइयां तथा समाज में मान प्रतिष्ठा बढ़ाता है।By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* कुंडली में गुरु और चंद्र साथ हो या एक दूसरे को देखते हो तो गजकेसरी योग बनता है।* कुंडली में गुरु और चंद्रमा मजबूत हो तथा चंद्रमा और बृहस्पति केंद्र में एक दूसरे की तरफ दृष्टि कर के बैठे हों तब यह शक्तिशाली योग बनता है। लेकिन अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो या फिर चंद्रमा कमजोर हो तब इस योग का फल नहीं मिल पाता है।* केमद्रुम दोष होने पर भी यह निष्फल हो जाता है।* गजकेसरी योग जीवन में ऊचाईया, मान प्रतिष्ठा और धन में वृद्धि करता है।* चंद्र और गुरु कमजोर होने, या इन पर पाप ग्रहों की दृष्टि होने पर इसका सम्पूर्ण फल नही मिल पाता हैं।* कुंडली के दूसरे तथा आठवें भाव में भी अच्छे परिणाम नही देता है।* केंद्र तथा त्रिकोण में होने पर प्रभावशाली होता है।* किसी का जन्म गज-केसरी योग में हुआ होता है तो वह दयालु प्रवृत्ति का माना जाता है और वह दूसरों के प्रति स्नेह व विनम्रता का भाव रखता है।* ऐसे जातकों का धार्मिक ज्ञान अच्छा होता है।* ऐसे जातकों के पास पास चल और अचल संपत्ति के रूप में बहुत सारा धन होने की संभावना होती है। वहीं ऐसे जातकों के संबंध उच्च वर्ग के लोगों के साथ होते हैं।* ऐसे जातक जीवन में सभी तरह की भौतिक वस्तुओं का सुख प्राप्त करते हैं। वहीं सरकारी सेवाओं में इन्हें उच्च पद की प्राप्ति भी हो सकती है।* गजकेसरी योग के फलस्वरूप व्यक्ति कुशल, राजसी सुखों को भोगने वाला, उच्च पद प्राप्त करने वाला, वाद-विवाद व भाषण कला में निपुण होता है।* गज को गणेश जी का प्रतीक माना जाता है। गणेश जी बुद्धि के देवता है अर्थात व्यक्ति अपनी बौद्धिक शक्ति के आधार धन-दौलत, मान-सम्मान प्राप्त करता है। जिनकी कुण्डली में गजकेसरी योग उन्हें बुद्धि से काम करना से चाहिए न कि दिल से वरना हानि ही होगी।* ज्योतिष में बृहस्पति को धन का कारक माना जाता है। यदि गजकेसरी योग उत्तम प्रकार का है तो व्यक्ति को गज के समान धन की प्राप्ति होती है। इस योग के कारण व्यक्ति अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में सफल होता है।* गुरु व चन्द्र कुंडली के जिस भाव में बैठकर गजकेसरी योग का निर्माण करते है, उस भाव से सम्बन्धित शुभ फलों की प्राप्ति भी होती है। गजकेसरी योग जब चतुर्थ व दशम भाव में बनता है तो व्यक्ति अपने व्यवसाय व करियर में ऊंचे मुकाम हासिल करता है।* भगवान शिव की अराधना करने से इस योग का विशेष फायदा मिलता है। वहीं ये भी मान्यता है कि पीला पुखराज या मोती पहनना ऐसे जातकों के लिए अधिकांशत: लाभकारी साबित होता है।* कुंडली के विभिन्न भावों में गजकेसरी योग का फल:-1. पहले/लग्न भाव में असर...लग्न में यह योग बने तो जातक कोई नेता या अभिनेता होता है। ऐसे जातक को देखने के लिए जनता उतावली हो जाती है। उसका रहन सहन राजाओं जैसा होता है। यह योग जातक को गलत रास्ते पर भी जाने से रोकता है। जातक ईश्वर को मानने वाला होता है।2. दूसरे/धन भाव में...ये योग दूसरे भाव में बने तो जातक उच्च घराने में जन्म लेता है, वाणी का धनी होता है, धन सम्पदा की कमी नहीं रहती। ऐसे जातक की बात को गौर से सुना जाता है। ऐसे जातक कथा वाचक और बड़े-बड़े साधू संत भी देखे गए हैं।3. तीसरे/ पराक्रम व भाई बहन के भाव में...तीसरे भाव में यह योग बने तो भाई बहन को भी उच्च पद पर ले जाता है। जातक बहुत पराक्रमी और मान-सम्मान वाला होता है।4. चौथे/ सुख व मां के भाव में...चौथे भाव में यह योग बने तो मां से अत्यंत प्यार और लाभ मिलता है। भूमि और वाहन का उच्च सुख प्रदान होता है। रहने के लिये अच्छा निवास स्थान होता है।5. पंचम/पुत्र या बुद्धि भाव में...पंचम भाव में यह योग बने तो बुद्धि के बल पर धन कमाने का संकेत होता है। जातक बुद्धिमान होता है। ऐसा जातक अच्छा स्कूल टीचर, वैज्ञानिक, नए नए अविष्कार करने वाला होता है। ऐसा जातक उच्च कोटि का लेखक भी बन सकता है। ऐसे जातक को पूर्ण संतान का सुख मिलता है, संतान के उच्च पद पर आसीन होने के योग भी बनते हैं।6. छठे/ शत्रु या रोग भाव में...छठे भाव में यह योग कुछ कमजोर पड़ जाता है। छठे भाव में गुरु शत्रुहंता होता है। शत्रु दब कर रहते हैं साथ में चंद्रमा मन और माता के लिए ठीक नहीं होता उनका स्वास्थ्य बिगड़ा सा रहता है।7. सप्तम/विवाह भाव में...यह भाव जीवन साथी का होता है जीवन साथी उच्च पद पर आसिन होता है। उच्च घराने में शादी करवाता है। जीवन साथी उच्च विचारों वाला होता है।8. अष्टम/ आयु भाव में...अष्टम भाव का गजकेसरी योग भी कमजोर पड़ जाता है। यह योग जातक को गुप्त विद्या में ले जाता है इस योग में बड़े-बड़े तांत्रिक और साधू संत देखे जाते हैं। यह योग कई बार अचानक धन भी दिलवा देता है। यह योग गुप्त धन की प्राप्ति जरूर देता है। जातक कल्पना भी नहीं कर सकता वहां से धन की प्राप्ति हो जाती है।9. नवम/ भाग्य भाव में...नवम भाव में गजकेसरी योग जातक को कर्म से ज्यादा भाग्य के द्वारा मिल जाता है। नवम भाव धर्म और भाग्य का माना गया है। ऐसा जातक बहुत भाग्य शाली होता है और भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा रखता है।10. दशम/ कर्म या पिता भाव में...दसवें भाव में गजकेसरी योग पिता को उच्च पद पर ले जाता है। जातक को भी उच्च पद प्राप्त होता है। जातक भाग्य से ज्यादा कर्म को महत्व देता है समाज में मान-सम्मान दिलवाता है।11. ग्यारहवें/आय भाव में...ग्यारहवे भाव में गजकेसरी योग जातक की आय के एक से अधिक स्रोत होते हैं। जातक को कई प्रकार से इनकम आती है कम मेहनत मे ज्यादा पैसा का संकेत होता है। ऐसा जातक घर बैठे पैसा कमाता है।12. बारहवें/व्यय भाव में...बारहवें भाव में गजकेसरी योग कुछ कमजोर पड़ जाता है। जातक धर्म-कर्म पर पैसा खर्च करने वाला घर से दूर सफलता का-सूचक होता है।बाल वनिता महिला आश्रम

गजकेसरी योग: जीवन में ऊंचाइयां तथा समाज में मान प्रतिष्ठा बढ़ाता है। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब * कुंडली में गुरु और चंद्र साथ हो या एक दूसरे को देखते हो तो गजकेसरी योग बनता है। * कुंडली में गुरु और चंद्रमा मजबूत हो तथा चंद्रमा और बृहस्पति केंद्र में एक दूसरे की तरफ दृष्टि कर के बैठे हों तब यह शक्तिशाली योग बनता है। लेकिन अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो या फिर चंद्रमा कमजोर हो तब इस योग का फल नहीं मिल पाता है। * केमद्रुम दोष होने पर भी यह निष्फल हो जाता है। * गजकेसरी योग जीवन में ऊचाईया, मान प्रतिष्ठा और धन में वृद्धि करता है। * चंद्र और गुरु कमजोर होने, या इन पर पाप ग्रहों की दृष्टि होने पर इसका सम्पूर्ण फल नही मिल पाता हैं। * कुंडली के दूसरे तथा आठवें भाव में भी अच्छे परिणाम नही देता है। * केंद्र तथा त्रिकोण में होने पर प्रभावशाली होता है। * किसी का जन्म गज-केसरी योग में हुआ होता है तो वह दयालु प्रवृत्ति का माना जाता है और वह दूसरों के प्रति स्नेह व विनम्रता का भाव रखता है। * ऐसे जातकों का धार्मिक ज्ञान अच्छा होता है। * ऐसे जातकों के पास पास चल और अचल संपत्ति के रूप में ब...

अपनी जन्म कुंडली से मालदार होने के लक्षण कैसे जाने ? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब श्रीमान जी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मालदार या संपन्नता के लिए लक्षण जन्म कुंडली मे विद्यमान ग्रहो के संयोजन से जाना जा सकता है कुछ योग जिनके जन्म कुंडली मे होने पर व्यक्ति अवश्य मालदार या धनी होगा जो इस प्रकार से हैं -● जन्म कुंडली मे द्वितीय व एकादश भाव के स्वामी एक दूसरे के भाव मे विद्यमान हो अथवा दोनो एक साथ किसी भी केंद्र ( प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, दशम)अथवा त्रिकोण स्थान ( पंचम, नवम) मे स्थित होने पर जातक अवश्य ही मालदार होगा ।● यदि धन भाव का स्वामी पंचम मे हो तो जातक मालदार होगा यदि धनेश होकर गुरु पंचम भाव मे विद्यमान हो तो विशेष फल एवं शीघ्र प्रभावकारी योग बनता है ।● यदि द्वितीय व चतुर्थ भाव के स्वामी नवम भाव मे हो तथा लग्नेश उच्च राशि का होकर एकादश भाव मे विद्यमान हो तथा नवम भाव का स्वामी भी बली होकर द्वितीय भाव मे स्थित हो तो जातक अत्यन्त मालदार एवं धनी होगा ।● जन्म कुंडली मे द्वितीय भाव मे चन्द्र, गुरु ,शुक्र हो तथा नवम के स्वामी की तीनो पर द्रष्टि हो तो जातक आवश्यक रूप से मालदार होगा ।● किसी भी पत्रिका मे यदि मंगल और चन्द्र एक साथ विराजमान हो तो ऐसे जातक पर माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है ।● जन्मांक मे पंचम भाव मे शनि अपनी ही राशि अर्थात मकर या कुम्भ मे विराजमान हो तथा एकादश भाव मे बुध विद्यमान होकर शनि पर द्रष्टि हो , तो व्यक्ति को चारो ओर से आय होने के फलस्वरूप मालदार रहेगा ।● जन्म कुंडली मे पंचम भाव मे शुक्र अपनी ही राशि अर्थात वृषभ एवं तुला मे विराजमान हो तथा एकादश भाव मे विद्यमान होकर शनि , शुक्र को द्रष्टिपात करे तो जातक बहुत धनवान होता है ।● जन्म पत्रिका मे यदि लग्नेश द्वितीय भाव मे हो द्वितीयेश एकादश भाव मे हो एकादश भाव का स्वामी लग्न स्थान मे विद्यमान हो तो जातक जन्म से ही अत्यन्त मालदार होता है ।उपरोक्त जन्म कुंडली मे मालदार होने के सिद्ध सूत्र है जो मेरे निजी अनुभव मे सही पाये गये है आप भी जन्म कुंडली पर परख कर देखिये साथ ही टिप्पणीकालम मे अपनी प्रति क्रिया व्यक्त कीजिए से ज्योतिषीय नवीन ज्ञान वर्धन एवं विभिन्न अनुभवो का समावेश हो सकेगा ।आशा करते है आपको व्यक्त किये गये ग्रहो के संयोजन जिससे व्यक्ति मालदार होता है पसंद आये होगे , ज्योतिषीय जिज्ञासा का अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रश्न करने के लिए आपका ह्दय से आभार आपका उत्साह वर्धन नवीन प्रेरणा प्रदायक एवं मनोबल मे वृद्धि करने वाला रहेगा जी ।मूल स्रोत- श्री गुरुदेव आर्शीवादइमेज स्रोत गूगल

अपनी जन्म कुंडली से मालदार होने के लक्षण कैसे जाने ? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब श्रीमान जी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मालदार या संपन्नता के लिए लक्षण जन्म कुंडली मे विद्यमान ग्रहो के संयोजन से जाना जा सकता है कुछ योग जिनके जन्म कुंडली मे होने पर व्यक्ति अवश्य मालदार या धनी होगा जो इस प्रकार से हैं - ● जन्म कुंडली मे द्वितीय व एकादश भाव के स्वामी एक दूसरे के भाव मे विद्यमान हो अथवा दोनो एक साथ किसी भी केंद्र ( प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, दशम)अथवा त्रिकोण स्थान ( पंचम, नवम) मे स्थित होने पर जातक अवश्य ही मालदार होगा । ● यदि धन भाव का स्वामी पंचम मे हो तो जातक मालदार होगा यदि धनेश होकर गुरु पंचम भाव मे विद्यमान हो तो विशेष फल एवं शीघ्र प्रभावकारी योग बनता है । ● यदि द्वितीय व चतुर्थ भाव के स्वामी नवम भाव मे हो तथा लग्नेश उच्च राशि का होकर एकादश भाव मे विद्यमान हो तथा नवम भाव का स्वामी भी बली होकर द्वितीय भाव मे स्थित हो तो जातक अत्यन्त मालदार एवं धनी होगा । ● जन्म कुंडली मे द्वितीय भाव मे चन्द्र, गुरु ,शुक्र हो तथा नवम के स्वामी की तीनो पर द्रष्टि हो तो जातक आवश्यक रूप से मालदार होगा । ● क...
श्रीसूक्त पाठ विधि By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 🔶🔹🔶🔹🔶🔹🔶 धन की कामना के लिए दीपावली पूजन के साथ श्री सूक्त का पाठ अत्यन्त लाभकारी रहता है। (श्रीसूक्त के इस प्रयोग को हृदय अथवा आज्ञा चक्र में करने से सर्वोत्तम लाभ होगा, अन्यथा सामान्य पूजा प्रकरण से ही संपन्न करें .) प्राणायाम आचमन आदि कर आसन पूजन करें :- ॐ अस्य श्री आसन पूजन महामन्त्रस्य कूर्मो देवता मेरूपृष्ठ ऋषि पृथ्वी सुतलं छंद: आसन पूजने विनियोग: । विनियोग हेतु जल भूमि पर गिरा दें । पृथ्वी पर रोली से त्रिकोण का निर्माण कर इस मन्त्र से पंचोपचार पूजन करें – ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवी त्वं विष्णुनां धृता त्वां च धारय मां देवी पवित्रां कुरू च आसनं ।ॐ आधारशक्तये नम: । ॐ कूर्मासनायै नम: । ॐ पद्‌मासनायै नम: । ॐ सिद्धासनाय नम: । ॐ साध्य सिद्धसिद्धासनाय नम: । तदुपरांत गुरू गणपति गौरी पित्र व स्थान देवता आदि का स्मरण व पंचोपचार पूजन कर श्री चक्र के सम्मुख पुरुष सूक्त का एक बार पाठ करें । निम्न मन्त्रों से करन्यास करें :- 🔶🔹🔶🔹🔶🔹🔶🔹🔶🔹🔶 1 ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ऐं क ए ई ल ह्रीं अंगुष्ठाभ्याम नमः । 2 ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं ह स क...