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क्या है शिवजी की तीसरी आँख का रहस्य? By वनिता कासनियां पंजाब ये हमारे भारत की विशेषता रही है कि काफी सारी वैज्ञानिक घटना ओ को सामान्य मनुष्य की समज के लिए भगवान या कहानी का स्वरूप दे दिया जाए ।शिवजी की तीसरी आंख और कुछ नही बल्कि हमारे दोनों आंख की भौहों के बीच मे दिमाग के अंदर नीचे की और आयी हुई पिनियल ग्रंथि है, जो आध्यात्मिक सुप्त अवस्था में है ।मनुष्य जब कुछ समय के अभ्यास के बाद जब ये ग्रंथि को जाग्रत कर लेता है तब ये ग्रथि में से निकला हुआ अंतःस्राव मनुष्य को काफी सारी अलौकिक शक्तियां प्रदान करता है । मनुष्य उसे चमत्कार कहता है किंतु ये पूर्ण रूप से वैज्ञानिक है।पुराने इजिप्त के वासियों को भी इस बात का ज्ञान था।वो लोग इसको “होरस की आंख” कहते थे ।Image source: Googleआपका धन्यवादओम नमः शिवाय ।What is the secret of Shiva's third eye? By Vnita Kasnia PunjabIt has been the specialty of our India that many scientific phenomena should be given the form of God or story for the understanding of common man.Shi

क्या है शिवजी की तीसरी आँख का रहस्य? By वनिता कासनियां पंजाब ये हमारे भारत की विशेषता रही है कि काफी सारी वैज्ञानिक घटना ओ को सामान्य मनुष्य की समज के लिए भगवान या कहानी का स्वरूप दे दिया जाए । शिवजी की तीसरी आंख और कुछ नही बल्कि हमारे दोनों आंख की भौहों के बीच मे दिमाग के अंदर नीचे की और आयी हुई पिनियल ग्रंथि है, जो आध्यात्मिक सुप्त अवस्था में है । मनुष्य जब कुछ समय के अभ्यास के बाद जब ये ग्रंथि को जाग्रत कर लेता है तब ये ग्रथि में से निकला हुआ अंतःस्राव मनुष्य को काफी सारी अलौकिक शक्तियां प्रदान करता है । मनुष्य उसे चमत्कार कहता है किंतु ये पूर्ण रूप से वैज्ञानिक है। पुराने इजिप्त के वासियों को भी इस बात का ज्ञान था। वो लोग इसको “होरस की आंख” कहते थे । Image source: Google आपका धन्यवाद ओम नमः शिवाय । What is the secret of Shiva's third eye?By Vanitha Kasniya PunjabIt has been the specialty of our India that many scientific phenomena should be given the form of God or story for the understanding of common man.Shi

दैवीय अनुभूति के क्षण कैसे होते हैं? By वनिता कासनियां पंजाब दैवीय अनुभूति के क्षण कैसे होते हैं?✍️ अद्भुत होते हैं। जिसमे सुख नहीं, असीम आनंद होता है। जिसका अनुभव कोई भी ध्यान की गहराइयों में जाकर कर सकता हैं।पर उस से पहले अपने तन मन को शुद्ध अवश्य करना पड़ता है।मैं वर्षों से योग अभ्यास और ध्यान कर रही हूं।हालांकि मैं इसे नियमित तौर पर कभी नहीं कर सका। फिर भी जब जब समय मिलता है तो कुछ समय प्राणायाम, बैठ कर यां लेट कर शव आसन में ध्यान अवश्य करती हूं।जिसमे मुझे झूला झूलने का आनंदमई अनुभव तो अक्सर होता है। ध्यान को स्थिर करके इसका अनुभव खुली आंखों से भी होता है।तो ध्यान में 20–30 मिनट के बाद, शरीर एक दम से तरो ताजा और दिमाग एक दम शांत और फ्रेश हो जाता है। जैसे एक डाटा से भरे हुए मोबाइल को हम रीसेट कर देते हैं तो वो बेहद स्मूथ और तेज चलने लगता है।तो ऐसे ही ध्यान करते समय, एक बार तो मुझे कमाल का दैवीय अनुभव हुआ।जब मैं शव आसन में ध्यान कर रही थीं।तो कुछ मिनट के बाद ध्यान गहरा हुआ।तो अचानक ऐसा लगा कि मैं एक दम से पॉज मोड में चली गई हूं। मैं ही क्यों, सब कुछ मानो थम सा गया हो। एक मृत्यु के समान क्षण भी कह सकते हैं।पर उसी समय ऐसे आनंद की अनुभूति शुरू हुई, जिसको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। सिर्फ इशारा दिया जा सकता है।मानों कि उसके सामने रति किरीया का आनंद तो 5 फीसदी भी नहीं था। ऐसा लगा रहा था कि कहीं से आनंद की बारिश हो रही है और मैं उसमे भीग रही हूं।यह आनंद की अनुभूति कुछ क्षण चली।(चित्र: गुगल Com से आभार सहित।)तो बाद में एहसाह हुआ कि शायद यह कुछ क्षण की शून्य अवस्था थी।जिसमे यह ईश्वरीय यां दैवीय अनुभूति थी।हालांकि बाद में भी मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन वैसी अनुभूति फिर कभी नहीं हुई।बहुत बहुत धन्यवाद। 🙏🙏

दैवीय अनुभूति के क्षण कैसे होते हैं? By वनिता कासनियां पंजाब दैवीय अनुभूति के क्षण कैसे होते हैं? ✍️  अद्भुत होते हैं। जिसमे सुख नहीं, असीम आनंद होता है। जिसका अनुभव कोई भी ध्यान की गहराइयों में जाकर कर सकता हैं। पर उस से पहले अपने तन मन को शुद्ध अवश्य करना पड़ता है। मैं वर्षों से योग अभ्यास और ध्यान कर रही हूं। हालांकि मैं इसे नियमित तौर पर कभी नहीं कर सका। फिर भी जब जब समय मिलता है तो कुछ समय प्राणायाम, बैठ कर यां लेट कर शव आसन में ध्यान अवश्य करती  हूं। जिसमे मुझे झूला झूलने का आनंदमई अनुभव तो अक्सर होता है। ध्यान को स्थिर करके इसका अनुभव खुली आंखों से भी होता है। तो ध्यान में 20–30 मिनट के बाद, शरीर एक दम से तरो ताजा और दिमाग एक दम शांत और फ्रेश हो जाता है। जैसे एक डाटा से भरे हुए मोबाइल को हम रीसेट कर देते हैं तो वो बेहद स्मूथ और तेज चलने लगता है। तो ऐसे ही ध्यान करते समय, एक बार तो मुझे कमाल का दैवीय अनुभव हुआ। जब मैं शव आसन में ध्यान कर रही थीं। तो कुछ मिनट के बाद ध्यान गहरा हुआ। तो अचानक ऐसा लगा कि मैं एक दम से पॉज मोड में चली गई हूं। मैं ही क्यों, सब कुछ मानो थम सा गय...

आपको क्या देख कर अचानक से झटका लगा ?50 हज़ार रुपयों का काम एक 5 रुपये की हल्दी कर दे तो!By वनिता कासनियां पंजाब बात जो कहने जा रही हूँ वो मैंने स्वयं अपने जीवन मे अनुभव की है।आज एक भाई घर मिलने आया और वजह थी की वो उसके पारिवारिक सुनार की दुकान से चला आ रहा था और उसने आते ही जेब से एक छोटी सी पोटली निकाली और उसमें से एक सोने की अंगूठी निकालकर मेरे हाथ पर धर दी।मैंने उठाकर देखा तो वो एक पुखराज रत्न की अंगूठी थी।अब आपने भी ध्यान दिया होगा की आजकल के समय मे व्यक्ति स्वयं के हितों के लिए बड़ा ही जागरूक हो गया है।मुझे कुछ परेशानी ना आये! मेरे जीवन मे कही कोई स्पीडब्रेकर नही आये! मेरी मस्ती मज़े में कही कोई ख़लल नही पड़े! इन सब बातों की विशेष चिंता देखने मे आती है।तो हुआ यूँ था की अगस्त के महीने में इस मित्र की जन्मपत्रिका का अध्ययन करके मैंने उसको बताया था की नवंबर अंत मे बृहस्पति (गुरु) का राशि परिवर्तन करके जब मकर में जाएंगे उस समय तेरे लिए थोड़ी दिक्कते आ सकती है। तो अपन लोग उस समय गुरु ग्रह के लिए कुछ उपाय कर लेंगे ज़रूर से, बस तू मुझे याद दिला देना।मित्र डेढ़ शाणा निकला!उसने टीवी पर जो राशि रत्नों के हज़ारों हज़ार विज्ञापन आते है ना, उनमें से देख देख के ये सीख लिया की गुरु ग्रह की कोई भी दिक्कत आये तो पुखराज पहन लेना चाहिए।बस! रत्न खरीदने निकल पड़ा और मात्र 50 हज़ार रुपयों में शुद्ध से भी शुद्ध एकदम असली वाला पुखराज रत्न ले आया। फिर बाकायदा दो तोला सोने की अंगूठी में उसको जड़वा के मेरे पास लाया की चल अब गुरु ग्रह की दिक्कते दूर कर दे मेरी।मैंने उस भोले आदमी के हाथ जोड़ लिए दोस्तो उसी समय!मैंने चाहा था की दो महीनों की जो उसको समस्या है गुरु ग्रह से संबंधित तो उसके लिए हल्दी की गांठ इसके गले मे पीले धागे में बांधकर और कुछ मंत्र जाप इसको बता दूंगा जिससे समय बिना कष्ट के बीत जाएगा।जी हाँ मात्र पाँच-दस रुपये में आने वाली हल्दी की गांठ भी ठीक वही काम करती जो ये महाशय के 50 हज़ार वाला पुखराज।और तो और इसकी तो 100 फीसद गारंटी है की हल्दी असली ही है पर क्या गारंटी है की पुखराज असली ही है!ये भाईसाहब हो गए गज़ब की ठगी के शिकार। और ये ही क्यों, मेरा मानना है की आज के समय मे जब पानी तक मे मिलावट हो जाती है तो आप कैसे विश्वास कर सकते है की पुखराज या नीलम या मूंगा या माणिक्य या हीरा आपको ओरिजिनल ही मिलेगा।अब मेरी एक और बात बहुत ज़्यादा ध्यान से सुनिए..जैसे बुरा समय अमीर या गरीब देखकर नही आता, बुरे समय मे अमीर को भी कष्ट होता है और गरीब को भी समान रूप से कष्ट होता है..ठीक उसी प्रकार उपाय करने का अधिकार एक गरीब को भी उतना ही है जितना किसी अरबपति को।आप बताइए कोई सामान्य मिडिल क्लास भारतीय व्यक्ति 50 हज़ार रुपये किसी छोटे से पुखराज पर ख़र्च करेगा की वो रुपये बच्चों की फीस, राशन, मकान, दवाइयाँ जैसे रोज़मर्रा के ज़रूरी कामो पर ख़र्च करेगा?आपका जवाब मुझे अच्छे से पता है।अच्छा और फिर ये भी बताइए की क्या उस मिडिल क्लास व्यक्ति को कोई अधिकार नही है ग्रह शान्ति और अपने बुरे समय में कष्टों में राहत लेने का?बिल्कुल है! पूरा अधिकार है उसको!आपको एक बहुत ही सामान्य सी किन्तु छिपी हुई बात बताऊँ..हमारे प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में ग्रहों के उपाय करने के लिए प्रकृति द्वारा बड़ी सरलता से मिल जाने वाली औषधियों पर इतना अधिक महत्व दिया है जिसका वर्णन नही किया जा सकता।हाँ रत्नों के महत्व को भी बताया है पर आज के लुटेरे समय मे 100 में से 95 रत्न नकली हो इसमें कोई संदेह नही।जैसे पुखराज के लिए हल्दी है वैसे ही बुध ग्रह के पन्ना की जगह विधारा नामक औषधि की जड़ का प्रयोग है।ऐसे ही समस्त ग्रहों की शांति के लिए प्रकृति द्वारा पूर्णतः निशुल्क औषधियाँ प्राप्त है जिनका उपयोग करके व्यक्ति शांति प्राप्त कर सकता है और इन औषधियों द्वारा मन और बुद्धि पर पड़ने वाले प्रभावों की रिसर्च आज का मॉडर्न साइंस भी कर रहा है।तो मेरा करबद्ध निवेदन है की बाजारवाद की भेंट ना चढ़ जाए और प्रकृति द्वारा दिये गए उपहारों का लाभ अपने जीवन मे प्रयोग करके लाभ उठाएं।एक आग्रह : कृपया रत्नों के विकल्पों के बारे में कमेंट सेक्शन में ना पूछे। आप एक अच्छे और विश्वस्त ऐसे ज्योतिष के विद्वान से संपर्क करे जो ज्योतिष को धन कमाने की मशीन नही समझता है और फिर जब वो विद्वान आपसे किसी ग्रह विशेष के रत्न या औषधि धारण करने को कहे तब उस समय आप इन विषयों पर सोचे।मन से कोई भी रत्न या औषधि धारण करना उतना ही गलत हो जाता है कभी कभी जितना बिना सोचे समझे और जाने भांग का सेवन।

आपको क्या देख कर अचानक से झटका लगा ? 50 हज़ार रुपयों का काम एक 5 रुपये की हल्दी कर दे तो! By वनिता कासनियां पंजाब बात जो कहने जा रही हूँ वो मैंने स्वयं अपने जीवन मे अनुभव की है। आज एक भाई घर मिलने आया और वजह थी की वो उसके पारिवारिक सुनार की दुकान से चला आ रहा था और उसने आते ही जेब से एक छोटी सी पोटली निकाली और उसमें से एक सोने की अंगूठी निकालकर मेरे हाथ पर धर दी। मैंने उठाकर देखा तो वो एक पुखराज रत्न की अंगूठी थी। अब आपने भी ध्यान दिया होगा की आजकल के समय मे व्यक्ति स्वयं के हितों के लिए बड़ा ही जागरूक हो गया है। मुझे कुछ परेशानी ना आये! मेरे जीवन मे कही कोई स्पीडब्रेकर नही आये! मेरी मस्ती मज़े में कही कोई ख़लल नही पड़े! इन सब बातों की विशेष चिंता देखने मे आती है। तो हुआ यूँ था की अगस्त के महीने में इस मित्र की जन्मपत्रिका का अध्ययन करके मैंने उसको बताया था की नवंबर अंत मे बृहस्पति (गुरु) का राशि परिवर्तन करके जब मकर में जाएंगे उस समय तेरे लिए थोड़ी दिक्कते आ सकती है। तो अपन लोग उस समय गुरु ग्रह के लिए कुछ उपाय कर लेंगे ज़रूर से, बस तू मुझे याद दिला देना। मित्र डेढ़ शाणा निकला! उसने टीवी पर जो...

क्या मैं पुखराज रत्न की अंगूठी पहन सकता हूँ, यदि लग्नेश और खरेश बृहस्पति हैं तो? By वनिता कासनियां पंजाबसबसे पहले जवाब दिया गया: क्या मैं पुखराज रत्न की अंगूठी पहन सकता हूँ,यदि लग्नेश और खरेश ब्रह्मसपति है?पुखराज आप बिल्कुल धारण कर सकते हैं, जब कोई ग्रह लग्नेश होता है, उस ग्रह का रत्न धारण करने से व्यक्ति को विशेष सफलता मिलती है।ऐसा मैंने ज्योतिष शास्त्र में सीखा है परंतु जन्म कुंडली में बृहस्पति ग्रह कहां बैठा है, इस पर भी विचार करना अति आवश्यक है। साथ में कौन से ग्रह अथवा कितने ग्रह बृहस्पति ग्रह को देख रहे हैं और बाकी अन्य ग्रहों की स्थिति क्या है, इन सबको मिलाकर जो आखरी निष्कर्ष निकलता है वही परम सत्य होता है। मेरा ज्योतिष का ज्ञान ही उत्तर का मूल स्रोत है। चित्र सोर्स है गूगल इमेजेस।

क्या मैं पुखराज रत्न की अंगूठी पहन सकता हूँ, यदि लग्नेश और खरेश बृहस्पति हैं तो? By वनिता कासनियां पंजाब सबसे पहले जवाब दिया गया: क्या मैं पुखराज रत्न की अंगूठी पहन सकता हूँ,यदि लग्नेश और खरेश ब्रह्मसपति है? पुखराज आप बिल्कुल धारण कर सकते हैं, जब कोई ग्रह लग्नेश होता है, उस ग्रह का रत्न धारण करने से व्यक्ति को विशेष सफलता मिलती है। ऐसा मैंने ज्योतिष शास्त्र में सीखा है परंतु जन्म कुंडली में बृहस्पति ग्रह कहां बैठा है, इस पर भी विचार करना अति आवश्यक है। साथ में कौन से ग्रह अथवा कितने ग्रह बृहस्पति ग्रह को देख रहे हैं और बाकी अन्य ग्रहों की स्थिति क्या है, इन सबको मिलाकर जो आखरी निष्कर्ष निकलता है वही परम सत्य होता है। मेरा ज्योतिष का ज्ञान ही उत्तर का मूल स्रोत है। चित्र सोर्स है गूगल इमेजेस।

क्या आप कर्म की साइकोलाजी के बारे में बता सकते हैं ?By वनिता कासनियां पंजाबआज मैं आपको बताऊंगी कि कर्म की साइकोलाजी क्या होती हैं :-1 हम जिस किसी के साथ भी जैसा कर्म करते हैं वैसे ही वापस हमारे साथ भी होता हैं चाहे वो अच्छा कर्म हो या बुरा कर्म।2.यह सृष्टि का नियम हैं जीवन अपने आप नहीं बनता ,जीवन हमे खुद को बनाना पड़ता हैं वो भी खुद कठोर मेहनत और अच्छे कर्म करके।🌄🌺3.जब हम सवंयम को बदलते है तो हमारा जीवन भी उसी के अनुसार चलता है और बदल जाता है ।इसलिए खुद में अच्छी आदते डाले बुरी आदत नहीं ।🌝4.हमें अपने जीवन मे जो कुछ भी हो उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए । हमे अपनी जिम्मेदारीयों से पीछा नहीं छोड़ना अब चाहे वो सफलता की हो या असफलता की। 🙋🙍5.अगर आपने भूतकाल में किसी के साथ अच्छा काम किया हैं तो उसका फल आपको वर्तमान में मिलेगा,अगर आप वर्तमान में किसी के साथ बुरा करते हैं तो उसका फल आपको भविष्य में मिलेगा।🌺😢🌝6.हमारी करनी और कथनी दोनों मेल खानी चाहिए नहीं तो हम बाहर से कुछ ओर और अंदर से कुछ ।😶😟7.कर्म का एक और नियम हैं मेहनत करते रहिए इसका फल आपको एक ना एक दिन जरूर मिलेगा 👮किसी को पहले मिलता तो किसी को बाद में मिलता लेकिन मिलता जरूर हैं।8.कुछ लोग कहते कि मेरी किस्मत में होगा तो मुझे मिलेगा लेकिन जनाब जब तक आप उस चीज के लिए कर्म नहीं करेंगे तब तक वह आपको नही मिलेगी ।बैठे बैठे तो वह चीजआपको नही मिलने वाली उसके लिए आपको कर्म तो करना पड़ेगा। गीता में श्री कृष्ण जी ने भी कहा कर्म कर फल की चिंता मत कर। 🙏9.कुछ लोग अच्छे कर्म करते हैं और कुछ लोग बुरे कर्म तो आप मुझे कमेंट में बताइए कि क्या आप अच्छे कर्म में विशवास रखते हैंमैं आशा करती हूं कि आपको मेरी यह पोस्ट पंसद आई होगी ।🤗🙏अगर आपको यह मेरी पोस्ट पंसद आई है तो इसे अपवोट करे और मुझे फोलो करना ना भूल। ⬆️👍Can you explain the psychology of karma?By Vnita Kasnia PunjabToday I will tell you what is the psychology of karma:-1 With whomever we do, the same kind of karma we do back to us.

क्या आप कर्म की साइकोलाजी के बारे में बता सकते हैं ? By वनिता कासनियां पंजाब आज मैं आपको बताऊंगी कि कर्म की साइकोलाजी क्या होती हैं :-1 हम जिस किसी के साथ भी जैसा कर्म करते हैं वैसे ही वापस हमारे साथ भी होता हैं चाहे वो अच्छा कर्म हो या बुरा कर्म। 2.यह सृष्टि का नियम हैं जीवन अपने आप नहीं बनता ,जीवन हमे खुद को बनाना पड़ता हैं वो भी खुद कठोर मेहनत और अच्छे कर्म करके।🌄🌺 3.जब हम सवंयम को बदलते है तो हमारा जीवन भी उसी के अनुसार चलता है और बदल जाता है ।इसलिए खुद में अच्छी आदते डाले बुरी आदत नहीं ।🌝 4.हमें अपने जीवन मे जो कुछ भी हो उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए । हमे अपनी जिम्मेदारीयों से पीछा नहीं छोड़ना अब चाहे वो सफलता की हो या असफलता की। 🙋🙍 5.अगर आपने भूतकाल में किसी के साथ अच्छा काम किया हैं तो उसका फल आपको वर्तमान में मिलेगा,अगर आप वर्तमान में किसी के साथ बुरा करते हैं तो उसका फल आपको भविष्य में मिलेगा।🌺😢🌝 6.हमारी करनी और कथनी दोनों मेल खानी चाहिए नहीं तो हम बाहर से कुछ ओर और अंदर से कुछ ।😶😟 7.कर्म का एक और नियम हैं मेहनत करते रहिए इसका फल आपको एक ना एक दिन जरूर मिलेगा 👮किसी को...

कुंडली ,

राहु और केतु से मुक्ति के चमत्कारिक अचूक टोटके... अक्सर लोग राहु या केतु से डरे   रहते हैं। राहु और केतु के कारण  ही कालसर्प दोष निर्मित होता है। पुराणों अनुसार पितृदोष या प्रारब्ध के कारण कालसर्प योग बनता है। कालसर्प योग भी मुख्यत: 12 तरह के माने गए हैं। बहुत से लोग कालसर्प योग से डरे हुए हैं, लेकिन जंगल के खतरनाक जानवरों के बारे में जो जानते हैं वे निश्चित ही बच निकलने का रास्ता भी ढूंढ ही लेते हैं। हम आपको राहु और केतु के चमत्कारिक अचूक उपाय बताएंगे आपकी कुंडली के खाने अनुसार। आप अपनी कुंडली में देखें की राहु और केतु किस खाने में बैठे हैं। उसी खाने के उपाय करके आप इन दोनों ग्रहों के बुरे प्रभावों से मुक्त हो सकते हैं। इससे पहले आप जान लें कि राहु और केतु आपके जीवन में किस तरह का प्रभाव डालते हैं।   अगले पन्ने पर राहु का प्रभाव...   राहु का नकारात्क प्रभाव :  काला जादू, तंत्र, टोना, आदि राहु ग्रह अपने प्रभाव से करवाता है। अचानक घटनाओं के घटने के योग राहु के कारण ही होते हैं। राहु हमारे उस ज्ञान का कारक है, जो बुद्धि के बावजूद पैदा होता है, जैसे अचा...